Wednesday, 6 April 2011

आ गया हाई डेफनिशन टीवी का दौर


दिल्ली में कॉमनवेल्थ खेलों की शुरूआत के साथ ही एक और इतिहास रचा जा चुका है। टेलीविजन प्रसारण के क्षेत्र में हमने हाईडेफनिशन यानी एचडी टीवी के दौर में कदम रख दिया है। 1982 में जब भारत में एशियाई खेलों की शुरूआत हुई थी तब पहली बार देश में रंगीन प्रसारण की शुरूआत हुई थी। अब साल 2010 में डीडी एचडी टीवी नामक नया चैनल शुरू कर चुका है। हाई डेफनिशन टीवी पर तस्वीरें परंपरागत टीवी की तुलना में पांच गुनी ज्यादा साफ दिखाई देती हैं। हालांकि अभी देश में हाई डेफनिशन टीवी देखने वालों की संख्या महज तीन लाख के आसपास है, लेकिन जल्द ही इस संख्या में इजाफा होगा। अगर दुनिया की बात करें 2003 में पहली बार अमेरिकन फुटबाल का प्रसारण हाई डेफनिशन टीवी पर हुआ था। तो डिश टीवी, रिलायंस बिग, सन डाइरेक्ट समेत कई डीटीएच आपरेटरों ने हाई डेफनिशन टीवी का प्रसारण अपने नेटवर्क पर शुरू कर दिया है।लेकिन हाई डेफनिशन टीवी का मजा लेने के लिए आपके डीटीएच का सेट टाप बाक्स भी हाई डेफनिशन रेडी होना चाहिए। यानी पुराने सेट टाप बाक्स को बदलना पड़ेगा। साथ ही अगर आपके पास परंपरागत सीआरटी यानी कैथोड रे ट्यूब वाला टीवी सेट है तो उस टीवी सेट को भी बदलना पड़ेगा। आजकल बाजार में जितने भी एलसीडी,एलईडी या प्लाज्मा स्क्रीन मिल रहे हैं, सभी हाई डेफनिशन रेडी हैं।

क्या है एचडी और एऩलॉग में अंतर-
हाई डेफनिशन टीवी की स्क्रीन का अनुपात 16:9 का होता है। जबकि परंपरागत सीआरटी टीवी का 4:3 का। यानी हाई डेफनिशन टीवी में स्क्रीन की चौड़ाई अधिक होती है, जैसा कि आप बाजार में मिलने वाले नए टीवी स्क्रीन और लैपटॉप आदि के स्क्रीन को देखते होंगे।समान्यटीवी एनलाग टेक्नोलाजी परकाम करता है जबकि एचडीटीवीडिजिटल तकनीक पर काम करता है। रिजोल्यूशन ज्यादा होने केकारण इस तरह के टीवी पर आपकोतस्वीर बिल्कुल साफ दिखाईदेगी। काफी हद तक वैसे जैसैघटनाएं आपकी आंखों के सामनेघट रही हों। समान्य भाषा मेंहम कह सकते हैं कि एचडीटीवीमें तस्वीर की स्पष्टता समान्यटीवी से पांच गुनी ज्यादा होगी।
परंपरागतटेलीविजन में जो तस्वीरें आपदेखते हैं वह कई सौ ब्राइटनेसलाइनों से मिलकर बनती हैं।इन लाइनों में छोटे-छोटेडाट्स (बिंदुहोतेहैं जिन्हें हम पिक्सेल कहतेहैं। आमतौर पर एनलाग रंगीनटीवी में 525 ब्राइटनेसलाइन होती हैं जबकि हर लाइनमें 500 डाट्सहोते हैं। इनसे मिलकर ही बनतीहै आपके टीवी की मुकम्मल तस्वीर।एनलॉग टीवी एनटीएससी ( नेशनलटेलीविजन स्टैंडर्ड कमिटीतकनीकपर काम करता है। इसमें अधिकतम 525 लाइनेंहोती हैं जिनमें 480 हीदिखाई देती हैं। समान्यतःटीवी की तस्वीर कुल 2.10 लाखपिक्सेल से बनती है। जबकिएचडीटीवी में तस्वीर 20 लाखपिक्सेल से बनती है। यानीएनलाग टीवी से तस्वीर 10 गुनीसाफ दिखाई देगी।
एचडीटीवीकी विशेषताएं
1.तस्वीरों की जीवंतताउच्चरिजोल्यूसन।
डाल्बीडिजिटल क्वालिटी की आवाज।
3.कंप्यूटरसे सीधे जोड़ने रिकार्ड करनेकी सुविधा
4. वाइडतस्वीर यानी अतिरक्त इमेजएरिया,स्क्रीनके चौड़ा होने के कारण एचडीटीवीमें वाइड उपस्थिति होती है।टीवी स्क्रीन का अनुपात 16- 9 काहोता है। वैसी ही जैसी कीसिनेमास्कोप फिल्म देखतेसमय महसूस होता है। यानीप्रसारण में आप अतिरिक्त इमेजएरिया देख सकते हैं। 5. एचडीटीवीमें 5.1 चैनलसीडी प्लेयर जैसी क्वालिटीकी आवाजहोती है। यानी आप घरमें होम थियेटर लगा सकते हैं।साथ ही डाल्बी डिजिटल क्वालिटीकी आवाज सुनी जा सकती है।
 6. एचडीटीवीमें तस्वीर का प्रसारण एमपीईजी-2 या एमईपीजी-4 तकनीकका इस्तेमाल होता है। वहीतकनीक जिसका इस्तेमाल कंप्यूटरोंमें तस्वीरें के लिए हो रहाहै। इसलिए एचडीटीवी की तस्वीरों कोकंप्यूटर या मल्टी मीडियापीसी पर सीधे रिकार्ड कियाजा सकता है।

अगर आप एचडीटीवी खरीद भी लेते हैंतो सिर्फ इतने से बात नहीं बनती। बेहतर क्वालिटी कीतस्वीर प्राप्त करने के लिएजरूरी है कि प्रसारक भी एचडीटीवीकी क्वालिटी पर ही प्रसारणकरें। अमेरिका और जापान केकई टेलीविजन प्रसारक अब इसतकनीक पर प्रसारण कर रहे हैं।यानी टेलीविजन स्टेशन के लिएतकनीक में अपग्रेडेशन जरूरीहोगा। भारत में भी डीडी एचडी के अलावा डिस्कवरी और नेशनल ज्योग्राफिर जैसे चैनलों ने एचडी प्रसारण शुरू कर दिया है। आने वालेदिनों में कई और ब्राडकास्टर इसतरह का बदलाव करने की तैयारी कर रहे हैं। टेलीविजनबनाने वाली कंपनियां धीरे-धीरे एचडीटीवी पर शिफ्ट कर रहीहैं। दुनिया भर के टीवी कंपनियों ने अब नए एनलॉग कलर टीवी का निर्माणपर रोक लगा दी है।
विद्युत प्रकाश मौर्य


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