Thursday 16 May 2019

सुभाषिनी अली : निर्बलों और महिलाओं की सशक्त आवाज


(महिला सांसद : 63)
सुभाषिनी अली 1989 में कानपुर से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद में पहुंची। सुभाषिनी निर्बल वर्ग और महिला अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष करने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता और ट्रेड यूनियन लीडर हैं। बहुमुखी प्रतिभा की धनी सुभाषिनी कई फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा भी मनवा चुकी हैं।
कानपुर से संसद में पहुंची
सुभाषिनी अली ने 1989 में कानपुर नगर से लोकसभा का चुनाव सीपीएम के टिकट पर लड़ा और भाजपा के जगतवीर सिंह द्रोण को 56 हजार मतों से पराजित किया। 1991 में दोबारा चुनाव हुएजिसमें सुभाषिनी को हार मिली। इसके बाद वे कानपुर से 1996 में भी पराजित हुईं। साल 2014 में उन्होंने बंगाल के बैरकपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा पर वहां भी जीत नहीं मिली।
कैप्टन लक्ष्मी सहगल की बेटी
सुभाषिनी आजाद हिन्द फौज की कैप्टन रहीं डॉक्टर लक्ष्मी सहगल की बेटी हैं। उनकी नानी तमिलनाडु अम्मू स्वामीनाथन भी पहली लोकसभा की सदस्य थीं। सुभाषिनी का जन्म कोलकाता में 29 दिसंबर 1947 को हुआ था। पिता कर्नल प्रेम सहगल और मां लक्ष्मी सहगल आजादी के बाद कानपुर आ गए। उनकी पढ़ाई वेलहेम्स गर्ल हाईस्कूल उत्तराखंड और वूमेन क्रिश्चियन कॉलेज, चेन्नई में हुई।उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई की।
निर्बल महिलाओं की आवाज बनीं
सुभाषिनी अली ने भले ही संसद का चुनाव दुबारा नहीं जीता पर वे महिलाओं और किसानों और निर्बल लोगों को हक के लिए लगातार आवाज उठाती रहती हैं। सुभाषिनी के संघर्ष से कई बार सरकारें हिल गईं। दलित शोषण मुक्ति मंच बनाकर उन्होंने बलात्कारएसिड अटैकघरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को इंसाफ दिलाया। अपने संगठन के बल पर उन्होंने ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं की आवाज सरकार तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया।
सुभाषिनी माकपा के महिला संगठन अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की उपाअध्यक्ष हैं। वे माकपा पोलित ब्यूरो की भी सदस्य हैं। वृंदा करात के बाद वे माकपा पोलित ब्यूरो की दूसरी महिला सदस्य हैं।
नेता के साथ अभिनेत्री भी
सुभाषिनी अली की शादी मशहूर फिल्म निर्माता मुजफ्फर अली से हुई थी। सुभाषिनी नेता होने के साथ एक बेहतरीन कलाकार भी हैं। सुभाषिनी ने ‘अशोका’, ‘गुरु’, ‘आमू’ जैसी बॉलीवुड फिल्मों में अभिनय भी किया है। उन्होंने साल 2001 में आई फिल्म अशोका में शाहरुख खान की मां को रोल निभाया था। फिल्म उमराव जान में महिला पात्रों के कॉस्ट्यूम सुभाषिनी ने ही डिजाइन किए थे। सुभाषिनी अच्छी वक्ता हैं और समाचार पत्र-पत्रिकाओं में लगातार लिखती भी हैं। वे सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं। उनके बेटे शाद अली जाने माने फिल्मकार हैं।
सफरनामा
1947 में 29 दिसंबर को कोलकाता में जन्म हुआ।
1981 में आई फिल्म उमराव जान का कास्ट्यूम डिजाइन किया।
1989 में कानपुर से लोकसभा का चुनाव जीता।
2014 में बैरकपुर से लोकसभा का चुनाव हार गईं।
------




No comments: