Tuesday, 26 March 2019

कविगुरु टैगोर मानते थे उन्हें अपनी बेटी


( महिला सांसद 16) 
मंजुला रानी देवी- ग्वालपाड़ा (असम)
मंजुला रानी देवी दूसरी लोकसभा में असम के ग्वालपाड़ा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत कर पहुंची। उन्हें वीणा बजाने और शास्त्रीय गायन और तैल चित्र बनाने का शौक था। कविगुरु रविंद्रनाथ टैगोर उन्हें अपनी बेटी मानते थे। टैगोर बचपन में उन्हें पढ़ाई के लिए शांतिनिकेतन ले जाना चाहते थे पर ऐसा नहीं हो सका। विवाह के बाद टैगोर का आशीर्वाद लेने शांतिनिकेतन पहुंची।
मंजुला रानी ने 1957 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत दर्ज की। तब असम में ग्वालापाड़ा में लोकसभा के सदस्य चुने जाते थे। इसमें वर्तमान मेघालय के गारो हिल्स के इलाके भी आते थे। आजकल ग्वालपाड़ा लोकसभा सीट नहीं रह गई है। अब इसका बड़ा हिस्सा धुबड़ी लोकसभा क्षेत्र में आता है।
पीथापुरम के राजा की बेटी
मंजुला आंध्र प्रदेश के गोदावरी जिले के पीथापुरम के महाराजा की बेटी थीं। उनका जन्म पीथापुरम में हुआ था। उनकी स्कूली पढ़ाई चर्च पार्क कान्वेंट चेन्नई में हुई। कवि गुरु रविंद्र नाथ टैगोर उनके पिता के राजभवन में मेहमान बनकर आए थे। बचपन में उनके जीवन पर टैगोर का प्रभाव पड़ा। टैगोर के प्रभाव में आकर वे कविताएं और गद्य लिखने लगीं। वैसे उन्हें फोटोग्राफी और शिकार करने का भी शौक था।
आंध्र से ब्याह कर असम पहुंची
मंजुला रानी का विवाह सिधली के राजा अजीत नारायण देब के साथ हुआ। सिधली असम के ग्वालपाड़ा जिले में एक प्रिंसले स्टेट हुआ करता था। शादी के बाद वे समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय हुईं। मंजुला धुबड़ी एजुकेशन बोर्ड की अध्यक्ष बनीं। वे असम प्रदेश महिला समिति की 1952 से 1957 तक अध्यक्ष रही। वे नेशनल काउंसिल फॉर वूमेन की सदस्य रहीं। 
शरणार्थी महिलाओं के लिए काम
स्वतंत्रता के बाद उन्होंने धुबड़ी के रुपसी मे उन्होंने बांग्लादेश से आई शरणार्थी महिलाओं के पुनर्वास के लिए काम किया। उन्होंने महिलाओं के कल्याण के लिए 40केंद्रों की स्थापना करवाई। असम में बाढ़ और भूकंप के दौरान उन्होंने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
शिलांग में आखिरी दिन
लेखिका उमा पुरकायस्थ लिखती हैं, मंजुला रानी अपनी संसदीय पारी खत्म होने के बाद शिलांग में रहती थीं। वहां उन्होंने सिधली हाउस नाम से बंगला बनाया था जहां वे नब्बे के दशक में रहती थीं। वे शिलांग क्लब की सदस्य रहीं। अपने चित्रकार पुत्र जयंत की मृत्यु के बाद उन्होंने एक बेटी गोद ली थी।

सफरनामा
1912 में 5 जनवरी को मंजुला देवी का जन्म हुआ।
1932 में उनका विवाह सिधली के राजा के संग हुआ।
1948 में शिलांग में टैगोर की स्मृति मे सिधली हाउस खरीदा
1957 में दूसरी लोकसभा का चुनाव जीता।
1952 में उन्होंने रीडिंग, ब्रिटेन में आयोजित इंटरनेशनल कान्फ्रेंस फॉर वूमेन में हिस्सा लिया।


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