Wednesday 10 April 2019

सरोजिनी महिषी- कई भाषाओं की विद्वान, 40 पुस्तकें लिखी


( महिला सांसद 28 ) पांच बार संसद में पहुंची डॉक्टर सरोजिनी महिषी कई भाषाओं की विद्वान और 40 से ज्यादा पुस्तकों की लेखिका थीं। वे पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी के भाषणों का दक्षिण भारतीय भाषाओं में अनुवाद भी करती थीं।
चार बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा में
वे पहली बार कर्नाटक के धारवाड़ नार्थ से 1962 में लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद में पहुंची। उसके बाद वे 1967, 1971 चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंची। क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता का आलम था कि वे जनता लहर के दौरान 1977 में लोकसभा का चुनाव जीतने में कामयाब रहीं। सन 1977 में बड़े-बड़े दिग्गज चुनाव हार गए थे। वे 1984 से1990 तक उच्च सदन राज्यसभा में भी पहुंची। वे कर्नाटक से लोकसभा में पहुंचने वाली पहली महिला थीं।
नेहरु और इंदिरा की अनुवादक
श्रीमती महिषी पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के लिए अनुवादक का काम किया करती थी। वे दक्षिण भारत में उनके भाषणों का अनुवाद करती थी। पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के कार्यकाल में वे लोकसभा में पहुंची। वहीं 1983 में जनता पार्टी से राज्यसभा की सदस्य बनीं। वे दो साल तक राज्यसभा की उप सभापति भी रहीं।
हिंदी से गहरा लगाव
डॉक्टर सरोजिनी महिषी विदुषी महिला थीं। उन्होने हिन्दीकन्नड और संस्कृत भाषा में40 पुस्तकें लिखी हैं। कन्नड़ और मराठी की कई पुस्तकों का हिंदी अनुवाद किया। वह तमिल,  तेलुगु,  मराठीकोंकणी, अंग्रेजी आदि भाषाओं की जानकार थीं। दक्षिण भारत में हिंदी के विरोध के प्रश्न पर उनका विचार था कि यह पहले होता था अब ऐसा नहीं होता। अगस्त 2011 को उन्हें हिन्दी भवन द्वारा राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन की जयंती के अवसर पर हिन्दी रत्न सम्मान दिया गया। श्रीमती महिषी संसदीय हिंदी परिषद की अध्यक्ष भी रहीं।
सरोजिनी महिषी रिपोर्ट
सरोजिनी महिषी को खासतौर पर 1983 में कर्नाटक में सरकारी और पीएसयू नौकरियों में आरक्षण के लिए गठित सरोजिनी महिषी समिति की रिपोर्ट के लिए जाना जाता है। हेगड़े सरकार ने उन्हें यह दायित्व सौंपा था। समिति ने 1986 में अपनी 58 अनुशंसाएं पेश की जिसमें सरकार ने 45 को मान लिया। इसमें राज्य की सरकारी नौकरियों में 100 फीसदी कन्नड़ लोगों के आरक्षण की सिफारिश की गई। साथ ही निजी क्षेत्र के उद्योग धंधों में स्थानीय लोग को आरक्षण देने की बात कही गई।  
शिक्षण से समाजसेवा में
सरोजिनी महिषी एक शिक्षक, अधिवक्ता, राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता थीं। उनका जन्म धारवाड़ में 1927 में हुआ था। उनके पिता बिंदुराव और वकील और संस्कृत के विद्वान थे। उन्होंने बेलगाम से कानून में स्नातक और उसके बाद संस्कृत में एमए तक पढ़ाई की। राजनीति में आने से पहले 15 साल तक उन्होंने शिक्षण कार्य किया।
सफरनामा
1927 में 3 मार्च को जन्म हुआ।
1962 में पहली बार लोकसभा में पहुंचीं।
1983 में राज्यसभा की सदस्य चुनीं गईं।
1986 में नौकरियों में आरक्षण पर सरोजिनी महिषी रिपोर्ट आई।
2015 में 25 जनवरी को उनका गाजियाबाद में निधन हो गया।
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3 comments:

HARSHVARDHAN said...

आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति 125वां जन्म दिवस - घनश्याम दास बिड़ला और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान जरूर बढ़ाएँ। सादर ... अभिनन्दन।।

Vidyut Prakash Maurya said...

धन्यवाद

Anita said...

सरोजिनी महिषी जी के बारे में समुचित जानकारी, भारत की इस विदुषी सासंद को विनम्र श्रद्धांजलि !