Tuesday, 28 August 2018

भारत की संतान ( बहु भाषा गीत )

भारत की संतान 
हम हैं भारत की संतान
नदियां जैसी बहु भाषाएं 
सबका स्थान समान।।

संस्कृत 
बुधजन तारण कारण दाता
वाण कवीश्वर भारवी गीता
देवी गवीयम भारत माता
कालिदास जय भाग्य निदान।।

मणिपुरी
यायफरे यायफरे यायफरे
सालाय तारेरत्ना थौगुंबा
चिंग्मिना कोयना कआंगपा
मालेंद थोमथीन आलिंबा
मणिपुरी सन लाइ पाकना।

असमिया
मोएई कीर्तन घोखा रत्नावली
खोंखर माधोवर ओखिम दान
भारत मात्रिर बढ़ाए सम्मान
खकलेबे मिल जाए जयगान

कश्मीरी
बुचुस वलवलुर गलित
आमुत जिन शीनमाय
बुचुस इल्मो अद वुच
मशल हयतपकान

गुजराती
गर्वी गूर्जरी हूं गांधीनी
नरसी नर्मदनू छूं खाण
भारत मातानी पुत्री लाडली
सरदारे साध्यूं एकतान

मलयालम
करेल नाटिन कथककली गानम आन
आचार्य तुनचंदे पोंगिल कोंचन आन
नंबियार कुंचंदे तु मंदहासन आन
केरल नेनमुली केरल देवी आन

बंगाली
बंकिमेर अमि बंदे मातरम
विवेकानंदेर तत्वज्ञान
शुनाबो काब्यो मेघनाद होते
काजी नजरुल्लेर बिप्लव गान
गाओ जन गणन
रविंद्रनाथेर कवितागान
उज्ज्वल करिबे भारत मातेर
बाडिवे बंगलार मान
मराठी
मीच मराठी ज्ञानेशाची
अभंग गाथा श्री तुकयाची
सेवा करुनी निज मातेची
तिता बाढविन मान

तेलुगू
तेलूगु देशमुनु वेलुगुलु चूपिड़ि
तलुगु तेजमुनू नेनू
आदि कवि ननैप्या काव्यन्नि नेनू
शतवहान नृपति शौर्यान्नि नेनू

सिंधी
सिंधु अजानित कंठा गूंजी
सिंधी कच्छी मिठडी भाषा
सूफी संतन जी सा आशा
वीरन जो वरदान

उड़िया
उत्कल मधुश्री सरलदास कवि
लेखि भारतपाई आशीष
रचि छंद उपेंद्र भंज सम
बढ़ाए मातांक मान

नेपाली
मादल को समलामा
भाखा मीठो  गायरे
कर्म गरम स्वदेश मा
शक्तिनाम लियर
गुर्खाली बीर उच्छ शरीर
कांजन जंगा ओ महान

कोंकणी
गोंय आमुचें प्रांत सान
कोंकणी भाषा मगले नाम
देखनि भारताचें गौरवस्थान

उर्दू
मैं हूं उर्दू हिंदुस्तानी
कौमों की एकता की निशानी
लोग चाहती महलों का रानी
मेरी निराली आन,मेरी निराली शान

कन्नड
बसव माधवर यशोनिकेतन
कनक पुरंदर गान रसायन
पंपन ववागवैभव कन्नड ना
माडुवे ताई बलवान
पंजाबी
पंजाबी मैं पंच दरियां दी
वारिस शाह हाशम दें हीरा दीं
नानक अर्जन जहं पीरां दी
उच्ची कर रही शान

तमिल
कलवी सिरन्दनर कंबनैं उम्मरै
वल्लुवन तन्युम पेट्रेडुत्तेन पंडे
पनवुडै नट्रमि नानै तान

हिंदी
हिंदी की मैं अथाह सागर
तुलसी मीरा सूर कबीरा बनकर
निज माता पर रत्न चढ़ाकर
बढ़ा रही हूं भारत की शान।
भारत की संतान हम हैं भारत की संतान
नदियां जैसी बहु भाषाएं सबका स्थान समान।।

-    बसंत तुलजापूरकर  ( MULTI LANGUAGE SONG ) 

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