जी हां मधुर संगीत दवा का काम करता है। कभी आप नन्हें से बालक को
शास्त्रीय संगीत सुना कर देखें उस पर भी उसका सकारात्मक असर होने लगेगा। कई साल
पहले एक शोध आया था कि पौधों को नियमित क्लासिकल म्यूज़िक सुनाया गया तो पौधों के
बढ़ने की गति तेज़ हो गई। अगर आप भी शास्त्रीय संगीत सुनें या फिर शास्त्रीय धुनों
पर आधारित फ़िल्में गाने सुनें तो आपकी सेहत को सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते
हैं।
अच्छा संगीत सुनें, क्रियाशीलता बढ़ेगी - कई जगह इस बात पर शोध चल
रहा है कि कौन-सी बीमारी में कौन-सा संगीत लाभकारी हो सकता है। पर अब यह तय हो
चुका है कि संगीत का सेहत से गहरा संबंध है। अगर आपको कोई बीमारी नहीं भी है और आप
अच्छा संगीत सुनते हैं तो आपकी क्रियाशीलता बढ़ जाती है अगर आपकी तबीयत थोड़ी-सी
भी ख़राब हो और ऐसे में आपको पॉप संगीत या रैप संगीत सुना दिया जाए तो आप और
परेशान हो उठेंगे। इतना ही नहीं पॉप, रैप संगीत के दीवाने भी ऐसे हालात में तेज़
कानफोड़ू संगीत नहीं सुन सकते हैं। जबकि शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत या फिर ग़ज़लें बीमार आदमी भी सुनना पसंद करता है। ख़ास तौर पर
अगर इंस्ट्रुमेंटल संगीत हो।
बीमार को सुनाएं संगीत - जब घर में कोई बीमार हो और बिस्तर पर पड़ा
स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहा हो तो उसके लिए संगीत सुनने की व्यवस्था करें। इसके
लिए टेप रिकॉर्डर, रेडियो या
सीडी प्लेयर का प्रबंध करें।
क्लासिकल या इंस्ट्रुमेंटल संगीत सुनें - अच्छी सेहत के लिए संगीत
क्लासिकल इंस्ट्रुमेंटल होना चाहिए। फ़िल्मी गीतों में भी क्लासिकल का ही चयन
करें। पुरानी फ़िल्मों के काफ़ी गाने शास्त्रीय धुनों पर आधारित हैं। इन गानों को
धीमी आवाज़ में चलाएं। चयन में यह भी सावधानी बरतें कि गानों की शब्दावली आशावादी
हो। इससे मरीज़ की सेहत पर अच्छा असर पड़ेगा। अगर डॉक्टर मरीज़ को संगीत सुनाने से
मना करे तब ऐसा न करें।
बुरे ख्यालों से बचाता है -
संगीत जहां मरीज़ को एकांत से दूर करता है वहीं उसके मन में बुरे
ख़्याल आने से भी बचाए रखता है। शास्त्रीय संगीत के राग शुद्ध होते हैं। इसलिए वे
किसी के भी दिल व दिमाग़ पर अच्छा असर डालते हैं। इससे मरीज़ के शरीर में अच्छी
हरकत होती है। वह धीरे-धीरे बेहतर होने लगता है। मरीज़ की पसंद का भी ख़्याल रखें।
उसे लता मंगेश्कर,मोहम्मद रफी, मुकेश या किशोर जो भी पसंद हो, उन्हीं की सीडी
उसके साथ चलाएं। अगर उसकी कोई ख़ास पसंद न हो बांसुरी की इंस्ट्रुमेंटल सी.डी.
चलाएं। बांसुरी की धुन का असर ख़ासकर बच्चों पर बहुत होता है। अगर कोई व्यक्ति
किसी ख़ास गाने का दीवाना हो तो उसे वह गाना बार-बार सुनाएं।
राग शिवरंजनी और राग आसावारी बीमारी में कारगर
शास्त्रीय रागों में राग शिवरंजनी और राग आसावारी मरीज़ों पर ख़ासतौर
पर अच्छा असर डालते हैं। आप कभी प्रयोग करके देखेंगे तो आप मान जाएंगे कि अच्छे
संगीत में इश्वरीय शक्ति का वास होता है। संगीत प्रिय आदमी लड़ाई झगड़े से दूर ही
रहता है। एक बार उस्ताद बड़े अली खान ने कहा था कि हिन्दुस्तान व पाकिस्तान के हर
घर के एक-एक व्यक्ति को शास्त्रीय संगीत सिखा दिया जाए तो बंटवारे की कोई ज़रूरत
ही नहीं।
-विद्युत
प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
No comments:
Post a Comment