Friday 5 April 2019

वेद कुमारी - तेलुगू भाषी सांसद को हिंदी से खास लगाव था


(महिला सांसद 23 ) - कुमारी मोथी वेद कुमारी आंध्र प्रदेश से पहली बार जीत कर लोकसभा में पहुंची तीन महिला सांसदों में से एक थीं। वे दूसरी लोकसभा के चुनाव में 1957 में एल्लुरु से जीतकर संसद में पहुंची। तेलुगू भाषी वेद कुमारी को हिंदी भाषा से काफी लगाव था। वे शास्त्रीय संगीत की मर्मज्ञ और बेबाक जिंदगी जीने वाली महिला थीं। उन्होंने हमेशा सामाजिक वर्जनाओं का विरोध किया। हालांकि 1962 में दुबारा चुनाव लड़ीं पर इस बार उन्हें जीत नहीं मिल सकी।
महिला शिक्षा पर जोर
वेद कुमारी की समाजसेवा में रुचि थी। वे आंध्र युवती मंडली की अध्यक्ष चुनी गईं थी। उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया। महिलाओं के लिए हिंदी भाषा, टाइपराइटिंग और टेलरिंग सीखाने के लिए एक संस्थान भी खोला था। उन्हें उपन्यास पढ़ने का काफी शौक था। इसके अलावा आंतरिक सज्जा और प्राकृतिक नजारों की फोटोग्राफी में भी उनकी गहरी रूचि थी।
विवाह का विरोध
आंध्र प्रदेश के एल्लुरू में जन्मी मोथी वेद कुमारी के पिता मोथी नारायण राव व्यापारी थे जो स्वतंत्रता सेनानियों की मदद किया करते थे। वे एक वैश्य परिवार से आती थीं पर उन्होंने ब्राह्मण युवक से प्रेम विवाह किया। तब उस विवाह का काफी विरोध हुआ था। पर सामाजिक विरोध को किनारा करते हुए वे अपने पति के साथ अमेरिका चली गईं।
छात्र जीवन से राजनीति में
छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गई थीं। उन्होंने अर्थशास्त्र में एमए की वे छात्र कांग्रेस की सचिव चुनीं गई थीं। उसके बाद वे ऑल इंडिया वूमेन कान्फ्रेंस की वेस्ट गोदावरी ब्रांच की सचिव चुनीं गईं। सन 1957 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने एक महिला उम्मीदवार विमला देवी को पराजित किया था।
1962 में दूसरा चुनाव हारने के बाद वे पति के साथ अमेरिका चली गईं। कुछ सालों बाद अमेरिका से वापसी के बाद वे एक बार फिर राजनीति में सक्रिय होना चाहती थीं, पर ऐसा नहीं हो सका। पर वे सामाजिक कार्यों में काफी सक्रिय रहीं। उन्होंने दो बच्चों को गोद लिया था।

कर्नाटक संगीत की गायिका
वेद कुमारी की शास्त्रीय संगीत में गहरी रूचि थी। उन्होंने औपचारिक तौर पर संगीत की शिक्षा ली थी। वे कर्नाटक संगीत की बेहतरीन गायिका भी थीं। आकाशवाणी की वे प्रथम श्रेणी की आर्टिस्ट थी। संगीत से उनका जुड़ाव जीवन पर्यंत बना रहा।  
सफरनामा
1931 में 24 सितंबर को उनका जन्म एल्लुरू में हुआ।
1957 में एल्लुरू से लोकसभा का चुनाव जीता
1962 में वे अपना दूसरा चुनाव हार गईं।
1977 में कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई।


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