Monday, 29 April 2019

मोहिंदर कौर- पाकिस्तान से आए शरणार्थियों की खूब सेवा की

( महिला सांसद - 46 ) पंजाब के पटियाला राजघराने से आने वाली मोहिंदर कौर 1967 में चौथी लोकसभा में पटियाला से चुनाव जीत कर संसद में पहुंची थीं। वे देश की आखिरी महारानी मानी जाती हैं। उन्होंने 1947 के बाद पाकिस्तान से आए शरणार्थियों की खूब सेवा की। पटियाला राज परिवार को सिख धर्म से जोड़े रखने में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है।
पहले राज्यसभा फिर लोकसभा में
मोहिंदर कौर के पति और पटियाला के महाराजा यादविंदर सिंह चाहते थे कि वह राजनीति में सक्रिय हों,  लेकिन इंदिरा गांधी उन्हें राजदूत बनाकर विदेश में ही व्यस्त रखती रहीं। मोहिंदर कौर ने अपने पति के स्थान पर 1964 में राजनीति में कदम रखा। वह 1964 से 1967 तक कांग्रेस सदस्य के तौर पर राज्यसभा की सदस्य रहीं। 1967 में वह चौथी लोकसभा के लिए चुनी गईं और 1971 तक उसकी सदस्य रहीं। पर 1971 में मोहिंदर कौर को दुबारा चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिया गया।
शाही महल के द्वार शरणार्थियों के लिए खोले
मोहिंदर कौर ने 1947 के बाद पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों के लिए पटियाला के शाही महल के दरवाजे खोल दिए थे। उनके लिए वे खुद लंगर पकाती थीं। वे शरणार्थियों की सेवा नंगे पांव सिर ढकर कर करती थीं। मेडिकल कैंपों की निगरानी भी उन्होंने खुद की। उन्होंने शरणार्थियों के पुनर्वास में भी काफी मदद की।
यादविंदर सिंह के विवाह
मोहिंदर कौर का जन्म 14 सितंबर 1922 को लुधियाना में हुआ था। मोहिंदर कौर के पिता हरचंद सिंह जेजी कांग्रेस के सहयोगी संगठन रियासत प्रजा मंडल से जुड़े रहे थे। 16 साल की उम्र में उनका विवाह पटियाला के महराजा यादविंदर सिंह से हुआ। उनके पति महाराजा यादविंदर सिंह आखिरी दिनों में नीदरलैंड के एंबेसडर थे। 1974 में हेग में महाराजा यादविंदर सिंह की मृत्यु हो गई।
जनता पार्टी से फिर राज्यसभा में

इमरजेंसी के बाद 1977 में मोहिंदर कौर इंदिरा गांधी की विरोधी हो गईं। उन्होंने उस दौर में जनता पार्टी की सदस्यता ले ली। जनता पार्टी में उन्हें महासचिव बनाया गया। वह जनता पार्टी से 1978 से 1984 तक राज्य सभा की सदस्य रहीं।
पति की मृत्यु के बाद सादा जीवन
सन 1974 में पति महाराजा यादविंदर सिंह की मृत्यु के बाद मोहिंदर कौर ने सादा जीवन अपना लिया। उन्होंने गहनेसिल्क की साड़ियां आदि पहनना छोड़ दियावह सिर्फ सफेद और नीले रंग के कपड़े पहनने लगीं। अपने आखिरी दिनों में वह सामाजिक जीवन से दूर रह कर खुद को धार्मिक कार्यों में लगाए रखती थीं। 2017 में जुलाई में महीने में 95 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई। उनके बेटे कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस पार्टी की राजनीति में सक्रिय हैं। आजकल वे पंजाब के मुख्यमंत्री हैं।
सफरनामा
1922 में 14 सितंबर को उनका जन्म हुआ।
1967 में वह चौथी लोकसभा के लिए चुनी गईं
1977 में महिंदर कौर ने जनता पार्टी ज्वाइन की।
1978 से 1984 तक राज्य सभा की सदस्य रहीं।
2017 में 24 जुलाई को उनका पटियाला में निधन हो गया।


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