Monday, 1 April 2019

मरगतम चंद्रशेखर - नेहरू से लेकर राजीव के कैबिनेट में मंत्री रहीं


( महिला सांसद - 19 ) मारागतम चंद्रशेखर तमिलनाडु से 1952 में लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद में पहुंची। वे पंडित नेहरु, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकार में केंद्र में मंत्री रहीं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी उन्हें सम्मान से आंटी कहा करते थे। उन्होंने 1984, 1989 और 1991 का चुनाव श्रीपेरांबदुर से जीता।

1952 में स्वास्थ्य राज्य मंत्री
मरगतम 1952 में नेहरु जी के मंत्रीमंडल में स्वास्थ्य राज्यमंत्री बनाई गईं। वे 1962 से 1964 को गृह राज्यमंत्री रहीं। इसके बाद वे समाज कल्याण मंत्री बनीं। वे 1984 में राजीव गांधी की सरकार में महिला और समाज कल्याण मंत्री बनाई गईं।

कांग्रेस के संगठन में सक्रिय
मरगतम ने कांग्रेस के संगठन में काफी सक्रियता दिखाई। वे तमिलनाडु कांग्रेस का बड़ा नाम थीं। वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव और तमिलनाडु कांग्रेस की अध्यक्ष भी रहीं। वे 1972 में कांग्रेस पार्टी की कोषाध्यक्ष भी रहीं।वे कांग्रेस पार्टी के अनुशासन समिति के अलावा कई और विभागों से भी समय समय पर जुडी रहीं।

लंदन में उच्च शिक्षा
विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई करने के बाद मरगतम उच्च शिक्षा के लिए लंदन गईं। वहां उन्होंने प्रबंधन में पीजी कोर्स किया। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ जर्नलिज्म से पत्रकारिता में डिप्लोमा भी किया था। इसके साथ ही डोमेस्टिक साइंस में भी प्रशिक्षण कोर्स किया। उनके पति आर चंद्रशेखर भी तमिलनाडु में विधानसभा के सदस्य चुने गए थे।

कई संगठनों में सक्रिय
मरगतम अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग की अध्यक्ष भी रहीं। इसके अलावा उन्होंने भारत सेवक समाज, वाईएमसीए समेत कई संस्थाओं और बोर्डों में अगुवाई कर सामाजिक कार्यों में अपनी सक्रियता दिखाई।

राजीव गांधी की आखिरी रैली
सन 1991 में 21 मई को राजीव गांधी की आखिरी रैली श्रीपेरांबदुर में हुई जिसकी मरगतम चंद्रशेखर आयोजिका थीं। राजीव उनके पक्ष में चुनावी रैली को संबोधित करने आए थे। इसी रैली में पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या हो गई। यहीं से मरगतम ने अपने जीवन का आखिरी चुनाव भी भारी अंतर से जीता था। 

सफरनामा
1917 में 11 नवंबर को चेन्नई में जन्म हुआ।
1952 में तिरुवल्लुर से लोकसभा का पहला चुनाव जीता।
05 बार लोकसभा और 03 बार राज्यसभा की सदस्य रहीं।
1972 में ऑल इंडिया कांग्रेस के सचिव चुनी गईं।
1991 में उन्होंने लोकसभा का आखिरी चुनाव श्रीपेरांबदुर से जीता।
2001 में 19 नवंबर को चेन्नई में निधन हुआ।


2 comments:

कालीपद "प्रसाद" said...

सुन्दर जानकारी

Vidyut Prakash Maurya said...

धन्यवाद