Friday 15 March 2019

तारकेश्वरी सिन्हा - पहली महिला वित्त राज्यमंत्री

(महिला सांसद 05 ) 
तारकेश्वरी सिन्हा पहली लोकसभा में 1952 में पटना पूर्वी लोकसभा से कांग्रेस से टिकट पर चुनाव जीत कर पहुंची थी।
बिहार से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाली कार्यकर्ता महज26 वर्ष की आयु में 1952 में वे पटना पूर्व निर्वाचन क्षेत्र से जीतकर संसद में पहुंची। वे पहली लोकसभा के सबसे युवा चेहरों में शुमार थीं। पहली लोकसभा में वे ग्लैमर गर्ल ऑफ पार्लियामेंट थीं। राजनीति की गहरी समझ रखने वाली तारकेश्वरी सिन्हा लोकसभा में जब बोलना शुरू करतीं तो पूरी संसद शांत होकर उन्हें सुनती थी। उनके अंदाजे बयां में हमेशा शेरो-शायरी का पुट रहता था।
देश की पहली वित्त राज्य मंत्री
1958 से 1964 तक नेहरु जी के कैबिनेट में वे वित्त राज्य मंत्री रहीं। वित्तममंत्रालय में काम करने वाली वे पहली महिला मंत्री थीं।
पटना के सर्जन की बेटी
तारकेश्वरी सिन्हा के पिता शिवनंदन प्रसाद सिंह पटना के जानेमाने सर्जन थे। वे उनकी अकेली पुत्री थीं। उनके पति निधिदेव सिंह तब के देश के प्रसिद्ध वकील थे और राज्य सरकार के मुकदमे लड़ते थे। शादी के बाद वे कुछ समय कोलकाता में रहीं। बाद में उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स से राजनीति विज्ञान में उच्च शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद भारत लौटने पर वे राजनीति में सक्रिय हो गईं।
भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय
कॉलेज में पढाई के दौरान ही वह पटना में छात्र राजनीति में सक्रिय हो गईं। महज 19-20 साल की उम्र में वे बिहार की बड़ी छात्र नेता के रूप में उभरीं।  इसके बाद 1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर वे 1957, 1962 और 1967 में बाढ़ से जीतीं। सन 1969 में कांग्रेस में विभाजन होने पर वे मोरारजी देसाई के खेमे में चली गईं। 1971 में उन्होंने कांग्रेस ओ के टिकट पर बाढ से चुनाव लड़ा पर हार गईं। बाद में वे कांग्रेस में वापस आ गईं। वे 1977 में बेगुसराय से कांग्रेस के टिकट पर लड़ी पर जनता लहर में पराजित हो गईं।
लेखिका और शायरी
तारकेश्वरी सिन्हा हिंदी और अंग्रेजी धारा प्रवाह बोलती थीं। जीवन पर्यंत पत्र पत्रिकाओं के लिए लेखन में सक्रिय रहीं। सार्वजनिक मंच पर भाषणों के दौरान वे शेरो-शायरी की झड़ी लगा देती थीं। उन्हे हजारों शेर जुबानी याद थे। एक बार गुलजार ने कहा था कि उनकी फिल्म आंधी में जो चरित्र है वह तारकेश्वरी सिन्हा से प्रेरित था। उन्हें टेनिस बैडमिंटन और कैरम खेलना पसंद था।
तारकेश्वरी सिन्हा ने 1980 के बाद राजनीति से संन्यास ले लिया पर समाज सेवा और सार्वजनिक जीवन में पूरी ऊर्जा से वे सक्रिय रहीं।
सफरनामा
1926 में 26 दिसंबर को उनका जन्म पटना में हुआ
1943 में वकील निधिदेव सिन्हा से विवाह हुआ।
1957 और 1962 में लोकसभा का चुनाव बाढ़ से जीता। 
1952 से 1957 तक संसद की लोक लेखा समिति की सदस्य रहीं।
2007 में 14 अगस्त को नई दिल्ली में उनका निधन हो गया।
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