Sunday 31 March 2019

बड़ौदा के दीवान की बेटी भारत छोड़ो आंदोलन में कूदीं


( महिला सांसद 18 ) जयश्री रायजी पहली लोकसभा में मुंबई से चुनाव जीत कर पहुंची। उनका जीवन स्वदेशी, महिला और बाल विकास के लिए समर्पित रहा। 1951-52 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने मुंबई के उपनगरीय लोकसभा क्षेत्र से टिकट दिया।   

बड़ौदा के दीवान की बेटी
जयश्री रायजी बड़ौदा राज्य के दीवान सर मनुभाई मेहता की बेटी थीं। उनके पिता बाद में बीकानेर राज्य के प्रधानमंत्री भी बने। उन्होंने बड़ौदा कॉलेज, बड़ौदा से स्नातक तक पढ़ाई की। मुंबई के बड़े कारोबारी घराने में विवाह के बाद वे मुंबई आ गईं। पर ऐशओआराम की जिंदगी छोड़ वे समाज सेवा में सक्रिय हो गईं। वे 1919 में बांबे प्रेसिडेंसी वूमेन काउंसिल की चेयरमैन बनीं। वे 1920 में राष्ट्रीय स्त्री सभा की सचिव बनीं।
भारत छोड़ो आंदोलन में जेल
स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रियता दिखाते हुए 1930 में उन्होंने देश सेविका संघ का नेतृत्व करते हुए विदेशी कपड़ों की होली जलाने और विदेशी शराब की दुकानों को बंद कराने में सक्रियता से हिस्सा लिया। 1939 से 1943 के बीच स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। वे भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गिरफ्तार हुईं और छह महीने जेल में भी रहीं।

स्वदेशी के प्रति समर्पण
स्वदेशी के प्रति उनका समर्पण कुछ इस कदर था कि उन्होंने कई महिला सहकारिता स्टोर को खोलवाने में सक्रिय भूमिका निभाई। स्वदेशी वस्त्रों को बढ़ावा देने के लिए मुंबई में कई प्रदर्शनियों का भी आयोजन किया। आजादी के बाद भी लगातार स्वदेशी वस्त्रों को बढ़ावा देने के लिए कार्य करती रहीं।  

दंगा पीड़ितों के लिए कार्य
भारत विभाजन के बाद देश के कई हिस्सों में हुए दंगों के बाद शांति बहाली के लिए उन्होंने कुछ समय के लिए मजिस्ट्रेट की भूमिका निभाई। दंगों के दौरान पीड़ित लोगों के पुनर्वास के लिए कोष जुटाने में भी उन्होंने सक्रियता से भागीदारी निभाई।  वे मुंबई के वनिता विश्राम प्रबंधन समिति की सदस्य भी रहीं जो विधवा आश्रम का संचालन करती थी।

शैक्षणिक संस्थाओं से जुड़ाव
जयश्री तमाम शैक्षणिक संस्थाओँ के साथ पूरी सक्रियता से जुड़ी रहीं। मुंबई यूनीवर्सिटी की सीनेट की सदस्य भी रहीं। वे देश के पहले महिला विश्वविद्यालय एसएनडीटी के सिंडिकेट की भी सदस्य रहीं। बाद में दिल्ली के लेडी इरविन कॉलेज के प्रबंधन समिति में भी रहीं। वे 1952 में इंडियन काउंसिल ऑफ चाइल्ड वेलफेयर के संस्थापक सदस्यों में रहीं। जयश्री 1950 से 1953 के बीच ऑल इंडिया वूमेंस कान्फ्रेंस की वाइस प्रेसिडेंट चुनीं गईं।

जमनालाल बजाज अवार्ड
महिला और बाल विकास के क्षेत्र में उनके जीवन पर्यंत किए गए कार्यों के लिए उन्हें 1980 में प्रतिष्ठित जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जयश्री का आखिरी समय मुंबई में गुजरा। सक्रिय राजनीति से अलग होने के बाद भी उन्होंने महिलाओं और बच्चों के कल्याण से जुड़ी संस्थाओं के लिए काम करना जारी रखा। उन्होने ब्रिटेन और यूरोपीय देशों का दौरा किया था।

सफरनामा
1895 में 26 अक्तूबर को उनका जन्म सूरत में हुआ।
1918 में उनका विवाह एमएन रायजी के संग हुआ।
1952 में मुंबई उपनगर से चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंची।
1950 से 1953 के बीच ऑल इंडिया वूमेंस कान्फ्रेंस की वाइस प्रेसिडेंट चुनीं गईं।
1980   में महिला और बाल विकास के लिए जमनालाल बजाज अवार्ड मिला।
1985 में मुंबई में उनका निधन हो गया।


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