Wednesday 3 April 2019

सत्यभामा देवी- भूदान में 500 बीघे जमीन दान में दी


( महिला सांसद 21 ) 
सत्यभामा देवी बिहार से दो बार चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंची। वे उन सांसदों में थी जिन्होंने भूदान आंदोलन के दौरान अपनी 500 बीघे जमीन गरीबों के लिए दान में दे दी। अपने संसदीय काल में उन्होंने हरिजनों, गरीबों और महिला कल्याण के लिए भी काम किया।
दो  बार संसद में
सन 1957 में नवादा के लोकसभा सीट बनने के साथ ही कांग्रेस की सत्यभामा देवी पहली महिला सांसद बनीं सत्यभामा देवी ने 1962 में अपना लोकसभा क्षेत्र बदल लिया क्योंकि तब नवादा सुरक्षित क्षेत्र हो गया था। इस बार उन्होंने जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता। अपने दूसरे चुनाव उन्होंने टिकारी के राजपरिवार से आने वाले चंद्रशेखर सिंह को 35 हजार मतों से पराजित किया था।
किसान परिवार में जन्म
सत्यभामा देवी जन्म मार्च 1911 में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री हरि सिंह था। वे बड़हिया गांव की रहने वाली थीं। उनका विवाह गया जिले के एक बड़े किसान और राजनीतिक कार्यकर्ता त्रिवेणी प्रसाद सिंह से हुआ। तब बिहार के परंपरागत किसान परिवार की महिलाएं राजनीति में सक्रिय नहीं होती थीं। पर उन्होंने विवाह के बाद पर्दा प्रथा को नकारते हुए राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू किया।
हरिजन उत्थान में सक्रिय
सत्यभामा देवी ने स्वतंत्रता के बाद आचार्य विनोबा भावे द्वारा चलाए गए भूदान आंदोलन में सक्रियता निभाई। उन्होंने अपनी 500 बीघा जमीन भूदान के अंतर्गत गरीबों को दान में दे दी थी। इसके साथ उन्होंने दूसरे लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा उन्होंने चैरिटेबल अस्पताल के लिए जमीन भी दान में दी थी। उन्होंने अपने इलाके में हरिजनों के उत्थान के लिए बहुत काम किया था।
महिला कल्याण में रुचि
सत्यभामा देवी बिहार में महिला कल्याण बोर्ड की सदस्य भी रहीं थीं और महिलाओं के लिए उन्होंने काफी काम किया। उन्होंने अपने जीवन काल में स्त्री शिक्षा पर काफी जोर दिया था। उन्हें बच्चों के साथ समय बिताना और घरेलू कामकाज में बहुत मन लगता था।

अपनी संसदीय पारी खत्म होने के बाद भी सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहीं। इसके बाद का समय उन्होंने गया जिले में मंझवे गांव में ही बिताया। वे एक जमींदार परिवार से आती थीं, पर उनकी सादगी के लिए क्षेत्र के लोग उन्हें आज भी याद करते हैं।
सफरनामा
1911 में 14 मार्च को बिहार के किसान परिवार में जन्म हुआ।
1957 में पहली बार नवादा चुनाव जीता।
1962 में जहानाबाद से चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंची।
10 साल तक लोकसभा की सदस्य रहीं।


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