( महिला सांसद 09 ) कुल चार बार लोकसभा
सदस्य रहीं सुभद्रा जोशी ने तीन अलग-अलग राज्यों का संसद में प्रतिनिधित्व किया।
उनका पूरा जीवन सांप्रदायिक सौहार्द के निर्माण के लिए समर्पित रहा। पहली लोकसभा में करनाल
से चुनाव जीत कर संसद में पहुंची। तीसरी लोकसभा के चुनाव में उन्होंने बलरामपुर
में जनसंघ उम्मीदवार अटल बिहारी वाजपेयी को पराजित किया।
तीन राज्यों से
प्रतिनिधित्व
सुभद्रा जोशी ने करनाल
बाद तत्कलीन पंजाब के ही अंबाला, उत्तर प्रदेश के
बलरामपुर और दिल्ली के चांदनी चौक से भी चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंची। वे कुछ
समय तक दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष भी रहीं।
सांसद के रूप में
चार साल के संसदीय
कार्यकाल में उन्होंने स्पेशल मैरेज एक्ट को पास कराने, बैंकों के राष्ट्रीयकरण, राजाओं का प्रिवी पर्स खत्म कराने,अलीगढ़ विश्वविद्लाय
सुधार अधिनियम में सक्रिय योगदान किया। अपराध प्रक्रिया संहिता ( सीआरपीसी) के सुधार में भी उनकी
बड़ी भूमिका रही।
सियालकोट में जन्म
सियालकोट ( अब पाकिस्तान ) के विशेश्वरनाथ दत्त के
परिवार में जन्मी सुभद्रा जोशी ने एमए तक की पढ़ाई की। उनके पिता जयपुर राजघराने
में पुलिस अधिकारी और भाई कांग्रेस के नेता थे। उनकी स्कूली पढ़ाई महाराजा स्कूल
जयपुर और कन्या महाविद्यालय जालंधर में हुई।
गांधी जी का प्रभाव
लाहौर में फारमन
क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ाई के दौरान सुभद्रा जोशी एक बार गांधी जी के वर्धा आश्रम
में गईं। इसके बाद उन्होने अपना जीवन स्वतंत्रता आंदोलन को समर्पित कर दिया। छात्र
जीवन में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया। सन 42 में अंडरग्राउंड रहकर
उन्होंने हमारा संग्राम पत्रिका का संपादन भी किया। उन्हें गिरफ्तार कर लाहौर
सेंट्रल जेल में रखा गया।
शांति दल की स्थापना
भारत विभाजन के दौर में
सौहार्द निर्माण के लिए उन्होंने गली मुहल्लों का दौरा किया और शांति दल की
स्थापना की। उन्होंने पाकिस्तान से आए परिवारों के लिए दिल्ली में शिविरों के
संचालन में भी सहयोग किया। अपने सांसद के काल में उन्होंने रूस, जर्मनी और
चेकेस्लोवाकिया जैसे देशों की यात्राएं की।
सांप्रदायिक सौहार्द को
समर्पित जीवन
स्वतंत्रता के बाद 1961
में सागर में हुए दंगे के बाद सौहार्द निर्माण में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई।
सुभद्रा जोशी ने अपने संसदीय कार्यकाल में अपना जीवन राष्ट्रीय एकता, सांप्रदायिक सौहार्द,अल्पसंख्यकों को
सामाजिक न्याय दिलाने, गरीबों और दिव्यांगों के कल्याण में लगाया। दलित बच्चों की पढ़ाई
के लिए दिल्ली में उन्होंने सांध्यकालीन स्कूलों की स्थापना की।
सफरनामा
1919 में 23 मार्च को सियालकोट ( पाकिस्तान) में एक सम्मानित परिवार में उनका जन्म हुआ।
1948 में मई में बीडी जोशी
से उनका विवाह हुआ।
1952 में करनाल (तब पंजाब) से लोकसभा का पहला
चुनाव जीता।
1957 में वे अंबाला लोकसभा से
चुनाव जीतकर संसद पहुंची।
1962 में उन्होंने यूपी के बलरामपुर
में जनसंघ के अटल बिहारी वाजपेयी को पराजित किया।
1971 में दिल्ली के चांदनी
चौक से लोकसभा का चुनाव जीता।
2003 में 30 अक्तूबर को दिल्ली के
