Tuesday, 23 April 2019

जया बेन शाह - मंदिरों में दलितों के प्रवेश के लिए लड़ाई लड़ी


(महिला सांसद - 40 ) जयाबेन शाह बांबे प्रांत और गुजरात प्रांत से तीन बार चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंची। उन्होंने पहला चुनाव गिरनार से और दो बार अमरेली से जीत दर्ज की थी। जयाबेन ने गुजरात में मंदिरों में दलितों के प्रवेश के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। उनका पूरा जीवन खादी के प्रचार प्रसार और बाल कल्याण को समर्पित रहा।
भारी अंतर से जीतीं चुनाव
उन्होंने दूसरी लोकसभा का चुनाव 1957 में मुंबई प्रांत के गिरनार लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर जीता। गिरनार में उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के गुलाबचंद बखारिया को भारी मतों से पराजित किया था। तीसरी लोकसभा का चुनाव उन्होंने गुजरात के अमरेली लोकसभा क्षेत्र से जीता। अमरेली में उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के मथुरादास मेहता को भारी मतों से पराजित किया था। जया बेन के 1957 में71 फीसदी मत मिले थे जबकि 1962 में 61 फीसदी मत लेकर विजयी हुई थीं। 1967 में भी उन्होंने अमरेली से जीत दर्ज की।
अर्थशास्त्र में एमए की पढ़ाई
जयाबेन का जन्म गुजरात के भावनगर शहर में जैन परिवार में हुआ। उनके पिता त्रिभुवनन नंद शाह शहर के सम्मानित व्यक्ति थे। जयाबेन ने मुंबई विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए तक पढ़ाई की थी। उनका 1945 में 7 अप्रैल को वजूभाई शाह के संग विवाह हुआ। उन्हे एक पुत्र और एक पुत्री हुई। उनके पति वजूभाई शाह गांधीवादी और सर्वोदयी नेता थे। पति की प्रेरणा से वे सामाजिक जीवन में सक्रिय हुईं।
सौराष्ट्र से राजनीति की शुरुआत
जयाबेन ने पहले समाजसेवा के क्षेत्र में कदम रखा फिर सौराष्ट्र की स्थानीय राजनीति से अपनी शुरुआत की। वे 1948 से 1952 तक सौराष्ट्र से संविधान सभा की सदस्य रहीं। वे 1952 से 1956 तक सौराष्ट्र राज्य विधानसभा की भी सदस्य चुनीं गईं। वे सौराष्ट्र प्रांत में शिक्षा राज्य मंत्री भी रहीं।
खादी के लिए समर्पित जीवन
जयाबेन का जीवन खादीग्रामोत्थान और बालकल्याण के कार्यों में समर्पित रहा। सौराष्ट्र क्षेत्र में खादी के प्रसार के लिए उन्होंने लगातार काम किया। वे 1954 में सौराष्ट्र काउंसिल ऑफ चाइल्ड वेलफेयर की अध्यक्ष चुनीं गईं। वे गुजरात प्रांत चाइल्ड वेलफेयर काउंसिल की उपाध्यक्ष भी रहीं। उन्होंने गुजरात में सामुदायिक स्वच्छता कार्यक्रमों की अगुवाई की। पंचायत सुधार और प्राकृतिक चिकित्सा भी उनकी रूचि के विषय थे।
कई देशों का दौरा किया
अपने संसदीय जीवन की समाप्ति के बाद वे राजकोट में रहने लगीं। गुजराती के जानेमाने शायर झावेरचंद मेघाणी उनकी पड़ोसी थे। जयाबेन को उनकी कविताएं सुनना खूब पसंद था। एक सांसद के तौर पर उन्होंने इंग्लैंडफ्रांसइटलीजर्मनीडेनमार्कस्वीटजरलैंड और लेबनान जैसे देशों का दौरा किया था। वे 1962 में जेनेवा में हुए वर्ल्ड हेल्थ कान्फ्रेंस में भारतीय प्रतिनिधि बनकर गई थीं। 
सफरनामा

1922 में एक अक्तूबर को उनका जन्म भावनगर में हुआ
1945 में वजूभाई शाह से विवाह हुआ।
1952 में सौराष्ट्र विधानसभा की सदस्य बनीं।
1957 में गिरनार लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर पहला चुनाव जीता।
1962 में गुजरात के अमरेली से लोकसभा का चुनाव जीता।
2014 में गुजरात में उनका निधन हो गया।
 ( प्रस्तुति - विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com ) 

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