Saturday, 20 April 2019

एनी मासकारेने-पहली लोकसभा में निर्विरोध चुन कर पहुंचीं

( महिला सांसद - 37 )  एनी मासकारेने स्वतंत्रता सेनानी थीं और वे 1951 केरल के तिरुवनंतपुरम क्षेत्र से पहली लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद में पहुंची थी। वे पहली संसद के उन 10 सदस्यों में शामिल थीं जो स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीतकर आए थे। आजाद उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज कराने वाली वे पहली महिला भी थीं।
केरल की पहली महिला सांसद
एनी केरल की पहली महिला सांसद भी थीं। उनका जन्म एक अत्यंत शिक्षित लैटिन कैथोलिक परिवार में हुआ था। उनके पिता त्रावणकोर राज्य में अधिकारी थे। एनी पढ़ाई में बचपन से ही मेधावी थीं। उन्होंने इतिहास और अर्थशास्त्र में महाराजा कालेज तिरुवनंतपुरम से डबल एमए किया था। इसके बाद उन्होंने कुछ समय श्रीलंका के सीलोन में कॉलेज में अध्यापन भी किया। पर वे जल्द केरल लौट आईं और इसके बाद उन्होने कानून में स्नातक की डिग्री ली।
स्वतंत्रता आंदोलन में कई बार जेल
एनी पर जलियांवाला बाग का कांड का प्रभाव पड़ा और वे ब्रिटिश जुल्म के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हो गईं। वे पहली महिला थीं जो त्रावणकोर राज्य कांग्रेस की सदस्य बनीं। वे राज्य में कांग्रेस के कार्यकारी समिति की भी सदस्य रहीं। सन 1939 से 1947 के बीच स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण उन्हें कई बार जेल में डाला गया। एनी शानदार वक्ता थीं। उन्होंने त्रावणकोर के दीवान के खिलाफ कांग्रेस के आंदोलन का नेतृत्व किया।
त्रावणकोर राज्य में मंत्री
एनी 1948 में त्रावणकोर कोचीन विधान मंडल के लिए चुनीं गईं। इस दौरान वे राज्य की स्वास्थ्य मंत्री भी बनाई गईं। वे त्रावणकोर राज्य सरकार की भी पहली महिला मंत्री थीं। कांग्रेस की पुरानी सदस्य रहने के बावजूद उन्होंने पहली लोकसभा का चुनाव स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर लड़ा। उन्होंने अपना चुनाव अभियान बेहतर ढंग से चलाया और जीत दर्ज की। पर एनी 1957 में दूसरी लोकसभा का चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार से हार गईं।
संविधान सभा की सदस्य
एनी स्वतंत्रता के बाद संविधान सभा की सदस्य बनीं। वे संविधान सभा के कुल 299 सदस्यों में से 15 महिला सदस्यों में एक थीं जिन्होंने संविधान निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। हिंदू कोड बिल के निर्माण में भी उनकी भूमिका रही। एनी ऐसी राजनेता थीं जिन्होंने कभी अपने मूल्यों से समझौता नहीं किया।
केरल की राजधानी में प्रतिमा लगी
एनी का 1963 में तिरुवनंतपुरम में ही निधन हो गया। पर केरल के लोग उन्हें याद करते हैं। सन 2013 में केरल की राजधानी में उनकी एक कांस्य प्रतिमा स्थापित की गई जिसका अनावरण तत्कालीन उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने किया।
सफरनामा
1902 में 6 जून को त्रावणकोर में जन्म हुआ।
1938 से 1946 के दौरान कई बार आंदोलन के दौरान जेल गईं।
1948 में त्रावणकोर कोचीन विधान मंडल के लिए चुनीं गईं।
1957 में दूसरी लोकसभा का चुनाव हार गईं।
1963 में 19 जुलाई को निधन हो गया।
( प्रस्तुति - विद्युत मौर्य, vidyutp@gmail.com )

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