Monday, 11 March 2019

देश की पहली स्वास्थ्य मंत्री - राजकुमारी अमृत कौर


(महिला सांसद - 01 ) 
सन 1951-52 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में कुल 24 महिलाएं चुनाव जीत कर आईं उनमें राजकुमारी अमृत कौर प्रमुख थीं। प्रख्ता गांधीवादी, स्वतंत्रता सेनानी राजकुमारी अमृत कौर को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपने मंत्रीमंडल में स्वास्थ्य मंत्री बनाया था। वे पहले संसदीय चुनाव में हिमाचल प्रदेश के मंडी-महासू लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीत कर आई थीं।

राजकुमारी अमृत कौर पंजाब के कपूरथला के राजा हरनाम सिंह की बेटी थीं। वे अपने सात भाइयों की एक मात्र बहन थीं। राजकुमारी इंग्लैंड में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एमए पास कर भारत लौटीं तो स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गईं। महलों में पलीं अमृत कौर ने महात्मा गांधी के प्रभाव में आने के बाद सादगी भरा जीवन अपना लिया। 1934 से वे बापू के आश्रम में जाकर रहने लगी थीं। उन्होंने लंबे समय तक बापू के सचिव के तौर पर भी काम किया।


देश के पहले स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए। देश में मलेरिया खत्म करने के लिए अभियाना चलाया। तब एशियाई देशों में मलेरिया बड़ी बीमारी थी जिससे हर साल लाखों लोगों की मौत हो रही थी। 1952 में उनकी अगुवाई में बाल कल्याण के लिए अग्रणी संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ चाइल्ड वेलफेयर की स्थापना हुई। वे ट्यूबरक्यूलोसिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया और हिंद कुष्ठ निवारण संघ की आरंभ से अध्यक्ष रहीं।


राजकुमारी जीवन पर्यंत सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहीं। वे गांधी स्मारक निधि और जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट की ट्रस्टी रहीं। कौंसिल ऑफ साइंटिफिक तथा इंडस्ट्रियल रिसर्च की शासी निकाय की सदस्य रहीं। वे दिल्ली म्यूजिक सोसाइटी की भी अध्यक्ष रहीं।


संगीत के अलावा राजकुमारी को खेलों से बड़ा प्रेम था। नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया की स्थापना इन्होंने की थी और इस क्लब की वह शुरू से अध्यक्ष रहीं। उन्हें टेनिस खेलने का खूब शौक था।

शाकाहारी और बच्चों से प्रेम
राजकुमारी को फूलों से और बच्चों से बड़ा प्रेम था। खानपान में वे विशुद्ध शाकाहारी थीं। बाइबिल के अतिरिक्त वे रामायण और गीता को भी प्रतिदिन पढ़ती थीं।1957 से 1964 तक राजकुमारी राज्य सभा की सदस्य रहीं। अपने जीवन के आखिरी दिनों में शिमला के समरहिल में रहा करती थीं। 1964 में 2 अक्तूबर को दिल्ली में उनकी मृत्यु हुई। वे कैथोलिक ईसाई परिवार से आती थीं पर उनकी इच्छा के अनुसार उनको दफनाया नहीं गयाबल्कि दिल्ली में यमुना तट पर जलाया गया।

सफरनामा

1889 में 2 फरवरी को लखनऊ के कपूरथला हाउस में राजकुमारी अमृत कौर का जन्म हुआ।
1945 में में यूनेस्को की लंदन बैठक में शामिल होने वाले प्रतिनिधि मंडल में राजकुमारी अमृत कौर उपनेत्री थी।

1947 से से 1957 तक वह भारत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहीं।

1948 और 1949 में वह ऑल इंडिया कॉन्फ्रेंस ऑफ सोशल वर्क की अध्यक्ष रहीं।

1948 से 1964 तक वे सेंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड की चीफ कमिशनर रहीं।

1950 में वह वर्ल्ड हेल्थ असेंबली की अध्यक्ष निर्वाचित हुई।

1950 से 1964 तक वह लीग ऑफ रेडक्रॉस सोसाइटीज की सहायक अध्यक्ष रहीं।

1957 में दिल्ली में उन्नीसवीं इंटरनेशनल रेडक्रास कॉन्फ्रेंस राजकुमारी की अध्यक्षता में हुई।


गांधी बुलाते थे इडियट

राजकुमारी अमृत कौर पर महात्मा गांधी के कई खत मिलते हैं। इनमें बापू स्नेह से राज कुमारी को इडियट लिखते हैं। तो कभी स्ट्यूपिड ( बेवकूफ) या बागी लिखते हैं। ऐसे खत में खुद को तानाशाह भी लिखते हैं। दिल्ली के लाजपत नगर इलाके में उनके नाम पर राजकुमारी अमृतनगर कॉलेज ऑफ नर्सिंग की स्थापना की गई है।

स्कूल में हॉकी टीम की कप्तान

ब्रिटेन के शेरबोर्न स्कूल में पढ़ाई के दौरान वे अपने स्कूल की हेड गर्ल थी। वे स्कूली जीवन में हॉकी की कप्तान भी थीं। 1918 में जब वे ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई करके लंदन से भारत लौंटी तो देश की राजनीति में दिलचस्पी लेने लगीं। उन्होंने गांधी जी को खत लिखा। 1930 के बाद वे स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रियता दिखाने लगीं। राज कुमारी अमृत कौर के निधन पर न्यूयार्क टाइम्स ने लंबी खबर प्रकाशित की।


 संदर्भ -
1 https://www.nytimes.com/1964/02/07/archives/rajkumari-amrit-kaur-75-dies-indias-first-minister-of-health.html
2 http://164.100.47.194/Loksabha/Members/womenar.aspx?lsno=1&tab=14
3 http://www.iccw.co.in/dared_dream.html








No comments: