Wednesday, 20 April 2011

टीवी पर क्षेत्रीय भाषाओं की बढ़ती ताकत


यह क्षेत्रीय भाषाओं की बढ़ती ताकत है कि बड़े बड़े मीडिया बायरन को इसके सामने शीश नवाना पड़ रहा है। स्टार और जी जैसे बड़े समूहों का क्षेत्रीय भाषाओं में चैनल आरंभ करना इसी का प्रमाण है। उन्हे वहां दर्शक और रेवेन्यू दोनों ही दिखाई दे रहा है। वैसी भाषाएं जिनके बोलने वाले आठ से 10 करोड़ तक लोग हैं उनके लिए सेटेलाइट चैनल का आरंभ होना कोई नई बात नहीं है। दुनिया कई ऐसे देश और ऐसी भाषाएं हैं जिनके बोलने वाले 10 करोड़ से ज्यादा नहीं हैं। उन भाषाओं में भी टीवी चैनल समफलता पूर्वक चल रहे हैं। भारत में कई 10 ऐसी भाषाएं जिसके बोलने वाले लोगों की संख्या पांच करोड़ से ज्यादा है। ऐसे में यहां क्षेत्रीय भाषा में चैनल की अपार संभावनाएं हैं। अभी जितने क्षेत्रीय चैनल दिखाई दे रहे हैं उससे ज्यादा की भविष्य में उम्मीद की जा सकती है। भाषायी दृष्टि से देखें तो पंजाबी और गुजराती बोलने वाले लोग सर्वाधिक अमीर हैं इसलिए इन भाषाओं में कई क्षेत्रीय चैनल हैं। अगर किसी बड़े समूह के क्षेत्रीय चैनल की बात करें तो इसकी सबसे पहले शुरूआत जी समूह ने की अपने अल्फा चैनलों के माध्यम से। अब इन चैनलों के नाम जी से ही जाने जाते हैं। स्टार ने भी तारा नाम से चार क्षेत्रीय चैनलों की शुरूआत की थी पर तब वह प्रयोग सफल नहीं रहा था पर अब स्टार ने बांग्ला और मराठी में अच्छी शुरूआत की है। पर अब क्षेत्रीय चैनलों में कई क्षेत्रीय समूह आ रहे हैं। इनमें कई समाचार पत्र समूह हैं तो कई स्वतंत्र व्यवसायी।

अपनी मातृभाषा से भला किसे लगाव नहीं होताचाहे आप खूब पढ़ लिखकर कितनी भी अच्छी अंग्रेजी बोलने लग जाएं मातृभाषा में जो मिठास महसूस की जा सकती है वह कहीं और नहीं हो सकती है। हिंदी के बाद सबसे बड़ा दर्शक वर्ग बांग्ला में है क्योंकि बांग्ला बोलने वाले लोग न सिर्फ पश्चिम बंगाल में बल्कि संपूर्ण बांग्लादेश की मातृभाषा भी बांग्ला है। दुनिया का पहला उर्दू चैनल आरंभ करने का श्रेय ईटीवी का जाता है। ईटीवी भारत के उन सभी शहरों में लोकप्रिय है जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है वहीं कश्मीर उसका अच्छा खासा दर्शक वर्ग हैं। वहीं दुनिया के कई अन्य मुस्लिम देशों में भी उसकी अच्छी पकड़ है। भले ही उर्दू अखबारों का सरकुलेश खत्म हो रहा है पर बोलने के रूप में उर्दू जबान अपनी मिठास और शायरी के कारण काफी लोकप्रिय है।

बोलने वालों की संख्या की दृष्टि से भोजपुरी भाषा का दायरा भी बहुत बड़ा है। बिहारउत्तर प्रदेशमध्य प्रदेशछत्तीसगढ़ का एक बड़ा इलाका भोजपुरी बोलता है। पिछले कुछ सालों से भोजपुरी फिल्में बड़ी मात्रा में बन रही हैं और हिट भी हो रही हैं। ऐसे में भोजपुरी भाषा के चैनल के लिए भी अच्छी संभावनाएँ हैं। संविधान की आठवीं अनुसूची में भोजपुरी के शामिल होने के मार्ग प्रशस्त हो जाने के बाद भोजपुरी को राजकीय सम्मान भी प्राप्त हो रहा है।

ईटीवी का बिहार चैनल भोजपुरी कंटेट का प्रसारण करता आ रहा है। पर देश में 24 घंटे के भोजपुरी चैनल के लिए भी काफी संभावनाएं हैं। ऐसे लखनऊ से एक समूह पूर्वा टीवी का प्रसारण आरंभ करने जा रहा है। आने वाले समय में भोजपुरी में कई और खिलाड़ी आ सकते हैं। वहीं कई बड़े औद्योगित समूहों की भी प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं के बढ़ते बाजार पर कड़ी नजर है। आने वाले समय में इस क्षेत्र में कई रोचक घमासान देखने को मिल सकता है। एक से 10 लाख की आबादी वाले कई शहरों में टैम मशीने लग जाने के बाद रीजनल चैलनों की भी टीआरपी का आकलन किया जा रहा है।
-- विद्युत प्रकाश मौर्य  ( 2006 ) 




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