Thursday, 2 May 2019

टी एस सौंदर्म - खादी और ग्रामोद्योग से गांवों की सूरत बदली

( महिला सांसद - 49 ) डॉक्टर रामचंद्रन सौंद्रम तमिलनाडु के डिंडिगुल लोकसभा क्षेत्र से1962 में कांग्रेस के टिकट पर तीसरी लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद में पहुंची। वे तमिलनाडु के बड़े उद्योगपति और टीवीएस समूह के संस्थापक की बेटी थीं, पर उन्होंने समाज सेवा के लिए गांधीवादी मार्ग चुना। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र के सामाजिक आर्थिक विकास में अपना पूरा जीवन लगा दिया। डॉक्टरी पेशे में रहते हुए उन्होंने खादी और ग्रामोद्योग से गांवों की सूरत बदलने में बड़ी भूमिका निभाई।

प्रसिद्ध उद्योगपति की बेटी
 डॉक्टर सौंद्रम जन्म कन्याकुमारी के पास नगरकोविल में 18 अगस्त1904 को हुआ था। वे तमिलनाडु के जाने माने उद्योगपति और टीवीएस समूह के संस्थापक टीवी सुंदरम अयंगर की बेटी थीं। सात नवंबर 1918 को उनका विवाह हो गया था। पर पति की मृत्यु के बाद उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। उनकी पढ़ाई मद्रास यूनीवर्सिटी और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज नई दिल्ली में हुई। मेडिकल की पढ़ाई के दौरान उनका परिचय डॉक्टर सुशीला नायर से हुआ और वे गांधी जी के संपर्क में आईं।

गांधीग्राम मदुरै की स्थापना
 डॉक्टर सौंद्रम 1936 में हरिजन आंदोलन से जुड़े गांधीवादी जी रामचंद्रन के संपर्क में आईं। बापू के आशीर्वाद से 1940 में दोनों ने विवाह कर लिया। उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया। वंचितों और पिछड़ों की सेवा के लिए उन्होंने तमिलनाडु के मदुरै में गांधीग्राम संस्थान की स्थापना की। इसके साथ ही तिरुन्वेली जिले में सेवा आश्रम की स्थापना की थी। वे पेरियार कम्युनिटी डेवलपमेंट ट्रस्ट की कार्यकारी अधिकारी रहीं। वे कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय मेमोरियल ट्रस्ट से भी जुड़ी रहीं। वे 1946 में सेंट्रल फेमिली प्लानिंग बोर्ड की सदस्य चुनीं गई थीं। वे मद्रा राज्य के खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड की उपाध्यक्ष भी रहीं।


आश्रम बना विश्वविद्लाय
 सन 1947 में उन्होंने गरीबों के इलाज के लिए मदुरै डिंडिगुल मार्ग पर कस्तूरबा हास्पीटल की स्थापना की। जो बाद में विशाल अस्पताल बन गया। लोगों के चंदे से डिंडिगुल जिले के सुदूर ग्रामीण इलाकों में उन्होने कई समाजसेवा के प्रोजेक्ट शुरू किए। उनके द्वारा खोला गया आश्रम 1976 में गांधीग्राम रुरल इंस्टीट्यूट डिम्ड यूनीवर्सिटी बन चुका था।


 पहले विधायक फिर सांसद
 डॉक्टर सौंदर्म 1952 में मद्रास से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुनी गईं। वे दस साल विधानसभा में रहीं। वे 1962 में डिंडिगुल लोकसभा से चुनाव लड़ी तो अब्दुल कादिर को भारी अंतर से पराजित किया। वे केंद्र सरकार में शिक्षा राज्यमंत्री रहीं। शिक्षा मंत्री के तौर पर उन्होंने देश भर के कॉलेजों में राष्ट्रीय सेवा योजना की शुरुआत कराई जो आज भी संचालित हो रहा है। पर वे 1967 का चुनाव डीएमके के युवा उम्मीदवार से पराजित हो गईं। इसके बाद वे राजनीति से अलग होकर पूरी तरह समाजसेवा में सक्रिय रहीं।



डाक टिकट जारी हुआ
 भारत सरकार ने 2005 में डॉक्टर टीएस सौंद्रम की याद में 5 रुपये का डाक टिकट जारी किया था। उन्होंने कस्तूरबा गांधी नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट के कामकाज को दक्षिण भारत में फैलाया। खाली समय में उन्हें घूमना और संगीत सुनना पसंद था। अपने जीवन के आखिरी दिनों में वे मदुरै के गांधीग्राम में रहती थीं।

सफरनामा

1904 में 18 अगस्त को उनका जन्म हुआ।

1918 में 14 साल की उम्र में पहला विवाह हुआ, पर पति की मृत्यु हो गई।

1940 में 7 नवंबर को उनका विवाह जी रामचंद्रन के साथ हुआ।

1962 में डिंडिगुल से सांसद चुनीं गईं।

1962 में समाजसेवा के लिए पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।

1984 में 21 अक्तूबर को उनका निधन हो गया।
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1 comment:

HARSHVARDHAN said...

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 2400वीं बुलेटिन - स्व. सत्यजीत रे जी 98वीं जयंती में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।