( महिला सांसद 30 ) असम से दो बार सांसद एक
बार विधायक और केंद्र में मंत्री रहीं रेणुका देवी ने अपना जीवन पूर्वोत्तर के
गरीब मजदूरों और बाढ़ पीड़ितों की सेवा में लगाया। रेणुका देवी बरकोतोकी 1962 में
तीसरी लोकसभा में असम के बारपेटा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता।
वे एक बार फिर 1977 में गुवाहाटी लोकसभा क्षेत्र से जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव
जीतकर संसद में पहुंची। वे मोरारजी देसाई की सरकार में 1977 में केंद्र सरकार में
शिक्षा, समाज
कल्याण और संस्कृति राज्य मंत्री बनीं और इस पद पर दो साल तक रहीं।
छात्र जीवन से राजनीति
में सक्रिय
रेणुका देवी पढाई के
दौरान अत्यंत मेधावी छात्रा थीं। वे स्कूली पढ़ाई के दौरान टीसी चौधरी गर्ल्स हाई
स्कूल छात्र संघ की महासचिव चुनीं गईं। वे युवावस्था में ओजस्वी वक्ता और कुशल
नेतृत्व क्षमता वाली महिला थीं। कांग्रेस सेवा दल के महिला विंग के प्रभारी के तौर
पर 18 साल की उम्र में बापू से मुलाकात के बाद उनकी जिंदगी बदल गई। उन्होंने
पीड़ितों की सेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया।
महान साहित्यकार मुनिन
से विवाह
रेणुका देवी असमिया के
जाने माने लेखक आलोचक और पत्रकार मुनिन बरकोतोकी से 1959 में विवाह किया। उन दोनों
की जोड़ी असम में खूब लोकप्रिय रही। राजनीति में उनकी शुरुआत ट्रेड यूनियन से हुई।
वे कांग्रेस के मजदूर संगठन इंटक में सक्रिय रहीं। असम में बाढ़ पीड़ितों के राहत
के लिए भी उन्होने बढ़ चढ़कर काम किया।
असम विधानसभा में
चौथी लोकसभा के चुनाव
में 1967 में रेणुका देवी ने बारपेटा की जगह गुवाहाटी से चुनाव लड़ना तय किया। पर
यहां वे सीपीआई के डी कलिता से पराजित हो गई थीं। पर इसके बाद 1972 में उन्होंने
असम के होजो से कांग्रेस ओ के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें जीत
मिली। वे असम विधानसभा में विपक्ष की उपनेता भी रहीं।
जनता पार्टी से सांसद
इमरजेंसी के दौरान
रेणुका देवी कांग्रेस पार्टी के कार्यकलाप से नाराज हो गईं और जनता पार्टी की ओर
रुख किया। इमरजेंसी के दौरान उन्होंने कुछ महीने जेल में भी गुजारना पड़ा। रेणुका
देवी ने 1977 में गुवाहाटी लोकसभा क्षेत्र की जंग में कांग्रेस के दिनेश चंद्र
गोस्वामी को 37 हजार से ज्यादा मतों से पराजित किया। इसके बाद वे मोरारजी देसाई की सरकार में 1977 में केंद्र सरकार में शिक्षा, समाज कल्याण और संस्कृति राज्य मंत्री बनीं। इस पद पर दो साल तक रहीं।
रेड क्रॉस के साथ
पीड़ितों की सेवा
रेणुका देवी 1981 में
सक्रिय राजनीति से संन्यास के बाद इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी की असम स्टेट शाखा की
मानद सचिव बनीं। इसके बाद उन्होंने कई सालों तक असम के तमाम जिलों में दंगा
पीड़ितों और बीमारों के उपचार के लिए पूरी सक्रियता से काम किया।
वे ओएनजीसी की निदेशक
भी रहीं। उनका 84 साल की उम्र में गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में 2017 में निधन हो
गया। उनकी एकमात्र बेटी मीनाक्षी बरकोतोकी लेखिका हैं जो जर्मनी में रहती हैं।
रेणुका देवी ने अपने पति के नाम पर एक साहित्यिक ट्रस्ट की स्थापना करवाई जो युवा
साहित्यकारों को हर सला पुरस्कार देता है।
घर बुजुर्गों के लिए
दान किया
साल 2019 में रेणुका
देवी और मुनिन बरकोतोकी के गुवाहाटी के पंचबटी स्थित आवास को बुजुर्गों के लिए
समर्पित कर दिया गया। इसका नाम अड्डाघर दिया गया है जहां शहर के बुजुर्ग लोग रोज
मिलते हैं और उनकी सहायता के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जाती हैं।
सफरनामा
1932 में 24 नवंबर को
उनका जन्म हुआ।
1959 में उनका विवाह
मुनिन बरकोतोकी के संग हुआ।
1962 में बारपेटा से
लोकसभा का चुनाव जीता
1972 में होजो से असम
विधानसभा का चुनाव जीता।
1977 में गुवाहाटी से
छठी लोकसभा का चुनाव जीता।
2017 में 14 अगस्त को
उनका निधन हो गया।
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