( महिला सांसद 39 ) शकुंतला नायर हिंदू
महासभा के टिकट पर चुनाव जीतकर उत्तर प्रदेश से लोकसभा में पहुंची। पहली लोकसभा
में वे हिंदू महासभा की एकमात्र महिला सांसद थीं। मूल रूप से उत्तराखंड की रहने
वाली शकुंतला ने दक्षिण भारतीय चर्चित आईसीएस अधिकारी केके नायर से विवाह किया था।
उत्तराखंड में जन्म हुआ
शकुंतला के पिता दिलीप
सिंह बिष्ट देहरादून जिले में रहते थे। शकुंतला की स्कूली पढ़ाई मसूरी के विंडबर्ग
गर्ल्स हाईस्कूल में हुई। विद्यार्थी जीवन में अत्यंत मेधावी छात्रा थीं। सन 1946
में 20 अप्रैल को उनका विवाह आईसीएस अधिकारी केके नायर के संग हुआ। पति-पत्नी
दोनों ही हिंदूवादी विचारों के थे। शकुंतला हिंदू महासभा में सक्रिय हुईं तो पति
केके नायर भारतीय जनसंघ से जुड़े।
तीन बार लोकसभा में
शकुंतला नायर ने हिंदू
महासभा के गोंडा पश्चिम सीट से 1952 में कांग्रेस उम्मीदवार लाल बिहारी टंडन के
पराजित किया था। तब शकुंतला की उम्र महज 26 साल थी। वे 1962 से 1967 तक उत्तर प्रदेश
विधान सभा की भी सदस्य रहीं। बाद में शकुंतला नायर को भारतीय जन संघ ने कैसरगंज
लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा। यहां पर उन्होंने 1967 का चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले में स्वतंत्र पार्टी और कांग्रेस पार्टी के
उम्मीदवार को हरा कर जीता। वे 1971 में भी
कैसरगंज से कड़े मुकाबले में जीतीं। अपने ‘खुरमे’ की मिठास लिए उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में बसा ‘कैसरगंज’ पूरे भारत में मशहूर है।
पति पत्नी दोनों एक साथ
संसद में
शकुंतला के पति केके
नायर मूल रूप से केरल के अलेप्पी के रहने वाले थे। पर आईसीएस के तौर पर उनकी
ज्यादा समय पोस्टिंग यूपी में रही। पर 1952 में वे आईसीएस छोड़कर वकालत करने लगे।
बाद में वे राजनीति में आ गए। सन 1967 में केके नायर ने भी बहराइच से लोकसभा का
चुनाव भारतीय जन संघ के टिकट पर जीता था। इस तरह चौथी लोकसभा में पति और पत्नी
दोनों ही संसद में पहुंचे थे।
रामलला को विराजमान करने
में भूमिका
सन 1949 में 22-23
दिसंबर की रात को अयोध्या के बाबरी मस्जिद में रामलला की मूर्तियां आश्चर्यजनक ढंग
से प्रकट हो गईं। तब केके नायर फैजाबाद के जिलाधिकारी थे। कहा जाता है कि मंदिर
रामलला की मूर्तियां स्थापित करने में उनकी पत्नी शकुंतला नायर की भी भूमिका थी।
इसके बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में शकुंतला को हिंदू महासभा ने गोंडा वेस्ट ( अब
कैसरगंज) से अपना उम्मीदवार बनाया।
फैजाबाद को बनाया घर
नायर दंपति ने यूपी के
देवीपाटन और फैजाबाद क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि बनाया। वे लोग अपने समय में उत्तर
प्रदेश में हिंदुत्व का प्रतीक बन गए थे। उन्होंने फैजाबाद में अपना घर बनाया था।
अपने आखिरी दिनों में शकुंतला नायर फैजाबाद में रहती थीं। शकुंतला नायर को पढ़ाई
करने और बागवानी का शौक था। उनकी दो संताने हुईं।
सफरनामा
1926 में जनवरी में
उनका जन्म देहरादून में हुआ
1946 में 20 अप्रैल को
उनका विवाह केके नायर, आईसीएस
से हुआ।
1952 में गोंडा वेस्ट
से चुनाव जीत कर संसद में पहुंची।
1967 व 1971 में
कैसरगंज से लोकसभा का चुनाव जीता।
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