Saturday, 27 April 2019

विमलाबाई देशमुख : सबको शिक्षा के लिए दर्जनों शिक्षण संस्थान खोले

(महिला सांसद - 44 ) 
विमला बाई देशमुख भारत के पहले कृषि मंत्री पंजाब राव देशमुख की पत्नी थीं। पर एक समाज-सेविका के तौर पर उनकी अलग पहचान थी। उन्होंने सभी तबके लोगों को शिक्षित करने के लिए विदर्भ क्षेत्र में दर्जनों शिक्षण संस्थानों की स्थापना कराई। देश के पहले कृषि मंत्री पंजाब राव देशमुख के निधन के बाद हुए उप चुनाव में 1965 में अमरावती से लोकसभा का चुनाव जीतकर वे संसद में पहुंची।
पंजाब राव देशमुख से अंतरजातीय विवाह
विमलाबाई के पिता का नाम जयराम नाना वैद्य था। उन्होंने बीए और एलएलबी की पढ़ाई की थी। वे विदर्भ क्षेत्र से एलएलबी करने वाली पहली महिला थीं। विमला अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कई सामाजिक संगठनों के साथ जुड़ कर लोककल्याण के कार्य कर रही थीं। सन 1927 में 26 नवंबर को सत्यशोधक समाज की रीति से उनका पंजाब राव देशमुख के संग विवाह मुंबई में हुआ। यह अंतरजातीय विवाह था जो उस समय के समाज में क्रांतिकारी कदम था। उनके पति पंजाबराव लंदन ने कानून की डिग्री लेकर आए थे।
लोकसभा और राज्यसभा में
विमलाबाई देशमुख जून 1965 से मार्च 1967 तक लोकसभा की सदस्य रहीं। लोकसभा उपचुनाव उन्होंने भारी मतों के अंतर से जीता था। हालांकि लोकसभा में उनका कार्यकाल छोटा रहा पर इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण चर्चाओं में हिस्सा लिया। इसके बाद विमलाबाई देशमुख राज्यसभा के लिए भी चुनीं गई। वे 1967 से 1972 तक संसद के उच्च सदन की भी सदस्य रहीं।
कई दर्जन शिक्षण संस्थान खोले
विमलाबाई देशमुख और उनके पति ने मिलकर महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में ब्रिटिशकालीन भारत में शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाने का काम किया। सबको शिक्षा देने के लिए उन लोगों ने 1931 में शिवाजी एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की थी। इस संस्था ने 1968 तक विदर्भ इलाके में 28 कॉलेज, 45 स्कूल और 14 जन सेवा संस्थान खोले थे। इसके साथ ही उनकी राष्ट्रीय कृषक लीग और पिछड़ा वर्ग संगठन की स्थापना में भी उनका योगदान रहा।
महिलाओं और पिछड़ों के लिए कल्याणकारी कार्य
विमलाबाई देशमुख अपने जीवन के आखिरी दिनों में में भी सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहीं। उन्होंने महिलाओं, पिछड़ों और दलितों के उत्थान के कार्यक्रमों में सक्रियता से भागीदारी निभाई। उनके जीवन पर डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर का काफी प्रभाव था। उन्होंने जीजामाता महिला मंडल, ग्रामीण महिला मंडल की स्थापना की थी। उनके कार्यों के लिए उन्हें अन्नपूर्णा सम्मान दिया गया था। उनका निधन 1998 में अमरावती में हो गया। उनके निधन के बाद अमरावती में विमलाबाई देशमुख के नाम पर एक कॉलेज की स्थापना की गई है। स्थानीय लोग उन्हे मातोश्री कहकर सम्मान देते हैं।
सफरनामा
1906 में 24 अक्तूबर को उनका जन्म हुआ।
1927 में पंजाब राव देशमुख के संग उनका विवाह हुआ।
1931 में शिवाजी एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की।
1965 में लोकसभा का उपचुनाव जीता।
1967 में राज्यसभा की सदस्य बनीं।
1998 में 25 मार्च को उनका निधन हो गया।
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