( महिला सांसद - 47 ) कमला कुमारी चौथी
लोकसभा में 1967 में पलामू से चुनाव जीतकर संसद में पहुंची थीं। पलामू संसदीय सीट
से सबसे अधिक चार बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड कमला कुमारी के नाम है। वे केंद्र
सरकार में मंत्री भी रहीं। उनका जीवन दलितों के उत्थान और सांप्रदायिक सदभाव के
लिए समर्पित रहा।
चार बार संसद में
पलामू सीट 1967 में
अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए सुरक्षित की गई थी। उस समय कांग्रेस ने कमला
कुमारी को प्रत्याशी बनाया। वे 1967, 1972 यहां से चुनाव जीतीं। 1967 में उन्होंने
संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी जे राम को लगभग 41 हजार से अधिक मतों से और 1971 में भारतीय जनसंघ के रामदेव राम को 34 हजार
से अधिक मतों से हराया था। पर 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर में उन्हें
कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी के उम्मीदवार रामदेनी राम ने पराजित कर दिया।
केंद्र सरकार में मंत्री
कमला कुमारी ने 1980 के
आम चुनाव में कमला कुमारी ने शानदार वापसी करते हुए जनता पार्टी के रामदेनी राम को
45 हजार से अधिक मतों से हराकर पलामू सीट छीन ली थी। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए आम चुनाव में कमला कुमारी नें
जनता पार्टी के प्रत्याशी सह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रामसुंदर दास को हराकर एक लाख 85 हजार मतों से पराजित किया।
शिक्षण से राजनीति में आईं
कमला कुमारी का जन्म
1937 में रांची में हुआ था। उनका पिता का नाम सोमार राम था। उन्होंने एमए और
डिप्लोमा इन एजुकेशन तक पढ़ाई की थी। उनकी पढ़ाई रांची के वूमेंस कॉलेज और पटना के
बीएनआर ट्रेनिंग कॉलेज में हुई थी। उन्होंने विवाह नहीं किया। वे गर्ल हाई स्कूल
दाउदनगर गया की प्रिंसिपल बनीं।
दंगों के दौरान सदभाव के
लिए कार्य
रांची में 1967 में हुए
दंगों के दौरान सांप्रदायिक सदभाव बनाने में भी उन्होंने काफी सक्रियता से काम
किया। राजनेता के तौर पर अनुसूचित जाति. जनजाति कल्याण और महिलाओं की समाजिक
स्थिति में बदलाव के लिए उन्होने काफी काम किया। 1965 और 1966 में ऑल इंडिया दुसाध
महासभा के पटना और गया हुए सम्मेलन की अध्यक्षता की।
इंदिरा गांधी की
कैबिनेट में 1982 में वे कृषि राज्यमंत्री बनाईं गईं। कांग्रेस संगठन में भी वे
विभिन्न पदों पर रहीं। वे कई संसदीय समितियों की सदस्य भी रहीं। अपनी संसदीय पारी
में उन्होंने पलामू के लिए बहुत काम किया था।
कमला कुमारी बहुत सहज
और सरल स्वभाव की थीं। उन्हें बैडमिंटन, कैरम और वॉलीबॉल जैसे खेलों में रूचि थी। उन्होंने
दुनिया के कई देशों का दौरा भी किया था। अपने आखिरी दिनों में वे शरतबाबू लेन
रांची में रहती थीं। रांची में ही 2018 में 9 अक्तूबर को उनका निधन हो गया।
सफरनामा
1937 में 14 जनवरी को रांची में उनका जन्म हुआ था।
1967 में
चौथी लोकसभा का चुनाव पलामू से जीता
1971, 1980 और 1984 में भी जीत
दर्ज की।
1982 में केंद्र सरकार
में कृषि राज्य मंत्री बनाई गईं।
2018 में 9 अक्तूबर रांची में उनका निधन हो गया।
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