Thursday, 18 April 2019

सावित्री निगम - बुंदेलखंड की राजनीति का प्रमुख महिला चेहरा रहीं


( महिला सांसद - 35 ) 
सावित्री निगम तीसरी लोकसभा में 1962 में उत्तर प्रदेश के बांदा से चुनाव जीतकर संसद में पहुंची। वे बुंदेलखंड की राजनीति का प्रमुख महिला चेहरा थीं। सावित्री निगम के भाई भूपेंद्र निगम बांदा के जाने माने वकील थे। वे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में रहकर दो चुनाव हार चुके थे। पर 1962 में उनकी बहन सावित्री निगम ने कांग्रेस के उम्मीद्वार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
पहले राज्यसभा फिर लोकसभा में
लोकसभा में आने से पहले सावित्री निगम 1952 से 1962 तक संसद के उच्च सदन राज्यसभा की सदस्य रह चुकी थीं। सावित्री निगम का जन्म बांदा में बाबू आनंदी प्रसाद निगम के परिवार में हुआ था। उनके पिता शहर के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। उनकी प्रारंभिक पढ़ाई आर्य कन्या पाठशाला इलाहाबाद में हुई। सन 1937 में उनका विवाह बृजनंदन प्रसाद निगम के साथ हुआ। सावित्री निगम स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी से जुड़ गई थीं। वे 1947 से 1949 तक ऑल इंडिया वूमेन कांग्रेस की सचिव रहीं। वे 1951 से कांग्रेस सांसदों के कार्यकारी समिति की सदस्य रहीं। वे इलाहाबाद, लखनऊ और दिल्ली के कई महिला संगठनों में सक्रिय रहीं।
महिलाओं को शिक्षित करने में आगे रहीं
सावित्री निगम की कई समाजिक संगठनों मे सक्रियता रही। उनका झुग्गी झोपड़ियों और मलिन बस्तियों को खत्म करने, वयस्क शिक्षा और महिलाओं को शिक्षित करने पर जोर रहा। महिलाओं की शिक्षा के लिए उन्होंने रात्रि पाठशालाएं शुरू करवाई। वे ऑल इंडिया भारत सेवक समाज, अखिल भारत मूक बधिर संघ से उनका जुड़ाव रहा। वे नशामुक्ति के लिए काम कर रहे संगठनों से भी जुडी रहीं।

कई पुस्तकें लिखी
सावित्री निगम साहित्यिक अभिरुचि की महिला थीं। उनकी अध्ययन और लेखन में गहरी रुचि थी। उन्होंने कई लघु कथाएं भी लिखी थीं। उन्होंने गृहस्थांजलि और अन्नपूर्णा नामक पुस्तकें लिखीं। उनके तमाम लेख पत्र पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुए। लेखन में उनके विषय परिवार कल्याण, सामाजिक बुराइयों का निवारण, महिला सशक्तिकरण और खाद्य समस्या थी।
तैराकी और टेनिस में रुचि
सावित्री निगम जिमखाना क्लब, लेडीज क्लब की गतिविधियों में भी सक्रिय रहती थीं। वे रेडियो वार्ताओं में नियमित रूप से हिस्सा लेती थीं। उन्होंने दुनिया के कई देशों के यात्राएं की थी। वे बहुत अच्छी चित्रकार भी थीं। खेलों में उनकी रूचि टेनिस और तैराकी में थी। अपने आखिरी दिनों में वे बांदा में रहती थीं।
सफरनामा
1919 के मई महीने में बांदा में जन्म हुआ।
1937 में उनका विवाह बृजनंदन निगम के संग हुआ।
1952 में राज्यसभा के लिए चुनीं गईं।
1962 में बांदा से लोकसभा का चुनाव जीता।
1985 में 29 जुलाई को उनका निधन हो गया।


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