Tuesday, 2 April 2019

बोनिली खोंगमेन - पूर्वोत्तर की पहली महिला सांसद


( महिला सांसद 20 ) 
मेघालय के जनजातीय समाज की आवाज बनीं
पहली लोकसभा में पूर्वोंत्तर से चुनाव जीत कर एकमात्र महिला सांसद पहुंची थी, उनका नाम था बोनिली खोंगमेन। वे जनजातीय समाज की आवाज और जानीमानी शिक्षाविद थीं। मेघालय के जनजातीय लोगों के उत्थान के लिए कई स्कूल खोल कर शिक्षा की ज्योति जगाने के लिए उन्हें याद किया जाता है। वे 1952 में कांग्रेस पार्टी से असम आटोनमस डिस्ट्रिक के अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट से निर्वाचित हुई थीं। अब वह इलाका मेघालय राज्य बन चुका है।
लंबे समय तक अध्यापन किया
बोनेली की स्कूली पढ़ाई वेल्स मिशन गर्ल्स हाई स्कूल शिलांग में हुई। उच्च शिक्षा उन्होंने कोलकाता में ग्रहण की। राजनीति में आने से पहले वे शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय थीं। वे 1932-33 में असम को गोलाघाट में गर्ल्स स्कूल की प्रधानाध्यापिका बनीं। इसके बाद 1935 से 1940 तक शिलांग के असम गर्ल्स स्कूल की प्रिंसिपल बनीं। इसके बाद 1940 से 1946 के बीच लेडी रेड स्कूल शिलांग में अध्यापन करने लगीं। इसी दौरान वे राजनीति में सक्रिय हुईं।
असम विधान सभा में
बोनिली 1946 में असम विधानसभा के लिए चुनीं गईं। वे विधानसभा की उपसभापति भी चुनीं गईं। इस दौरान वे असम की राजनीति में खूब सक्रिय रहीं। वे खासी जयंतिया नेशनल कान्फ्रेंस की वाइस प्रेसिडेंट बनीं और मेघालय के आदिवासी समाज के लोगों के हक के लिए आवाज उठाई। वे खासी और जयंतिया हिल्स की आदिवासी समाज की सलाहकार परिषद की भी सदस्य रहीं।
मेघालय में कई स्कूल खोले
बोनिली इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी की सदस्य रहीं। उन्होंने मेघालय में कई स्कूलों की स्थापना की। उनके परिवार में चार बेटे और एक बेटी थी। खासतौर पर आदिवासी समाज के बड़ी समाजसेविका के तौर पर उन्हें याद किया जाता है।
अपने खाली समय में वे कपड़े बुनती थीं। उन्होंने शरणार्थियों के लिए कपड़े बनाने और उनके बीच वितरीत करने में भी सक्रिय भूमिका निभाई। उन्हें संगीत में वायलिन बजाना पसंद था। अवकाश प्राप्ति के बाद उनका समय मेघालय की राजधानी शिलांग में गुजरा। नब्बे साल की उम्र के बाद उनका स्मृति लोप की बीमारी हो गई थी।
सफरनामा
1912 में 25 जून को जोवाई (जयंतिया हिल्स) में उनका जन्म हुआ।
1934 में उनका विवाह बीएल खोंगमेन से हुआ।
1946 में असम विधानसभा की उपसभापति चुनीं गईं।
1953 में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार सम्मेलन में हिस्सा लिया।
1957 में असम पब्लिक सर्विस कमिशन की चेयरपर्सन बनीं।
1963 से 1970 तक यूपीएससी की सदस्य भी रहीं।
1970 से 1974 तक नगालैंड पब्लिक सर्विस कमिशन की चेयरपर्सन बनीं।
2007 में 18 मार्च को 94 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।


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