Monday 25 March 2019

उमा नेहरू -अरुण नेहरु की दादी उमा संपादक और लेखिका भी थीं


( महिला सांसद - 15 ) पहली और दूसरी लोकसभा की सदस्य उमा नेहरु हिंदी की लेखिका और नारी उत्थान के लिए समर्पित चेहरा थीं। उमा नेहरु ने 1952 और 1957 में लोकसभा का चुनाव जीता और अपने जीवन के आखिरी दिनों में राज्यसभा की सदस्य रहीं। उन्होंने लोकसभा में यूपी के सीतापुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। तब सीतापुर लखीमपुर खीरी संयुक्त लोकसभा सीट हुआ करती थी। इस क्षेत्र से पहली और दूसरी लोकसभा में दो सांसदों का निर्वाचन होता था।
नेहरु परिवार में विवाह
उमा नेहरु का जन्म आगरा में निरंजननाथ कुकु के परिवार में हुआ। उनकी स्कूली पढ़ाई कर्नाटक के हुबली के सेंट मेरी कान्वेंट में हुई। 1901 में उनका विवाह पंडित जवाहर लाल नेहरु के चचेरे भाई श्यामलाल नेहरु के साथ हुआ। उनके बेटे आनंद नेहरु थे। आनंद के बेटे अरुण नेहरु भी राजनीति में सक्रिय रहे।
यूपी विधानसभा की सदस्य बनीं
विवाह के बाद वे इलाहाबाद में सामाजिक कार्यों से जुड़ गईं। ऑल इंडिया वूमेन कांग्रेस की इलाहाबाद इकाई की स्थापना की। वे इलाहाबाद शहर कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष चुनीं गईं। वे इलाहाबाद म्युनिसिपल बोर्ड की भी सदस्य रहीं। बाद में उमा उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य भी चुनीं गईं। स्वतंत्रता के बाद वे पाकिस्तान से आने वाले शरणार्थियों के पुनर्वास कार्यक्रम में भी सक्रिय रहीं।
नारीवादी लेखिका
उमा हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषा की अच्छी जानकार थीं। बीसवीं सदी की शुरुआत में उमा ने नेहरु स्त्री दर्पण नामक पत्रिका में नियमित तौर पर लिखती थीं। उनके विचार स्त्रीवादी होते थे। स्त्री दर्पण पत्रिका की संपादक रामेश्वरी नेहरु थीं। बाद में उमा ने भी स्त्री दर्पण और मर्यादा नामक पत्रिकाओं का संपादन भी किया। उमा नेहरु ने हिंदी में कुछ पुस्तकें भी लिखीं। मदर इंडिया और बिपदा उनका प्रमुख पुस्तकें हैं।
स्वतंत्रता आंदोलन में
उमा नेहरु ने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रियता से हिस्सा लिया। गांधी जी से प्रभावित होकर चरखा चलाना सीखा। उन्होंने होम रुल लीग और सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी हिस्सा लिया। उन्होने नमक सत्याग्रह में अपनी अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई। उमा नेहरु ने आगे भारत छोडो आंदोलन में भी सक्रियता से हिस्सा लिया।
1962 का चुनाव हार गईं
सीतापुर से दो बार लोकसभा का चुनाव जीतने वाली उमा नेहरु 1962 में तीसरी लोकसभा का चुनाव सीतापुर से हार गईं। उन्हे जनसंघ के सूरज लाल वर्मा ने उन्हे पराजित कर दिया। इसके बाद कांग्रेस ने इसी साल उन्हें राज्यसभा में भेजा। 
पियानो बजाना पसंद था
उमा नेहरु को लिखने और पढ़ने के अलावा पियानो पर अंग्रेजी संगीत बजाना और बैडमिंटन खेलना भी पसंद था। खाली समय में करघा चलना, बागवानी करना और संगीत सुनना उनके शौक थे। अपने जीवन के आखिरी दिनों में वे लखनऊ में रहा करती थीं।
सफरनामा
1884 में 8 मार्च को आगरा में जन्म हुआ।
1952 और 1957 में लोकसभा का चुनाव जीता।
1962 में राज्यसभा की सदस्य चुनीं गईं।
1963 में 28 अगस्त को लखनऊ में निधन हो गया।
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