Saturday, 30 April 2011

रीयलिटी शो - कैसे कैसे


टीवी पर दर्शकों को कुछ नया और वास्तविक दिखाने का प्रचलन इन दिनों बढ़ा है। इसी क्रम में भारत में टीवी शो के क्षेत्र में रीयलिटी शो का पदार्पण हो चुका है। अभी सोनी पर बिग बास नाम रियलिटी शो का प्रसारण हो रहा है। इसमें 13 प्रमुख सेलिब्रिटी को तीन महीने यानी 90 दिन तक एक ही घर में रहने के लिए भेजा गया है। इस दौरान वे दुनिया से कटे रहेंगे। फोनटीवी अखबार कुछ भी नहीं। बस बिग बास के द्वारा बातचीत। इसमें बिग बास की भूमिका फिल्मों के लोकप्रिय स्टार अरसद वारसी निभा रहे हैं। पर टीवी पर ऐसे शो की परंपरा कोई नई नहीं है। दुनिया का 100 से ज्यादा देशों के टीवी पर ऐसे शो लोकप्रिय हो रहे हैं। भारत में सोनी टीवी पर प्रसारित होने वाला शो बिग बास इसके मूल प्रोडक्शन हाउस एंडेमोल को सहयोह से ही निर्मित हो रहा है। यह शो मूल रुप से 1999 में नीदरलैंड में शुरू हुआ।
कैंडिड कैमरा - टीवी पर रियलिटी शो की शुरूआत सबसे पहले 1948 में कैंडिड कैमरा से आरंभ हुआ। इस शो में एक छुपा हुआ कैमरा होता था। शो में मौजूद लोगों को यह पता नहीं होता था कि उनकी बातें रिकार्ड हो रही हैं पर बाद में सब कुछ प्रसारित हो जाता था। एलेन फंट का यह धारावाहिक रेडियो पर प्रसारित होने वाले उन्ही के सीरिज कैंडिड माइक्रोफोन की अगली कड़ी थी।
रीयल वर्ल्ड - अगर हम नए संदर्भों में रियलिटी शो की बात करें तो इसकी शुरूआत 1992 में एमटीवी न्यूयार्क ने की। रीयल वर्ल्ड नामक इस सीरिज में डाक्यूमेंटरी स्टाइल में लोगों की जानकारी के बिना ही चीजें शूट की जाती थीं। बाद में भारत में भी एमटीवी ने इसी स्टाइल में एमटीवी बकरा नामक शो पेश किया जो एमटीवी का हास्य उत्पन्न करने वाला धारावाहिक था। ठीक इसी तरह का धारावाहिक एनडीटीवी प्रोडक्शन हाउस ने स्टार के लिए बनाया छुपा रुस्तम। इसमें कुछ लोगों समूह सार्वजनिक स्थलों पर अजीबोगरीब हरकतें करता हुआ पाया जाता था। उसमें कुछ लोग राह चलते लोग भी शामिल हो जाते थे। उन्हे बाद में पता चलता था कि वे छुपा रुस्तम में हैं और टीवी पर आ रहे हैं।
तरह तरह के शो - अगर रीयलिटी शो को अलग अलग भागों में बांट कर देखना चाहें तो टीवी पर दिखाए जाने वाले वे सभी धारावाहिक जो फिक्शन नहीं हैं वे किसी न किसी तरह से रियलिटी शो ही हैं। जैसे क्विज शोगेम शो इंटरव्यू पर आधारित शो आदि को भी हम इस श्रेणी में रखते हैं। इसमें हम दो तरह की श्रेणी देख सकते हैं। एक शो में तो लोगों को पता होता है कि वे कैमरे के सामने हैं वहीं कुछ शो में यह पता नहीं होता। कुछ शो में वास्तविकता का टच देने की कोशिश की जाती है तो कुछ में नाटकीयता आरोपित की जाती है। जैसे रजत शर्मा के शो आपकी अदालत जैसे शो में एक नकली अदालत का वातावरण तैयार किया जाता है तो शेखर गुप्ता के वाक द टाक में चलते चलते बातचीत की जाती है। यह सब कुछ शो को वास्तविक दिखाने की कोशिश का ही नमूना है। विदेशों में कुछ इंटरव्यू शो में मेहमान को बताया जाता है कि अब कैमरा आफ हो चुका है लिहाजा वह बेतकल्लूफ होकर बातें करने लगता है जबकि वह सब कुछ प्रसारित होता रहता है। इस तरह से उनकी वास्तविकता दिखाने की कोशिश की जाती है। हालांकि आप यह कह सकते हैं कि सामने को बताए बिना उसकी रिकार्डिंग प्रसारित कर देना उसके साथ धोखा हो सकता है। पर यह सब कुछ कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए किया जाता है। अनुपम खेर का वह शो जिसमें वे बच्चों से सवाल पूछते नजर आते हैं में भी बच्चों की वास्तविक अभिव्यक्ति देखने को मिलती है।

-विद्युत प्रकाश vidyutp@gmail.com

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