Sunday, 21 April 2019

सुशीला गणेश मावलंकर - निर्विरोध चुनकर लोकसभा में पहुंची


( महिला सांसद - 38 ) सुशीला गणेश मावलंकर पहली लोकसभा की सदस्य थीं। वे अहमदाबाद से अपने पति गणेश वासुदेव मावलंकर के निधन के बाद उनके क्षेत्र से ही उप चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंची थीं। जीवी मावलंकर अहमदाबाद से 1952 में चुनाव जीते थे। तब अहमदाबाद बांबे प्रांत का हिस्सा हुआ करता था।
पति थे पहले लोकसभा अध्यक्ष
जीवी मावलंकर को पंडित नेहरु ने जीवी मावलंकर लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष बने थे। अपने कार्यकाल में उन्होंने कई संसदीय परंपराएं स्थापित कीं। उन्हें दादा साहेब के नाम से भी जाना जाता है। गणेश वासुदेव मावलंकर ने एक अधिवक्ता के रूप में अपना सार्वजनिक जीवन शुरू किया था। उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं। वे कई भाषाओं के जानकार भी थे।
निर्विरोध जीत दर्ज की
27 फरवरी 1956 को जीवी मावलंकर के निधन के बाद अहमदाबाद सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने सुशीला गणेश मावलंकर को प्रत्याशी बनाया। उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं हुआ। तब उन्होंने यहां पर निर्विरोध जीत दर्ज की। हालांकि उनकी संसदीय पारी महज एक साल की रही। पर उनके सामाजिक योगदान के लिए गुजरात में उनको याद किया जाता है।   
भारत छोड़ो आंदोलन में जेल गई
सुशीला मावलंकर का जन्म 4 अगस्त 1904 को मुंबई में हुआ था। वे रामकृष्ण गोपीनाथ गुर्जर दाते की बेटी थीं। उनकी शिक्षा-दीक्षा हाईस्कूल तक हुई थी। पर उन्होंने स्वाध्याय से काफी पुस्तकें पढ़ी थीं। 1921 में उनका विवाह जीवी मावलंकर के संग हुआ। सुशीला मावलंकर ने 1942 के भारत छोडो आंदोलन में सक्रियता से हिस्सा लिया। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा। वे बापू के सानिध्य में भी रहीं।
भगिनी समाज की अध्यक्ष
सुशीला मावलंकर गरीबों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहती थीं। वे भगिनी समाज की कई साल तक अध्यक्ष भी रहीं। इसके अलावा उन्होंने कई महिला संगठनों में सक्रिय भागीदारी निभाई। उन्होंने ब्रिटेन, स्वीडन समेत विश्व के कई देशों की यात्राएं भी की थीं। जून 1953 में ब्रिटेन में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के राज्याभिषेक समारोह में हिस्सा लेने अपने पति के साथ लंदन गई थीं।
बेटे भी दो बार सांसद बने
संसदीय पारी खत्म होने के बाद उनका ज्यादातर समय अहमदाबाद में गुजरा। वे अहमदाबाद के भद्रा इलाके में मावलंकर हवेली में रहती थीं। 91 साल की उम्र में अहमदाबाद में ही उनका निधन हो गया। उनके बेटे पुरुषोत्तम मावलंकर राजनीति शास्त्र के बड़े विद्वान और लेखक थे। वे अहमदाबाद और गांधी नगर से दो बार लोकसभा का चुनाव भी जीते।

सफरनामा
1904 में 4 अगस्त को उनका जन्म मुंबई प्रांत में हुआ।
1921 में जीवी मावलंकर के संग उनका विवाह हुआ।
1956 में लोकसभा का चुनाव निर्विरोध जीता।
1995 में 11 दिसंबर को अहमदाबाद में निधन हो गया।


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