Monday 15 April 2019

रामदुलारी सिन्हा -दहेज, पर्दा और छूआछूत के खिलाफ लड़ी


( महिला सांसद 32 ) 

राम दुलारी सिन्हा बिहार से तीन बार लोकसभा सदस्य और केंद्र में कई मंत्रालयों में मंत्री रहीं। उच्च शिक्षित रामदुलारी सिन्हा ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और स्वतंत्रता के बाद वे श्रमिक वर्ग के हितों के लिए लगातार लड़ती रहीं। उन्होंने कई मजदूर संगठनों की अगुवाई की। उन्होंने दहेज प्रथा, परदा प्रथा और छुआछूत खत्म करने के लिए भी काम किया। वे 1973 में संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की उपाध्यक्ष भी चुनीं गईं।

स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय
बिहार में रामदुलारी सिन्हा का नाम बहुत सम्मान से लिया जाता है। उनका पूरा परिवार स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल था। वे 1947-48 में बिहार प्रदेश यूथ कांग्रेस की महासचिव बनाई गईं। इसी दौरान वे बिहार महिला कांग्रेस की संगठन सचिव बनाईं गईं।

तीन बार संसद में
उन्होंने 1962 में तीसरी लोकसभा का चुनाव कांग्रेस पार्टी के टिकट पर पटना से जीता था। एक बार फिर उन्होंने 1980 में शिवहर से लोकसभा का चुनाव जीता और इंदिरा गांधी की सरकार में सूचना प्रसारण, इस्पात और वाणिज्य राज्य मंत्री बनीं। 1984 में उन्होंने एक बार फिर शिवहर से चुनाव जीता। इसके बाद वे केंद्र में गृह राज्य मंत्री बनीं।
बिहार सरकार में मंत्री
रामदुलारी सिन्हा बिहार की पहली विधानसभा में विधायक चुन कर आईं। उन्होंने 1967 में फिर बिहार विधान सभा का चुनाव जीता। वे 1971 से 1977 तक बिहार सरकार में विभिन्न मंत्रालयों में मंत्री भी रहीं। बिहार विधानसभा में उन्होंने मेजरगंज और गोपालगंज विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया।
दो विषयों में एमए किया
रामदुलारी सिन्हा ने हिंदी और इतिहास में एमए किया। उनकी शिक्षा पटना विश्वविद्यालय और काशी हिंदू विश्वविद्लाय में हुई। रामदुलारी सिन्हा का जन्म बिहार के गोपालगंज जिले के मनिकापुर ग्राम में हुआ। उनका विवाह सीतामढ़ी के डुमरी गांव के युगलकिशोर प्रसाद सिन्हा के साथ हुआ। उनके पति पहली लोकसभा के सदस्य थे और उन्होंने सहकारिता आंदोलन का जनक कहा जाता है।
केरल की राज्यपाल
वे बिहार की पहली महिला थीं जो किसी राज्य में राज्यपाल बनाई गईं। वे 23 फरवरी1988 से 12 फरवरी 1990 तक केरल की राज्यपाल रहीं। राज्यपाल के तौर पर भी वे मुखर रहीं। रामदुलारी सिन्हा को बैडमिंटन, वॉलीबॉल और बास्केटबॉल जैसे खेलों में रूचि थी। साहित्य से उनका लगाव था। कविताएं पढ़ने और लिखने का शौक रखती थीं। 1994 में उनकी मृत्यु रक्त कैंसर से हुई।
सफरनामा
1922 में 8 दिसंबर को गोपालगंज में जन्म हुआ।
1938 में उनका विवाह ठाकुर युगल किशोर प्रसाद सिन्हा से हुआ।
1952 में बिहार विधानसभा की सदस्य चुनीं गईं।
1962, 1980 और 1984 में लोकसभा की सदस्य चुनीं गईं।
1988 में केरल की राज्यपाल बनाई गईं।
1994 में 31 अगस्त को उनका निधन दिल्ली में हुआ।

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