( महिला सांसद 60 ) राजेंद्र कुमारी
वाजपेयी उत्तर प्रदेश के सीतापुर से लगातार तीन बार लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद
में पहुंचीं। उन्होंने 1980 के बाद 1984 और 1989 में लगातार यहां से लोकसभा का
चुनाव जीता। उत्तर प्रदेश की राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहने के बाद वे
केंद्र की राजनीति में पहुंची। वे केंद्र सरकार में मंत्री भी रहीं, वे
पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के करीबी नेताओं में गिनी जाती थीं।
बिहार के भागलपुर में जन्म
राजेंद्र कुमारी
वाजपेयी का जन्म 1925 में बिहार के भागलपुर के लालूचक ग्राम में पंडित एसके मिश्रा
के घर में हुआ था। वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे रविशंकर शुक्ला की नतिनी
थीं। छात्र जीवन में उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया था।
उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी तक पढ़ाई की। इसके बाद कालेज
में अध्यापन करने लगीं। उनका विवाह डीएन वाजपेयी के संग हुआ। उनके बेटे अशोक
वाजपेयी हैं और एक बेटी मनीषा द्विवेदी हैं।
यूपी सरकार में मंत्री
राजेंद्र कुमारी
वाजयेपी 1959 में इलाहाबाद नगर निगम की सदस्य बनीं। इसके बाद 1962 में उत्तर
प्रदेश विधानसभा के लिए चुनीं गईं। वे 1977 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य
रहीं। वे 1970 से 1977 के बीच उत्तर प्रदेश सरकार में कई विभागों की मंत्री भी
रहीं। 1970 में प्रदेश की शिक्षा मंत्री बनाईं गईं। वे उत्तर प्रदेश कांग्रेस
कमेटी की अध्यक्ष भी रहीं।
केंद्र सरकार में मंत्री
राजेंद्र कुमारी 1984
में राजीव गांधी के नेतृत्व में बनी केंद्र सरकार में समाज कल्याण मंत्री
(स्वतंत्र प्रभार) बनाई गईं। इसके बाद राजीव मंत्रीमंडल में 1986 में वे श्रम
मंत्री बनाईं गईं। इसके बाद 1987 से 1989 तक वे फिर समाज कल्याण मंत्री रहीं।
सांसद के तौर पर वे कई समितियों की सदस्य रहीं।
पुड्डुचेरी की राज्यपाल
राजेंद्र कुमारी
वाजपेयी 2 मई 1995 को पुड्डुचेरी की राज्यपाल बनाई गईं। वे 1998 तक इस पद पर रहीं।
खाली समय में उन्हें पढ़ना और संगीत सुनना पसंद था। एक राजनेता के तौर पर
सांप्रादायिक सौहार्द बनाने में उनकी बड़ी भूमिका रही। राज्यपाल पद से अवकाश के
बाद वे प्रयाग राज में रहती थीं। यहीं पर 1999 में 17 जुलाई को उनका निधन हो गया।
उनके बेटे अशोक वाजपेयी भी कांग्रेस पार्टी की राजनीति में सक्रिय रहे।
सफरनामा
1925 में 8 फरवरी को
भागलपुर में जन्म हुआ।
1962 में उत्तर प्रदेश
विधानसभा के लिए चुनीं गईं।
1980, 1984
और 1989 में सीतापुर से सांसद चुनीं गईं।
1984 में केंद्र में
समाज कल्याण मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार ) रहीं।
1999 में 17 जुलाई को
प्रयाग राज में निधन हो गया।
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