( महिला सांसद - 07 ) मिनीमाता छत्तीसगढ़ की पहली
महिला सांसद थीं। समाज का पिछड़ापन दूर करने के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन
समर्पित कर दिया। छुआछूत मिटाने के लिए उन्होंने इतना काम किया कि मिनी माता को
लोग मसीहा के रुप में देखा करते थे। मिनीमाता ने अलग छत्तीसगढ़ राज्य का मुखर समर्थन किया था।
छत्तीसगढ़ की रातमाता
वह किसी राजघराने से नहीं आती
थीं पर छतीसगढ़ की जनता उन्हें राजमाता जैसा सम्मान देती है। छत्तीसगढ़ सरकार उनके
सम्मान में हर साल महिलाओं के विकास के क्षेत्र में काम करने वालों को मिनीमाता
सम्मान देती है। छत्तीसगढ़ का विधानसभा भवन उनके नाम पर बना है। छत्तीसगढ़ के लोग
हर साल पुण्य तिथि पर मिनीमाता के सदकार्यों को याद करते हैं।
पीड़ित मानवता की सेवा
वे 1952,
1957, 1962, 1967 और
1971 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर सांसद चुनी गईं।
संसद में अस्पृश्यता विधेयक को पास कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाल विवाह, दहेज प्रथा दूर करने के लिए आवाज उठाई तो
गरीबी और अशिक्षा दूर करने के लिए काम करती रहीं। अनाथ और पीड़ितों की सेवा करना
उनके जीवान का प्रमुख लक्ष्य रहा। उन्होंने छत्तीसगढ़ में सिंचाई के लिए हंसदेव
बांध का निर्माण कराया। छत्तीसगढ़ के लोग उनको आज भी बड़े सम्मान से याद करते हैं।
गुरु घासी दास की बहू
मिनीमाता का जन्म 1913 में असम
के नौगांव में हुआ था। उनकी मूल नाम मीनाक्षी देवी था। छत्तीसगढ में 1901 से 1910
के बीच पड़े भीषण अकाल के दौरान उनके परिवार के लोगों को असम के चाय बगान में
मजदूरी के लिए जाना पड़ा था। रेलगाड़ी से असम जाते समय उनकी दो बहनें ट्रेन में ही
चल बसीं थीं। उनका बचपन काफी गरीबी में गुजरा। उनका विवाह छत्तीसगढ़ के सतनामी पंथ
के महान संत गुरुघासी दास से पुत्र गुरु अगम दास के संग हुआ था।
पांच बार संसद में
मिनीमाता के पति गुरु अगमदास
आजादी के आंदोलन में सक्रिय थे। पर 1951 में उनका अचानक देहांत हो गया। इसके बाद
उनकी विरासत मिनीमाता ने संभाली। पहली लोकसभा में वे बिलासपुर दुर्ग रायपुर लोकसभा
से जीतकर पहुंची। दूसरी लोकसभा में बोदला बाजार से निर्वाचित होकर संसद में
पहुंची। 1971 में उन्होंने अपने जीवन का आखिरी चुनाव जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से
चुनाव जीता था।
गरीबों दलितों की हमदर्द
मिनीमाता हमेशा गरीबों और
दलितों की मदद के लिए तैयार रहती थीं। संसद से लेकर सड़क तक उन्होने इसके लिए आवाज
उठाई। वे छत्तीसगढ़ मजदूर कल्याण संगठन, भिलाई की संस्थापक थीं। जब वे सांसद के रुप में दिल्ली में रहती थीं तो
उनका वास स्थान एक धर्मशाला जैसा था। छत्तीसगढ़ से जो कोई भी दिल्ली में आता, वह निर्जिंश्चत रहता कि मिनी माता का निवास तो है। मिनीमाता को असमिया,
हिंदी, छ्तीसगढ़ी और अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान
था।
सफरनामा
1913 में 15 मार्च को असम के
नौगांव में जन्म हुआ
1930 में 2 जुलाई को उनका विवाह
गुरु अगम दास के संग हुआ।
1952 में पहली बार लोकसभा की
सदस्य चुनीं गई।
1957,
1972 और 1967 में भी लोकसभा का चुनाव जीता।
1972 में 11 अगस्त को भोपाल से
दिल्ली जाते हुए विमान हादसे में उनका निधन हो गया
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