( महिला सांसद - 69 ) मारग्रेट अल्वा केन्द्र
सरकार में चार बार महत्वपूर्ण महकमों की राज्य मंत्री रहीं। वे 1999 में तेरहवीं
लोकसभा का चुनाव कर्नाटक के उत्तर कन्नडा जीत कर संसद में पहुंची। इससे काफी पहले
वे 1974 में उच्च सदन राज्यसभा के लिए चुनीं गई थीं। वे 1980, 1986 और 1992 में भी राज्यसभा के लिए चुनीं गईं। वे राजस्थान और उत्तराखंड, गुजरात और गोवा की राज्यपाल
भी रहीं। वे मर्सी रवि अवॉर्ड से सम्मानित महिला नेता हैं।
पांच बार संसद में पहुंची
चार बार राज्यसभा और एक
बार लोकसभा की सांसद के रूप में उन्होंने महिला-कल्याण के कई कानून पास कराने में
अपनी प्रभावी भूमिका अदा की। महिला सशक्तिकरण संबंधी नीतियों का ब्लू प्रिन्ट
बनाने और उसे केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा स्वीकार कराए जाने की प्रक्रिया
में उनका बहुमूल्य योगदान रहा। वे संसद की अनेक समितियों में रहने के साथ-साथ
राज्य सभा के सभापति के पैनल में भी रहीं।
विदेशों में भी सम्मान
केवल देश में में ही
नहीं, विदेश में भी उन्होंने मानव-स्वतन्त्रता और महिला-हितों में काम करके अपने नाम
का लोहा मनवाय। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने तो उन्हें वहां के स्वाधीनता
संग्राम में रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने में अपना समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय
सम्मान प्रदान किया।
वकालत से शुरुआत
मारग्रेट अल्वा का जन्म
14 अप्रैल 1942 को कर्नाटक में मेंगलुरू में एक ईसाई परिवार में हुआ। उनके पिता
पास्कल एम्ब्रोस नजारेथ और माता एलिजाबेथ नजारेथ थीं। अल्वा की पढ़ाई बंगलुरू में
माउंट कार्मेल कॉलेज और राजकीय लॉ कॉलेज में हुई। अल्वा ने शुरुआती दिनों में ही
एक एडवोकेट के रूप में अच्छी पहचान बना ली थी। वकालत के पेशे से वे कांग्रेस
पार्टी की राजनीति में आईँ।
ललिता कला और पेंटिंग बनाने
का शौक
मारग्रेट अल्वा कानूनी
पेशे में रहते हुए उन्होंने तैल चित्र बनाने जैसी ललितकला में और गृह-सज्जा के
क्षेत्र में भी पारंगत हैं। वे अपनी सुरूचि पूर्ण जीवन शैली और सौन्दर्य बोध के
लिए भी लोगों के बीच जानी जाती हैं। साल 2016 में उनकी आत्मकथा ‘करेज
एंड कमिटमेंट‘ प्रकाशित हुई।
निरंजन अल्वा से विवाह
मारग्रेट की शादी 24 मई
1964 में निरंजन अल्वा से हुई। निरंजन अल्वा स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी और भारतीय
संसद की पहली जोड़ी जोकिम अल्वा और वायलेट अल्वा के पुत्र हैं। मारग्रेट अल्वा की
एक बेटी और तीन बेटे हैं। दोनों बेटे निरेत अल्वा और निखिल अल्वा ने मिलकर 1992
में मेडिटेक नमक कंपनी की स्थापना की, जो कि एक टेलीविजन सॉफ्टवेयर कंपनी है।
पार्टी की दबंग महासचिव
2008 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के वक्त ही मार्गरेट अल्वा की विवाद के कारण
सक्रिय राजनीति से विदाई हो गई थी। उस वक्त मार्गरेट अल्वा को पार्टी की दबंग
महासचिव माना जाता था, जो पहले विलासराव देशमुख सरीखे
मजबूत मुख्यमंत्री के रहते महाराष्ट्र की प्रभारी महासचिव रहीं। भूपिंदर सिंह
हुड्डा के सीएम रहते हरियाणा की प्रभारी रहीं। उस वक्त कहा जाता था कि अल्वा किसी
के दबाव में नहीं आतीं। अल्वा पर किसी तरह के भ्रष्टाचार का कभी आरोप नहीं लगा।
सफरनामा
1942 में 14 अगस्त को मंगलुरु में
जन्म हुआ
1964 में निरंजन अल्वा से
विवाह हुआ।
1974, 1980,
1986 और 1992 में राज्यसभा के लिए चुनीं गईं।
1999 में लोकसभा का
चुनाव उत्तर कन्नडा से जीता।
2009 में उत्तराखण्ड की पहली
महिला राज्यपाल रहीं।
2012 के मई में
राजस्थान की राज्यपाल बनाई गईं।
2012 में उन्हें मर्सी रवि अवॉर्ड प्रदान किया गया
2016 में उनकी आत्मकथा ‘करेज
एंड कमिटमेंट‘ प्रकाशित हुई।
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