( महिला सांसद -02 ) विजय लक्ष्मी पंडित भारत के
पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की बहन थीं। वे नेहरु जी से 11 साल छोटी विजय लक्ष्मी का जन्म प्रयागराज के आनंद भवन में हुआ।
वे पहली लोकसभा में
1952 लखनऊ सेंट्रल से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत कर पहुंची। 1964 में नेहरु जी
के निधन के बाद उन्होंने फूलपुर से लोकसभा का उपचुनाव जीता। वे 1967 में भी फूलपुर
से निर्वाचित हुईं। देश के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी रही।
अधिकारों के लिए संघर्ष
विजय लक्ष्मी पंडित ने अपने
जीवन में महिलाओं का अधिकार दिलाने के लिए बहुत संघर्ष किया। उनकी ही मेहनत से
आजादी के बाद महिलाओं को अपने पति और अपने पिता की सम्पत्ति का उत्तराधिकार
प्राप्त हो सका।
आंदोलन और जेल
उनकी शुरुआती शिक्षा मुख्य रूप
से घर में ही हुई थी। उनका विवाह 1921 में काठियावाड़ के सुप्रसिद्ध वकील सीताराम
पंडित से हुआ। गांधीजी से प्रभावित होकर उन्होंने भी आजादी के लिए आंदोलन में
हिस्सा लेना शुरू किया। वह हर आन्दोलन में आगे रहते हुए कई बार जेल भी गईं।
आन्दोलन में भाग लेने के कारण उन्हें 1932 में गिरफ्तार भी किया गया।
ब्रिटिश राज में मंत्री बनीं
ब्रिटिश राज के दौरान किसी
कैबिनेट पद पर पहुंचने वाली प्रथम महिला विजयलक्ष्मी पंडित ही थीं। 1937 में उनका
निर्वाचन यूनाइटेड प्रॉविंसेज के विधानमंडल में हुआ। उन्हें स्थानीय स्वप्रशासन
एवं जन-स्वास्थ्य विभाग में मंत्री बनाया गया। वे 1939 तक और बाद में 1946 से 1947
तक इस पद पर रहीं। विजय लक्ष्मी पंडित भारत की संविधान सभा की सदस्य भी थीं।
उन्होंने 1952 में चीन जाने वाले सद्भावना मिशन का भी नेतृत्व किया।
कई देशों में भारत की राजदूत
वर्ष 1945 में विजयलक्ष्मी
पंडित अमेरिका गईं और अपने भाषणों के द्वारा उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के पक्ष
में जोरदार प्रचार किया। स्वतंत्रता के बाद उन्होंने 'संयुक्त राष्ट्र संघ' में भारत के प्रतिनिधि
मंडल का नेतृत्व किया। वे संघ में महासभा की प्रथम महिला अध्यक्ष निर्वाचित की
गईं। उन्होंने रूस, अमेरिका, मैक्सिको, आयरलैण्ड और स्पेन में भारत के
राजदूत और इंग्लैण्ड में हाई कमिश्नर के पद पर कार्य किया।
द स्कोप ऑफ हैप्पीनेस
'द स्कोप ऑफ
हैप्पीनेस-ए-पर्सनल मेमोएर' विजयालक्ष्मी पंडित की
आत्मकथात्मक पुस्तक है। विजयलक्ष्मी ने 1952 में ग्रामीण सभ्यता व संस्कृति से
परिचय हेतु राजस्थान के बाडमेर जिले के सांस्कृतिक गांव बिसाणिया में 'मालाणी डेलूओं की ढाणी' का ऐतिहासिक दौरा किया
था।
बाद में कांग्रेस की आलोचक
अपने आखिरी दिनों में वे
केन्द्र की कांग्रेस सरकार की नीतियों की आलोचना करने लगी थीं। विजयलक्ष्मी आपातकाल के दौरान खुलकर इनके विरोध में आ गई थीं। उन्होंने
इंदिरा के इस कदम को लोकतांत्रिक देश के लिए एक काला दिन बताया था।
- सफरनामा
-
1900 में 18 अगस्त को इलाहाबाद
के आनंद भवन में जन्म हुआ।
1921 में सीताराम पंडित से उनका
विवाह हुआ।
1940 से 1942 अक वे ऑल इंडिया
वूमेन्स कान्फ्रेंस के अध्यक्ष के पद पर रहीं।
1949 से 1951 तक संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत की राजदूत रहीं।
1946 से 1968 के मध्य उन्होंने
संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी किया।
1953 में संयुक्त राष्ट्र
महासभा का अध्यक्ष चुना गया। वे इस पद पर आसीन होने वाली विश्व की प्रथम महिला
थीं।
1958 में उनकी पुस्तक द
इवॉल्यूशन ऑफ इंडिया प्रकाशित हुई।
1962 से 1964 तक वे महाराष्ट्र
के राज्यपाल के पद रहीं।
1967 में फूलपुर लोकसभा से
कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता।
1979 में उन्हें संयुक्त
राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का प्रतिनिधि नियुक्त किया गया।
1990 में एक दिसंबर को देहरादून
में उनकी मृत्यु हुई।
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