Thursday 2 August 2018

भीष्म नारायण सिंह - एक गांधीवादी नेता का यूं चले जाना

साल 2013 में 25 दिसंबर को भीष्म नारायण सिंह के साथ बेटा अनादि। 
महान गांधीवादी और पूर्व केंद्रीय मंत्री और सात राज्यों के राज्यपाल रहे भीष्मनारायण सिंह का 85 साल की अवस्था नें नई दिल्ली में निधन हो गया।

वे काशी हिंदू विश्वविद्यालय ( बीएचयू) के पूर्व छात्र भी थे। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई वहां से की थी। बीएचयू एलुमनी एसोसिएशन (महामना मालवीय मिशन) को उनका संरक्षण हमेशा प्राप्त होता था। वे झारखंड के पलामू के निवासी थे। उनका जन्म 13 जुलाई 1933 को हुआ था। संयुक्त बिहार के समय वे राज्य सरकार में भी मंत्री रहे।

दिल्ली में हर साल 25 दिसंबर को होने वाली मालवीय जंयती समारोह में अक्सर भीष्म नारायण सिंह जी से मुलाकात हो जाती थी। वे महामना मालवीय मिशन के संरक्षक थे और हर कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज कराते थे। इस दौरान कई बार उनसे बातचीत का मौका मिला। केंद्र में मंत्री और अलग अलग समय में सात राज्यों के राज्यपाल रहने का कोई गरुर उनमें नजर नहीं आता था।

लार्ड मेघनाद देसाई, भीष्म नारायण सिंह और बाल्मिकी प्रसाद सिंह। 
नई पीढ़ी के लोगों से सहजता से बातें करते। बुढापे में भी सेहत उनकी अच्छी थी। दिल्ली के मयूर विहार के अपार्टमेंट में उनका जीवन गांधीवादी तरीके से चलता था। ताउम्र गांधी टोपी साथ रही। चूड़ीदार पायजामा और नेहरू जैकेट उनकी पहचान थी। आवाज अत्यंत मीठी थी। अनुभवों का खजाना थे। अक्सर वे इंदिरा युग की कई बातें और अनुभव सुनाया करते थे।
1984 से 1989 तक असम के राज्यपाल रहने के दौरान उन्हें असम समस्या को सुलझाने में भी काफी दिलचस्पी ली। वे मेघालय, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु ( 1991 से 1993 ) के भी राज्यपाल रहे। इस दौरान उनके पास पुडुचेरी और अंदमान निकोबार का भी प्रभार रहा। इस तरह वे सात राज्यों के समय समय पर राज्यपाल रहे।

वे 1967 में पहली बार बिहार विधान सभा के सदस्य बने थे। उसके बाद 1971 में बिहार के शिक्षा मंत्री बने। 1980 से 1984 के बीच इंदिरा गांधी के कैबिनेट में उन्हें कई मंत्रालयों को संभालने का मौका मिला। उन्होंने अपनी दक्षता संसदीय कार्य मंत्री के तौर पर प्रदर्शित की।
भीष्म नारायण सिंह
जन्म - 13 जुलाई 1933
निधन - 01 अगस्त 2018


---- विद्युत प्रकाश मौर्य  
( BHISHM NARYAN SINGH, TRIBUTE, BHU, PALAMU, JHARKHAND ) 
साल 2014, तारीख 25 दिसंबर, मालवीय स्मृति भवन में सहपाठी संजीव गुप्ता के साथ मैं और भीष्मनारायण सिंह का सानिध्य।


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