Sunday 24 March 2019

सुषमा सेन - पर्दा प्रथा खत्म करने के लिए जोरदार आवाज उठाई


(महिला सांसद 14 ) पहली लोकसभा में बिहार से दो महिला सांसद जीत कर पहुंची थीं। इनमें से एक थी भागलपुर दक्षिण से सुषमा सेन। उन्होंने बिहार में पर्दा प्रथा खत्म करने के लिए जोरदार अभियान चलाया। कैंब्रिज से शिक्षित सुषमा ने अपने राजनीतिक जीवन में बाल विवाहदहेज प्रथा और जातिवाद की समाप्ति के लिए लगातार प्रयास किए। उन्होंने पटना में तीन बाल कल्याण केंद्र खुलवाए।

भागलपुर कर्मभूमि बनी
बिहार के भागलपुर से बंगालियों का बहुत पुराना नाता रहा है। बांग्ला के प्रसिद्ध लेखक शरतचंद्र चटर्जीप्रीतीश नंदी और दादामुनि अशोक कुमार का भी इस शहर से रिश्ता रहा। सांसद सुषमा सेन भी बंगाली परिवा से ही थीं, लेकिन भागलपुर उनकी कर्मस्थली बनी। सुषमा सेन कांग्रेस की टिकट पर भागलपुर दक्षिण से जीतकर लोकसभा में पहुंची। उनके पिता कोलकाता के रहने वाले थे उनका नाम पीएन बोस था।
स्वदेशी आंदोलन में
सुषमा सेन का जन्म कोलकाता में 25 अप्रैल 1889 को हुआ था। उन्होंने लोरेटो हाउस कोलकातादार्जिलिंग और लंदन के कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी। उनकी शादी डॉक्टर पीके सेन से हुई। बंगाल विभाजन के बाद वे महात्मा गांधी के प्रभाव में आईं और उनके स्वदेशी आंदोलन से जुड़ गईं। उन्होंने 1910 में लंदन में मताधिकार के लिए महिलाओं के आंदोलन में भी शिरकत की। 1908-15 तक वे अघौर नारी समिति पटना की अध्यक्ष रहीं। वे चाइल्ड वेलफेयर कमेटीबिहार कौंसिल ऑफ वूमेन की भी अध्यक्ष रहीं। उन्होंने महिला अधिकार और बच्चों के लिए कई काम किए।
महिला कॉलेज की स्थापना कराई
सुषमा सेन ने भागलपुर में महिला कॉलेज की स्थापना करवाई साथ ही भागलपुर के अस्पताल में महिला वार्ड की स्थापना करवाई थी। उन्होंने बिहार में बंटवारे के बाद सिंध प्रांत से आए शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए काफी काम किया। वे नेशनल कैडेट कोर बिहार की अध्यक्ष भी रहीं।
घूमने और फोटोग्राफी का शौक
सुषमा सेन एक कुशल संगठक थीं। उन्होंने पटना में 1929 में ऑल इंडिया वूमेन कान्फ्रेंस का आयोजन करवाया था। उन्होंने कई देशों की यात्रा की थी। कला में उनकी गहरी रुचि थी और वे भारतीय और अंग्रेजी गानों की शौकीन थी। गायन और चित्रकारी का भी शौक रखती थीं। उन्हें घूमने और फोटोग्राफी करने का शौक था। खाली समय में रसोई में भी व्यंजन बनाती थीं। बाद में उन्होंने पटना के बेली रोड में अपना स्थायी निवास बनाया।
सफरनामा
1889 में 25 अप्रैल को उनका जन्म कोलकाता में हुआ।
1904 में बैरिस्टर पीके सेन के साथ उनका विवाह हुआ।
1929 में ऑल इंडिया वूमेन कान्फ्रेंस मद्रास की सदस्य बनीं।
1934 में बिहार में आए भूकंप के दौरान राहत कोष जुटाने में काम किया।
1941 में पटना म्युनिसपलिटी में चुनाव जीता।
1951 में कैंब्रिज में वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ फेथ में शिरकत की।


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