(महिला सांसद - 41 ) लक्ष्मी बाई संगम
तेलंगाना के मेडक ( तब आंध्र प्रदेश) से लगातार तीन बार सांसद चुनीं गईं। वे महान
स्वतंत्रता सेनानी थीं जिन्होंने साइमन कमीशन का विरोध करते हुए जेल जाना पड़ा था।
उन्होंने विनोबा भावे के साथ भूदान आंदोलन में योगदान किया था।
प्रस्तुति - विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
साइमन कमीशन का विरोध किया
छात्र जीवन में 1931
में साइमन कमीशन का विरोध करने के साथ ही लक्ष्मी बाई स्वतंत्रता आंदोलन में कूद
पड़ी। उसके बाद तो वे पूर्णकालिक सामाजिक कार्यकर्ता और स्वतंत्रता सेनानी बन गईं।
वे 1931 में एक साल जेल में भी रहीं। जेल में रहते हुए उन्होंने महिलाओं के लिए
अलग सेल बनाए जाने के लिए आंदोलन किया। उन्होंने 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में
भी हिस्सा लिया। उन्होंने नमक सत्याग्रह में भी हिस्सा लिया।
आंध्र प्रदेश सरकार में
मंत्री
लक्ष्मी बाई को
हैदराबाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी की संयोजक बनाया गया। वे कई साल तक ऑल इंडिया
कांग्रेस कमेटी की कार्यकारी सदस्य भी रहीं। लक्ष्मी बाई 1952 में हैदराबाद से विधानसभा की
सदस्य चुनीं गईं। इसके बाद वे 1954 से 1956 के बीच आंध्र प्रदेश सरकार में शिक्षा
राज्य मंत्री बनाया गया।
लगातार तीन बार सांसद
लक्ष्मीबाई संगम ने 1957 में विकराबाद से कांग्रेस के टिकट पर निर्विरोध लोकसभा का चुनाव जीता। वे
1962 में यहां से उन्होंने स्वतंत्र पार्टी के रामालू को 40 हजार मतों से पराजित
किया। वे 1967 के चुनाव में मेडक से लड़ीं, यहां उन्होंने के
रमैया को 84 हजार मतों से पराजित किया।
पेंटिंग की शिक्षिका
लक्ष्मी बाई संगम का
जन्म तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले के घाटकेसर में 1911 में हुआ था। उनके पिता का
नाम डी रमैया था। बचपन में उनका विवाह दुर्गा प्रसाद यादव के साथ हुआ था। जिनका
थोड़े समय बाद ही निधन हो गया। उनकी औपचारिक शिक्षा स्नातक तक हुई थी। उन्होंने शारदा
निकेतन कॉलेज ऑफ आर्टस चेन्नई और कार्वे यूनीवर्सिटी में शिक्षा पाई। पेंटिंग में
डिप्लोमा करने के बाद उन्होंने ड्राईंग शिक्षक के तौर पर नौकरी भी की।
स्कूल और अनाथालय की
स्थापना की
लक्ष्मी बाई संगम आंध्र
प्रदेश में तमाम सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहीं। उन्होंने हैदराबाद में
इंदिरा सेवा सदन नाम से अनाथालय की स्थापना की। उन्होंने राधिका मेटरनिटी होम, वासु
शिशु विहार हनुमंतु गुप्ता हाई स्कूल जैसे शैक्षणिक संस्थाओं की भी स्थापना की। वे
हैदराबाद यादव महाजन संगठन की अध्यक्ष चुनीं गई। वे ऑल इंडिया स्टूंडेट कान्फ्रेंस
हैदराबाद की उपाध्यक्ष भी रहीं। वे आंध्र युवती मंडली, हैदराबाद
फूड काउंसिल में सक्रिय रहीं। वे स्टेट सोशल एडवाइजरी बोर्ड की कोषाध्यक्ष रहीं।
वे आंध्र विद्या महिला संगम की 18 साल तक सदस्य रहीं।
विनोबा जी के पदयात्रा की
प्रभारी
लक्ष्मीबाई आचार्य विनोबा
भावे की तेलंगाना की पहली पैदल यात्रा के दौरान इस यात्रा की प्रभारी रहीं। विनोबा
भावे ने अपने भूदान आंदोलन की शुरुआत आंध्र प्रदेश के पोचमपल्ली ग्राम से ही की
थी। इस भूदान आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार करने में भी लक्ष्मीबाई की बड़ी भूमिका
थी। वे विनोबा के भाषणों का तेलुगु में अनुवाद करती थीं। तेलंगाना के 16 गांव की
314 एकड़ जमीन दान कराने में उनकी भूमिका रही।
सफरनामा
1911 में 27 जुलाई को
जन्म हुआ।
1930 में स्वतंत्रता
आंदोलन में जेल गईं
1952 में विधानसभा की
सदस्य चुनीं गईं।
1957, 1962
और 1967 में मेडक से लोकसभा चुनाव जीता।
1979 में उनकी कैंसर से
मृत्यु हो गई।
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