Thursday 14 March 2019

सुशीला नायर – जन स्वास्थ्य के प्रति समर्पित नाम


( महिला सांसद 04 ) 
पेशे से डॉक्टर और महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी की निकट सहयोगी डॉक्टर सुशीला नायर चार बार सांसद रहीं। दूसरी, तीसरी और चौथी लोकसभा में 1957 में उत्तर प्रदेश के झांसी से चुनाव जीत कर पहुंची। एक बार फिर 1977 में उन्होंने झांसी से ही जनता पार्टी से लोकसभा का चुनाव जीता। केंद्र सरकार में वे 1962 से 1967 के बीच स्वास्थ्य मंत्री रहीं।
एक डॉक्टर ने जब राजनीति पारी शुरू की तो उनका लक्ष्य हमेशा देश में जन स्वास्थ्य की सुविधाएं बेहतर बनाने को समर्पित रहा। वर्धा, झांसी समेत देश में कई पिछले इलाकों में अस्पतालों की स्थापना उनके नेतृत्व में हुई। फरीदाबाद में उन्होंने ट्यूबरक्लोसिस सेनेटोरियम की स्थापना करवाई। तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की प्रेरणा से उन्होंने वर्धा के महात्‍मा गांधी इंस्‍टीट्यूट आफ मेडिकल सांइसेज से पढ़ाई करने वाले डॉक्टरों को ग्रामीण क्षेत्र में जाकर काम करने के लिए प्रेरित किया।
पहले दिल्ली की सियासत में
स्वतंत्रता के बाद डॉक्टर सुशीला नायर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सियासत में सक्रिय हुईं। 1952 में विधानसभा का चुनाव जीता। तब वे राष्ट्रीय राजधानी की राजनीति का प्रमुख चेहरा थीं। वे मुख्यमंत्री पद की दावेदार थीं पर उन्हें दिल्ली की पहली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री का पद मिला। बाद में वे दिल्ली विधानसभा की अध्यक्ष भी बनीं।
सेवाग्राम में बापू के साथ
डॉक्टर सुशीला नायर बापू के निजी सचिव प्यारेलाल नायर की छोटी बहन थीं। लेडी हार्डिंग कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद 1939 में वे अपने भाई प्यारेलाल से मिलने जब वे सेवाग्राम पहुंची, इसी दौरान इलाके में इलाके में हैजा फैला था। वहां सुशीला नायर ने बतौर डाक्टर बड़े मनोयोग से काम किया। 
बापू की निजी चिकित्सक
डॉक्टर विधानचंद्र राय की सलाह पर सुशीला ने महात्मा गांधी और कस्तूरबा के चिकित्सक का दायित्व संभाला। 1942 में वे एमडी डिग्री लेकर सेवाग्राम लौटीं तो आगे हमेशा बापू के साथ ही रहीं। सुशीला नायर के लिए गांधी उनके जीवन का केंद्र रहे। जब 1948 में बापू की हत्या हुई तब मनुबेन और सुशीला नायर उनके साथ थीं।
दिल में बसता था झांसी
सुशील नायर ने लोकसभा में चार बार यूपी के बुंदेलखंड इलाके के झांसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। झांसी में महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की स्थापना उनके प्रयासों से ही संभव हो सका। 16 दिसंबर 1965 को उन्होंने इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल की आधारशिला रखी थी।
सफरनामा
1914 में 26 दिसंबर को सुशीला नायर का जन्म कुंजाह ( अब पाकिस्तान) में हुआ। वे आजीवन अविवाहित रहीं।
1942 से 1944 तक वे बापू और कस्तूरबा के साथ पुणे के आगा खां पैलेस में नजरबंद रहीं।
1950 में उनकी पुस्तक कारावास की कहानी के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिला।
1952 से 1956 तक दिल्ली विधानसभा की सदस्य रहीं।
1957 और 1962 और 1967 में झांसी से लोकसभा चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर जीता।
1977 में छठी लोकसभा चुनाव उन्होंने एक बार फिर झांसी से जनता पार्टी के टिक पर जीता।
1945 में सुशीला नायर ने वर्धा में कस्तूारबा हॉस्पिटल की स्था पना की। जो अब महात्माज गांधी इंस्टीनट्यूट आफ मेडिकल सांइसेज में तब्दील हो चुका है।
1948 में गांधी जी की हत्याध के बाद सुशीला अमेरिका चली गईं। वहां से पब्लिक हेल्थम की डिग्री हासिल की।
1952 -1955 दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य और परिवहन मंत्री रहीं
1955-56 में दिल्ली विधानसभा की अध्यक्ष बनीं।
1962-64 केंद्र सरकार में स्वास्थ्यस्थानीय निकाय शहरी विकास मंत्री रहीं
1964 से 1967 – केंद्र सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री।
2001 में 3 जनवरी को उनका निधन हो गया।


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