Tuesday, 14 August 2018

सोमनाथ चटर्जी - निष्पक्षता के कारण हर दल में था सम्मान

( जन्म -  25 जुलाई, 1929 , निधन - 13 अगस्त 2018 )
अपनी निष्पक्षता के लिए मशहूर सोमनाथ दादा  दलगत राजनीति से ऊपर थे इसलिए हर पार्टी के नेता उनका बहुत सम्मान करते थे। एक हिंदूवादी नेता के पुत्र सोमनाथ चटर्जी जीवन भर वामपंथी रहे। उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों की व्यापक जानकारी थी और वे अपने तर्क कौशल के लिए मशहूर थे। सोमनाथ दादा लोकसभा के उत्कृष्ट वक्ताओं के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे।  

10 बार लोकसभा के सांसद
सोमनाथ माकपा के टिकट पर लोकसभा के लिए 10 बार चुने गए। उनके संसदीय सफर की शुरुआत 1971 में हुई जब उन्होंने पश्चिम बंगाल के वर्दवान सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की। वह सीट उनके पिता के निधन के बाद खाली हुई थी। अपने जीवन में सिर्फ एक बार 1984 में ममता बनर्जी ने उन्हें हराया। 11 बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड इंद्रजीत गुप्त के नाम है। सोमनाथ दादा के अलावा अटल बिहारी वाजपेयी और पीएम सईद 10 बार लोकसभा में पहुंच चुके हैं।

असम के तेजपुर में जन्म
सोमनाथ चटर्जी का जन्म 25 जुलाई, 1929 को असम के तेजपुर में हुआ था। उनके पिता निर्मल चंद्र चटर्जी अखिल भारतीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे थे और उनकी मां का नाम वीणापाणी देवी था। उनकी शिक्षा-दीक्षा कोलकाता और ब्रिटेन में हुई। उन्होंने ब्रिटेन के मिडल टेंपल से वकालत की पढ़ाई की।

जब माकपा से निष्कासित किया गया
माकपा के यूपीए-एक सरकार से समर्थन वापस ले लेने के बावजूद चटर्जी ने लोकसभा के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था। इस वजह से वरिष्ठ नेता को वर्ष 2008 में माकपा से निष्कासित कर दिया गया था। चटर्जी ने 23 जुलाई 2008 को अपनी जिंदगी का सबसे दुखद दिन बताया था।
सरकार के खिलाफ वोट नहीं दिया
जब मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया तब  सोमनाथ चटर्जी ने पार्टी लाइन से अलग हटकर सरकार के खिलाफ वोट नहीं दिया।
पहले कम्युनिस्ट नेता जो स्पीकर बने
भारतीय राजनीति के एक दिग्गज नेता एवं सांसद सोमनाथ चटर्जी देश के पहले ऐसे कम्युनिस्ट नेता थे जो लोकसभा का अध्यक्ष बने। चटर्जी यूपीए-1 सरकार के दौरान 2004 में सर्वसम्मति से लोकसभा अध्यक्ष चुने गए थे।

शून्यकाल का सीधा प्रसारण
सोमनाथ दादा की पहल पर 5 जुलाई 2006 से शून्यकाल की कार्यवाही का सीधा प्रसारण शुरू किया गया। चटर्जी के कार्यकाल के दौरान ही जुलाई, 2006 में पूर्ण रूप से 24 घंटे चलने वाला लोकसभा टेलीविजन चैनल शुरू किया गया।
सरकारी खर्च पर चाय-पानी बंद कराई
जब सोमनाथ दादा 14वीं लोकसभा के स्पीकर चुने गए तो सबसे पहले  उन्होनेसरकारी खर्चे पर सांसदों के चाय-पानी पर पाबंदी लगाई। हालांकि उनके इस फैसले का विरोध भी हुआलेकिन इसकी परवाह नहीं की।  

उत्कृष्ट सांसद  -
1950 में रेणु चटर्जी से विवाह हुआ।
1968 में माकपा (सीपीएम) के सदस्य बने।
1971 में सोमनाथ चटर्जी पहली बार सांसद चुने गए।
1984 में जादवपुर सीट से ममता बनर्जी से चुनाव हारे, यह उनकी एकमात्र हार थी।
1989 से 2004 तक लोकसभा में सीपीएम संसदीय दल के नेता रहे।
1996 में सोमनाथ चटर्जी को उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
2009 में स्पीकर का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था।
2010 में उनकी आत्मकथा ''कीपिंग द फेथमेम्वायर्स ऑफ ए पार्लियामेंटेरियन का प्रकाशन हुआ।



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