( महिला
सांसद -53 )
सुशीला रोहतगी उत्तर
प्रदेश के बिल्हौर से 1967 में कांग्रेस के टिकट पर चौथी लोकसभा का चुनाव जीत कर
संसद में पहुंची। उन्होंने दूसरी बार 1971 का चुनाव भी बिल्हौर से ही जीता। वे
1985 में उच्च सदन राज्यसभा की सदस्य भी चुनीं गईं। सुशीला रोहतगी केंद्र सरकार
में वित्त राज्य मंत्री के अलावा शिक्षा और संस्कृति राज्य मंत्री भी रहीं।
यूपी विधानसभा की सदस्य
सुशीला रोहतगी 1959 में
कानपुर नगर निगम की सदस्य चुनीं गईं। वे 1962 में कानपुर नगर से विधायक चुनीं गईं।
उनका जन्म प्रयागराज में 1921 में 21 अगस्त को हुआ था। काशी हिंदू विश्वविद्यालय
के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय के पोते कपिलदेव मालवीय की बेटी थीं। उनकी
स्कूली शिक्षा थियोसोफिकल स्कूल इलाहाबाद, सेंट मेरी कान्वेंट और क्रासथवेट गर्ल्स कॉलेज और
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुई। उन्होंने इतिहास में एमए किया था। उनका विवाह
1947 में समाज सुधारक महेंद्र रोहतगी के साथ हुआ। उनके दो बेटें और तीन बेटियां
हुईं। वे 1945 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर नियुक्त हुईं।
केंद्र सरकार में मंत्री
सुशीला रोहतगी को मई 1971
में इंदिरा गांधी ने अपनी सरकार में वित्त राज्यमंत्री बनाया। बाद में राज्यसभा के
सदस्य के कार्यकाल में वे 1985 में राजीव गांधी के मंत्रीमंडल में शिक्षा और
संस्कृति राज्यमंत्री बनाई गईं। बाद में 1989 तक उन्होंने कई और मंत्रालयों का कामकाज
देखा। वे ऑल इंडिया वूमेन कान्फ्रेंस में भी सक्रिय रहीं। वे कान्फ्रेंस की कानपुर
शाखा की अध्यक्ष भी रहीं।
कई संस्थाओं की सदस्य
सुशीला रोहतगी लखनऊ
यूनीवर्सिटी कोर्ट की सदस्य रहीं। वे यूपी
सिटिजन्स कौंसिल, यूपी सरकार में उच्च शिक्षा और महिला
शिक्षा समिति की भी सदस्य रहीं। वे यूपी स्टेट सोशल वेलफेयर बोर्ड, कानपुर नगर निगम के कार्यकारी समिति की भी सदस्य रहीं। वे यूपी बोर्ड
टेक्निकल एजुकेशन फॉर वूमेन की भी सदस्य
रहीं। सांसद के तौर पर वे शांति परिषद हेलिंसकी में 1965
में भारत का प्रतिनिधित्व
करने गईं। वे 1958
में कोलंबों में हुए
एफ्रो एशियन वूमेन कान्फ्रेंस में भी गईं।
बापू पर पुस्तक लिखी
सुशीला रोहतगी ने बापू ने
कहा था नामक पुस्तक हिंदी में लिखी। तमाम पत्र पत्रिकाओं में वे हिंदी और अंग्रेजी
में अक्सर लिखती थीं। उनकी रूचि शास्त्रीय संगीत और नृत्य में भी थी। खेलों में
उनकी रूचि बैडमिंटन में रही। खाली समय में उन्हें साहित्य पढ़ना पसंद था। नब्बे
साल की उम्र में कानपुर में 2011 में उनका निधन हो गया।
सफरनामा
1921 में 21 अगस्त को
प्रयागराज में जन्म हुआ।
1947 में 27 जनवरी को
महेंद्र रोहतगी के साथ विवाह हुआ।
1962 में उत्तर प्रदेश
विधानसभा की सदस्य चुनीं गईं।
1967 में बिल्हौर (यूपी)
लोकसभा का चुनाव जीता।
1985 में वे राज्यसभा की
सदस्य चुनीं गईं।
1988 से 1994 तक यूपी
विधानपरिषद की सदस्य रहीं।
2011 में नौ अप्रैल को
उनका निधन हो गया।
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