Saturday 16 March 2019

खादी और गांधीवाद के प्रति समर्पित रहीं मणिबेन


( महिला सांसद 06) - मणिबेन पटेल सरदार वल्लभभाई पटेल की बेटी होने के साथ एक स्वतन्त्रता सेनानी और पहली लोकसभा सदस्य थीं। वे चार बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा की सदस्य रहीं। पर मणिबेन ने अपने पूरा जीवन अत्यंत सादगी से जीया और वे स्वदेशी, खादी और गांधीवाद के प्रति समर्पित रहीं। सांसद के अलावा वे गुजरात प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में भी सक्रिय रहीं। 1957 से चार साल तक गुजरात प्रदेश कांग्रेस की सचिव और बाद में उपाध्यक्ष रहीं।

सांसद के तौर पर पारी
1952 का लोकभा चुनाव उन्होने गुजरात के खेड़ा (दक्षिण) लोकसभा क्षेत्र से जीता था। तब यह इलाका बांबे प्रांत का हिस्सा था। वे 1957 में एक बार फिर आनंद से लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद में पहुंची। बाद उनकी कांग्रेस पार्टी से दूरियां बन गईं। वे 1973-77 में पांचवी लोकसभा की भी सदस्य रहीं। उन्होंने 1977 में छठी लोकसभा का चुनाव गुजरात के मेहसाणा लोकसभा क्षेत्र से जनता पार्टी के टिकट पर जीता।
स्वतंत्रता आंदोलन में
मणिबेन पटेल का जन्म 3 अप्रैल 1903 को गुजरात के करमसप नामक स्थान में हुआ था। मणिबेन की शिक्षा-दीक्षा मुम्बई में हुई थी। महात्मा गांधी की शिक्षाओं से प्रभावित होकर शिक्षा के बाद वे 1918 के बाद से अहमदाबाद स्थित गांधीजी के आश्रम में ही रहकर राष्ट्र सेवा में जुट गईं। छह साल की उम्र में अपनी मां को खो चुकी मणिबेन अपने पिता के साथ देश के काम में जुट गईं। उन्होने असहयोग आन्दोलन और नमक सत्याग्रह में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। कई बार जेल गईं।
पिता की छत्रछाया में
1930 के दशक में मणिबेन अपने पिता का दायां हाथ बन गईं थीं। वह उनके दिनचर्या का ध्यान रखतीं। उनके साथ लगभग हर जगह जातीं। अपने पिता के हर काम का नोट बनाकर अपनी डायरी में रखतीं। वे हमेशा इस बात का ध्यान रखती थीं कि उनके पिता जो भी कपड़े पहन रहे हों वो उनके अपने चरखे पर ही काते हुए हों। जब 1928 में बारडोली सत्याग्रह हुआ तो  उसमें औरतें जुड़ने से कतरा रही थीं। तब मणिबेन ने मिठूबेन पेटिट और भक्तिबा देसाई के साथ मिलकर महिलाओं को इस आन्दोलन से जोड़ा।
गजब की इमानदार महिला
मणिबेन 1950 में सरदार पटेल की मृत्यु के बाद भी राजनीति में सक्रिय बनी रहीं। भारत में दुग्ध क्रांति के जन्मदाता वी कुरियन लिखते हैं - मणिबेन पटेलसरदार पटेल की बेटीगजब की ईमानदार और वफादारी निभाने वाले महिला थीं।
इमरजेंसी में जेल गईं
मणिबेन गुजरात प्रदेश कांग्रेस की सचिव और उपाध्यक्ष भी रहीं। सन 1975 में जब इमरजेंसी लगी तो नारेबाजी के आरोप में उन्हें जेल में डाल दिया गया था। सन 1990 में मणिबेन का गुमानामी में निधन हो गया।

मणिबेन ताउम्र सामाजिक कार्यो में भी सक्रिय रहीं। वे 1976-77 में गुजरात विद्यापीठ काउंसिल, नवजीवन ट्रस्ट, महादेव देसाई मेमोरियल ट्रस्ट, बारडोली स्वराज आश्रम ट्रस्ट, सरदार वल्लभ भाई पटेल समाजसेवा ट्रस्ट के सदस्य के तौर पर सक्रिय रहीं। वे खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड की भी सदस्य रहीं।
सफरनामा
1903 में तीन अप्रैल को करमसाद (आनंद) गुजरात में मणिबेन का जन्म हुआ।
1990 में मणिबेन पटेल का निधन हो गया।
1925 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गईं।
1952 और 1957 में पहला और दूसरा लोकसभा का चुनाव जीता।
1964 से 1970 तक राज्यसभा की सदस्य रहीं।
1969 में कांग्रेस ओ में शामिल हो गईं
1975 में इमरजेंसी के दौरान सत्याग्रह में हिस्सा लिया और जेल गईं।
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