मुगलसराय रेलवे स्टेशन अब
इतिहास बन चुका है। उसका नया नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर जंक्शन है। नाम थोड़ा
लंबा हो गया न। अगर इसका नाम दीनदयाल नगर भी रखा जाता तो इससे महान आत्मा का कोई
अपमान नहीं होता। पर छोटा नाम होने का फायदा है कि यह लोगों की जुंबा पर तेजी से
चढ़ जाता। जब हम किसी भी स्टेशन का नाम लंबा रखते हैं तो लोग उसका संक्षिप्तिकरण
कर लेते हैं। जैसे मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस का नाम लोग सीएसटी बुलाते हैं।
कोई पूरा नाम लेता ही नहीं। फिर महान आत्मा को याद रखने का उद्देश्य पूरा ही कहां
हुआ। कुछ ऐसा भविष्य में मुगलसराय के साथ हो सकता है। लोग डीडीयू कहकर काम चला लेंगे।
ऐसी बेवकूफियां करके हम खामखा हिंदी में अंग्रेजी को घुसने का मौका दे देते हैं।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर जंक्शन नाम से तो रेलवे का साफ्टवेयर भी बउरा गया था।
उसके पास इतने लंबे नाम रखने की जगह ही नहीं थी। तो संक्षेप करके पंडित की जगह
पीटी किया गया। स्टेशन का नया कोड एमजीएस की जगह डीडीयू हो गया है। हम जिस स्टेशन
को 150 साल से ज्यादा समय से मुगलसराय नाम से जानते थे, उसका नाम बदला कोई बात
नहीं, ठीक किया पर नाम को मुश्किल कर दिया।
कुछ साल पहले झारखंड के
प्रसिद्ध स्टेशन गोमो जंक्शन का नाम भी इसी तरह बदला गया था। उसका नाम बदल कर रखा
गया नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंक्शन गोमो। यह भी रेलवे के कंप्यूटर डायरेक्टरी में
फिट नहीं बैठता। तो टाइम टेबल में दिखाई देता है एनएससी बोस जे गोमो। स्टेशन कोड
वही पुराना है जीएमओ। परिणाम क्या हुआ.. कई साल गुजर गए सारे लोगो गोमो जंक्शन ही
बुलाते हैं। फिर नाम बदलने का फायदा क्या हुआ।
रेलवे की नाम बदलने वाली टीम में कितने काबिल लोग बैठे हैं इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं। गोमो को बदलकर सुभाष नगर जंक्शन कर देते तो लोगों की जुबान पर आसानी से चढ़ जाता। स्टेशन पर गोमो और सुभाष बाबू के रिश्ते की कहानी लिखकर लगा देते। इसी तरह मुगलसराय से भी दीनदयाल उपाध्याय के रिश्ते की कहानी लोगों को बताई जानी चाहिए। यहां स्टेशन के यार्ड में उनकी संदिग्ध मौत हो गई थी।
दिल्ली में एक दीनदयाल उपाध्याय मार्ग है पर लोग उसे डीडीयू मार्ग कहते हैं। पर एक मुहल्ले का नाम नेताजी नगर है। उसे ठीक बुलाया जाता है।
रेलवे की नाम बदलने वाली टीम में कितने काबिल लोग बैठे हैं इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं। गोमो को बदलकर सुभाष नगर जंक्शन कर देते तो लोगों की जुबान पर आसानी से चढ़ जाता। स्टेशन पर गोमो और सुभाष बाबू के रिश्ते की कहानी लिखकर लगा देते। इसी तरह मुगलसराय से भी दीनदयाल उपाध्याय के रिश्ते की कहानी लोगों को बताई जानी चाहिए। यहां स्टेशन के यार्ड में उनकी संदिग्ध मौत हो गई थी।
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-- vidyutp@gmail.com
( MUGHALSARAI JN, MGS, DDU, GOMO, NCB )
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