Thursday 25 April 2019

कमला चौधरी - संविधान सभा की सदस्य और कथा लेखिका


(महिला सांसद - 42 ) कमला चौधरी तीसरी लोकसभा में उत्तर प्रदेश के हापुड़ से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद में पहुंची। सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय कमला चौधरी स्वाधीनता आंदोलन के दौरान कई बार जेल गईं। वे संविधान सभा की सदस्य भी थीं। बहमुखी प्रतिभा की धनी कमला चौधरी अपने समय लोकप्रिय कथा लेखिका थीं।

संविधान सभा की सदस्य

साहित्यिक क्षेत्र में सक्रियता के साथ कमला चौधरी ने स्वाधीनता संग्राम में भी हिस्सा लिया। वे 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाली महिलाओं में थीं। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कई बार जेल में डाला। 1946 में मेरठ में हुए कांग्रेस के 54वें सम्मेलन में कमला चौधरी ने उपाध्यक्ष बनाई गई थीं। कमला चौधरी 1947 से 1952 तक संविधान सभा की सदस्य रहीं।

कई शहरों में प्रवास 

कमला चौधरी का जन्म 22 फरवरी 1908 को लखनऊ में हुआ था। उनके पिता राय मनमोहन दयाल डिप्टी कलेक्टर थे। उनकी शिक्षा दीक्षा देश के कई अलग अलग शहरों में हुई। कमला चौधरी ने पंजाब विश्वविद्यालय से प्रभाकर की डिग्री ली थी। स्कूली जीवन से ही उनकी साहित्य में गहरी रूचि थी। वे राजस्थान के जयपुर और यूपी के मेरठ में सक्रिय रहीं।

हापुड़ से बड़ी जीत

तीसरी लोकसभा में कांग्रेस ने उन्हे हापुड़ लोकसभा क्षेत्र से टिकट दिया। कमला चौधरी ने इस चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी नसीम को 28 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया। तब हापुड़ लोकसभा में गाजियाबाद में के क्षेत्र भी आते थे। एक सांसद के तौर पर वे पांच साल लोकसभा में खूब मुखर रहीं। पर इसके बाद वे सांसद नहीं चुनीं गईं। वे उत्तर प्रदेश सोशल वेलफेयर एडवाइजरी बोर्ड की भी सदस्य रहीं।

लोकप्रिय कथा लेखिका

कमला चौधरी अपने समय की लोकप्रिय कथा लेखिका थीं। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ही उनके कई कहानी संग्रह प्रकाशित हुए। उन्माद (1934), पिकनिक (1936) यात्रा (1947), बेल पत्र और प्रसादी कमंडल। समाज की विभिन्न समस्याओं को उन्होंने अपनी कहानियों का विषय बनाया। उनका कहानी पागल निम्म जाति पर हो रहे अन्याय को रेखांकित करती है। उन्होंने हास्य व्यंग्य और प्रेरक पुस्तकें भी लिखीं। उन्होंने उमर खैय्याम की रुबाइयों का हिंदी में पद्यानुवाद भी किया था। उनका सृजन बाल साहित्य के क्षेत्र में भी था।

नारी जीवन पर बारीकी से कलम चलाई

कमला चौधरी ने अपनी कहानियों में नारी जीवन की समस्याओं का अंकन भी उन्होंने बड़ी बारीकी से किया। जाति, धर्म, संप्रदाय, वर्ग, प्रेम, घृणा, नैतिकता, आचार व्यवहार उनकी कहानियों के विषय हैं। उनकी कहानियों में मनोरंजन के साथ संदेश भी है। संसदीय पारी के बार वे अपने आखिरी दिनों में मेरठ के छीपी टैंक इलाके में रहती थीं। उनकी एक बेटी और दो बेटे हैं। उन्हें पेंटिंग करना और कविताएं लिखना भी पसंद था।

सफरनामा

1908 में 22 फरवरी कमला चौधरी का जन्म लखनऊ में हुआ था।

1927 के फरवरी महीने में जेएम चौधरी से उनका विवाह हुआ।

1946 में कांग्रेस के 54वें अधिवेशन की उपाध्यक्ष बनीं।

1947 में संविधान सभा की सदस्य बनीं।

1962 में हापुड़ लोकसभा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता।

1970 में उनका निधन हो गया।




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