Sunday, 12 August 2018

खूब याद आएंगे विद्याधर सूरज प्रसाद नायपाल


वीएस नॉयपाल -  (17 अगस्त 1932 , 11 अगस्त 2018 ) 
अगस्त महीने में तीसरा महान व्यक्ति भी इस दुनिया को अलविदा कह गया। विद्याधर सूरज प्रसाद नैपाल यानी वीएस नायपाल भारतीय मूल के लेखक थे जिन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था। पर भारत के बारे में उनके विचार थोड़े कटु थे। 11 अगस्त 2018 को लंदन में 85 साल की अवस्था में वे इस दुनिया को छोड़ गए।
खुद को यथार्थवादी बताने वाले पॉल औपनिवेशवाद की घोर आलोचना करते थे, हालांकि वह खुद किसी सामाजिक आंदोलन में कभी शामिल नहीं हुए।
17 अगस्त सन 1932 को ट्रिनिडाड के चगवानस (Chaguanas) में हुआ। 1950 में वो अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति पर इंग्लैंड चले गए। यूनीवर्सिटी कॉलेज, ऑक्सफ़ोर्ड में चार साल बिताने के बाद नायपॉल ने लिखना शुरू किया और फिर दूसरा कोई व्यवसाय नहीं अपनाया। 
रवींद्रनाथ टैगोर के बाद नायपाल को समकालीन दौर में विश्व के महानतम उपन्यासकारों में गिना जाता था। उनहे नूतन अंग्रेज़ी छंद का प्रमुख रचयिता भी गिना जाता है।
उन्होंने अपने जीवनकाल में 30 से ज्यादा विश्व प्रसिद्ध पुस्तकें लिखीं।  साल 1957 में उनका पहला उपन्यास 'द मिस्टिक मैसूर' प्रकाशित हुआ था। साल 1961 में प्रकाशित उनका उपन्यास 'अ हाउस ऑफ मिस्टर बिस्वास' को लिखने में उन्हें तीन साल से ज्यादा का समय लगा।

नायपॉल की द मिमिक मैन को साल 1967 में डब्ल्यू एच स्मिथ अवार्ड मिला। साल 1971 में इन ए फ्री स्टेट  को बुकर प्राइज मिला था, तब वे महज 39 साल के थे। उन्हें 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक वीएस नायपॉल को 1990 में 'नाइटहुड' का सम्मान मिला था।

साल 1955 में उन्होंने पेट्रिसिया हेल से शादी की थी। 1996 में उनकी पत्नी हेल का ब्रेस्ट कैंसर के चलते देहांत हो गया। पहली पत्नी के निधन के दो महीने बाद उन्होंने अखबारों में समीक्षा लिखने वाली पाकिस्तान मूल की नादिरा खानुम अल्वी से दूसरी शादी की।
---vidyutp@gmail.com


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