राममनोहर लोहिया अस्पताल में उनका निधन हो गया।
2011 में भारत सरकार ने उनके सम्मान में 5 रुपये का डाक टिकट जारी किया।
संजय गांधी का विरोध
इमरजेंसी के दौरान वे
दिल्ली के चांदनी चौक से सांसद थीं। उन्होंने उस दौरान संजय गांधी के कई कार्यो का
विरोध किया। कई बार इंदिरा गांधी से इसकी शिकायत भी की। इसके बाद वे राजनीति से
हासिए पर चली गईं।
यूनियन जैक को सैल्यूट
करने से इनकार
जयपुर के महाराजा
गर्ल्स कॉलेज के बाद वे लाहौर के मैकलगन हाईस्कूल में पढ़ने के लिए गईं। स्कूली
जीवन में उनके मन में देशभक्ति की भावना इस तरह भरी थी कि उन्होंने स्कूल के एक
आयोजन में यूनियन जैक को सैल्यूट करने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्हें स्कूल से
निलंबित कर दिया गया। फिर उन्होंने जालंधर के कन्या महाविद्यालय में आकर नामांकन
कराया, जहां
स्वदेशी तरीके से शिक्षा दी जाती थी।
जब बलराज साहनी पहुंचे प्रचार करने
लोकसभा चुनाव के आरंभिक दौर में चुनाव प्रचार के लिए फिल्मी सितारों को बुलाने की परंपरा नहीं थी। पर 1962 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार सुभद्रा जोशी के प्रचार के लिए फिल्म स्टार बलराज सहनी पहुंचे। कांग्रेस ने अटल बिहारी वाजपेयी को हराने के लिए फिल्मी हस्तियों का सहारा लिया। बलरामपुर के परेड ग्राउंड में बलराज साहनी की चुनावी सभा का आयोजन किया गया था, उसमें सहनी को सुनने के लिए काफी भीड़ जुटी थी। उस छोटे से कस्बे में करीब 15 हजार लोग साहनी को सुनने के लिए आए थे। अपनी चुनावी सभा के बाद अभिनेता बलराज साहनी दो दिन तक बलरामपुर में रुके और कांग्रेस की उम्मीदवार सुभद्रा जोशी का प्रचार करते रहे। इतना ही नहीं, उस चुनाव में उन्होंने रिक्शे पर घूम-घूम कर भी कांग्रेस उम्मीदवार के लिए प्रचार किया था।
लोकसभा चुनाव के आरंभिक दौर में चुनाव प्रचार के लिए फिल्मी सितारों को बुलाने की परंपरा नहीं थी। पर 1962 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार सुभद्रा जोशी के प्रचार के लिए फिल्म स्टार बलराज सहनी पहुंचे। कांग्रेस ने अटल बिहारी वाजपेयी को हराने के लिए फिल्मी हस्तियों का सहारा लिया। बलरामपुर के परेड ग्राउंड में बलराज साहनी की चुनावी सभा का आयोजन किया गया था, उसमें सहनी को सुनने के लिए काफी भीड़ जुटी थी। उस छोटे से कस्बे में करीब 15 हजार लोग साहनी को सुनने के लिए आए थे। अपनी चुनावी सभा के बाद अभिनेता बलराज साहनी दो दिन तक बलरामपुर में रुके और कांग्रेस की उम्मीदवार सुभद्रा जोशी का प्रचार करते रहे। इतना ही नहीं, उस चुनाव में उन्होंने रिक्शे पर घूम-घूम कर भी कांग्रेस उम्मीदवार के लिए प्रचार किया था।
फिल्म दो बीघा जमीन के
प्रदर्शन के बाद बलराज साहनी बड़े स्टार बन चुके थे। उनके प्रचार ने कमाल दिखाया।
1957 में इस सीट से चुनाव मे जीत दर्ज करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी 1962 में
कांग्रेस की सुभद्रा जोशी से महज 2052 वोट से पराजित हो गए। सुभद्रा जोशी
को उस चुनाव में कुल 1 लाख 2 हजार 260 मत मिले थे जबकि अटल जी को 1 लाख 208 मत मिले। सिर्फ एक फीसदी से भी कम
मतों अटल जी को हार का सामना करना पड़ा।
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