Saturday, 23 March 2019

रेणुका रे - बापू की सलाह पर लंदन स्कूल ऑफ इकोनामिक्स से पढ़ाई की


( महिला सांसद 13 ) - रेणुका रे स्वतंत्रता-सेनानी , सामाजिक कार्यकर्ता के साथ दूसरी और तीसरी लोकसभा के सक्रिय सांसदों में थीं। लंदन स्कूल ऑफ इकोनामिक्स से शिक्षित रेणुका रे अपनी उच्च कोटि की सामाजिक आर्थिक समझ सांसद के तौर पर समाज कल्याण के कार्यों के लिए याद की जाती हैं।
योजना आयोग की सदस्य बनीं
दूसरी और तीसरी लोकसभा के सदस्य के तौर पर रेणुका रे ने महिलाओं और पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए सतत कार्य किया। 1959 में रेणुका रे की अगुवाई में समाज कल्याण और पिछड़ा वर्ग कल्याण के लिए एक समिति बनी। इस समिति की रिपोर्ट को रेणुका रे कमेटी के तौर पर जाना जाता है। वे योजना आयोग की सदस्य भी बनीं।
पद्मभूषण से सम्मानित
रेणुका रे की 1982 में आत्मकथात्मक पुस्तक आई तो भारत सरकार ने उनके कार्यों के लिए 1988 में पद्मभूषण से सम्मानित किया। वे विश्व भारती विश्वविद्यालय के शासकीय परिषद की सदस्य भी रहीं। उनपर ब्रह्म समाज का प्रभाव था। रेणुका रे के भाई सुब्रतो मुखर्जी वायु सेना के पहले एयर चीफ मार्शल बने। एक भाई प्रशांत मुखर्जी रेलवे बोर्ड के चेयरमैन बने।

महिलाओं के उत्थान के लिए समर्पित चेहरा
रेणुका के पिता सतीश चंद्र मुखर्जी आईसीएस अधिकारी और माता चारुलता मुखर्जी एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं। 16 साल की उम्र में गांधी जी से मुलाकात के बाद उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया। उन्होंने गांधी जी के आह्वान पर विदेशी शिक्षा का त्याग कर दिया था। बाद में माता पिता के आग्रह और गांधी जी की सलाह पर ही रेणुका ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से बीए किया। उनके शिक्षकों में हेरॉल्ड लास्की जैसे शिक्षक शामिल थे। रेणुका का विवाह सत्येंद्रनाथ रे से हुआ।
सन 1934 में उन्होंने ऑल इंडिया वूमेन कान्फ्रेंस  में काम करते हुए भारतीय महिलाओं की स्थिति पर महत्वपूर्ण अध्ययन किया। तब उनका रिपोर्ट थी कि भारतीय महिलाएं विश्व में सर्वाधिक शोषित स्थिति में हैं। रेणुका ने भारतीय महिलाओं के लिए समान कानून की वकालत की। 

झरिया कोयला खदान का दौरा
रेणुका रे ने 1933-34 में झारखंड के झरिया के सात कोयला खदानों का दौरा किया। वहां काम कर रही महिलाओं की इतनी बुरी स्थिति थी कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि महिलाओं को इतनी हानिकारक स्थिति में काम करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए और उनके लिए रोजगार के दूसरे विकल्प तलाशने चाहिए।

-              सफरनामा -
1904 में रेणुका रे का जन्म हुआ।
1953 में ऑल इंडिया वूमेन कान्फ्रेंस की अध्यक्ष बनीं।
1943 में केंद्रीय संविधान सभा की सदस्य चुनी गईं।
1952 से 1957 तक पश्चिम बंगाल में विधायक और राज्य में मंत्री रहीं।
1957 और 1962 में मालदा से लोकसभा के लिए चुनी गईं।
1982 में उनकी पुस्तक माई रीमिनिसेंस – सोशल डेवलपमेंट गांधी इरा एंड ऑफ्टर आई।
1997 में 93 साल की अवस्था में उनका निधन हो गया।
  


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