Wednesday, 13 March 2019

सुचेता कृपलानी – देश की पहली महिला मुख्यमंत्री


( महिला सांसद -03 ) 
गरीबों-महिलाओं की हमदर्द
सुचेता कृपलानी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने से पहले लगातार दो बार लोकसभा के लिए चुनी गई। उनके नाम देश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का कीर्तिमान है वह भी आबादी में सबसे बड़े राज्य का। वे गरीबों और महिलाओं के प्रति काफी हमदर्द थीं। सांसद और विधायक के तौर पर वे अपने क्षेत्र के लोगों के लिए पूरा समय निकालती थीं। वे समस्याओं को टालने के बजाय तुरंत निपटाने पर जोर देती थीं।
तीन बार संसद में
सुचेता 1952 और 1957 में लगातार नई दिल्ली लोकसभा से चुनाव जीतकर संसद में पहुंची। पहला चुनाव उन्होंने किसान मजदूर प्रजा पार्टी से जीता था। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गईं। नेहरु मंत्रीमंडिल में लघु उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री रहीं। वे 1967 में एक बार फिर गोंडा लोकसभा चुनाव जीत कर संसद में पहुंची।

स्वतंत्रता आंदोलन में
सुचेता ने अरुणा असफ अली और उषा मेहता के साथ भारत छोडो आन्दोलन में हिस्सा लिया था। सुचेता ने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान लड़कियों को ड्रिल करना और लाठी चलाना सिखाया। सन 1942 में सारे बड़े नेताओं के जेल चले जाने पर उन्होंने अंडरग्राउंड रहकर आंदोलन का नेतृत्व किया। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वे बापू की करीबी थीं। नोवाखाली यात्रा में भी वह बापू के साथ रहीं।

दिल से कोमल, शासन में कठोर
सुचेता दिल की कोमल तो थींलेकिन प्रशासनिक फैसले लेते समय वह दिल नहीं दिमाग की सुनती थीं। उनके यूपी के मुख्यमंत्रित्व काल में राज्य के कर्मचारियों ने लगातार 62 दिनों तक हड़ताल जारी रखी,लेकिन वह कर्मचारी नेताओं से सुलह को तभी तैयार हुईजब उनके रुख में नरमी आई। उनके निधन पर शोक संदेश में श्रीमती इंदिरा गांधी ने कहा, सुचेता जी ऐसे दुर्लभ साहस और चरित्र की महिला थीं,जिनसे भारतीय महिलाओं को सम्मान मिलता है।

जेबी कृपलानी से विवाह
अंबाला में एक बंगाली परिवार में जन्मी सुचेता मजुमदार ने समाजवादी नेता और हैदराबाद (पाकिस्तान) में पैदा हुए जेबी कृपलानी से विवाह किया। सुचेता और जेबी कृपलानी दोनों ही काशी हिंदू विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर रहे। इसी दौरान दोनों का परिचय हुआ। बाद में बापू के आश्रम में जाकर उनका प्रेम परवान चढ़ा और उन्होंने तमाम पारिवारिक विरोध के बावजूद विवाह कर लिया। सुचेता कांग्रेस में रहीं जबकि उनके पति सोशलिस्ट पार्टी में। पर दोनों के रिश्ते जीवन पर सौहार्दपूर्ण रहे।

सफरनामा
1908 में अंबाला में जन्मी सुचेता कृपलानी की शिक्षा लाहौर और दिल्ली में हुई।
1946 में वह संविधान सभा की सदस्य चुनी गई।
1950 से 1952 तक प्रोविजनल लोकसभा की सदस्य रहीं।
19521957 और 1967 में लोकसभा का चुनाव जीता।
1958 से 1960  तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव रहीं।
1962 में मेंहदावल (संत कबीरनगर) से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित।
1963 से 1967 तक वह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं।
1974 में एक दिसंबर को उनका निधन हो गया।

गांधी जी ने किया था विवाह का विरोध
सुचेता मजुमदार और जेबी कृपलानी की उम्र में 20 साल का अंतर था। सुचेता ने अपनी किताब 'सुचेता एन अनफिनिश्ड ऑटोबॉयोग्राफी'में लिखा है कि गांधीजी ने उनके विवाह का विरोध किया था। बापू को लगता था कि पारिवारिक जिम्मेदारियां उन्हें आज़ादी की लड़ाई से विमुख कर देंगी। गांधी ने कृपलानी से कहाअगर तुम उससे शादी करोगे तो मेरा दायां हाथ तोड़ दोगे। तब सुचेता ने उनसे कहावह ऐसा क्यों सोचते हैं बल्कि उन्हें तो ये सोचना चाहिए कि उन्हें आज़ादी की लड़ाई में एक की बजाए दो कार्यकर्ता मिल जाएंगे। 



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