Thursday 9 May 2019

प्रेमलाबाई चह्वाण - महाराष्ट्र से सबसे ज्यादा समय तक संसद में रहने वाली महिला


( महिला सांसद 56 ) प्रेमलाबाई चह्वाण पहली बार 1973 में महाराष्ट्र के करड लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत कर संसद में पहुंची। वे कुल चार बार लोकसभा का चुनाव जीतीं, वहीं वे उच्च सदन राज्यसभा की भी सदस्य रहीं। महिला सांसद के तौर पर महाराष्ट्र से सबसे ज्यादा समय तक संसद में रहने का रिकॉर्ड उनके नाम है। 
चार बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा में
अपने पति की मृत्यु के बाद प्रेमलाबाई 1973 में पांचवीं लोकसभा में निर्विरोध चुनकर संसद में पहुंची। इमरजेंसी के बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस देवराज अर्स गुट बन गया, पर प्रेमलाबाई इंदिरा गांधी के साथ रहीं। वे 1977 में छठी लोकसभा का चुनाव भी जीतीं। कुछ समय तक व महाराष्ट्र कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष भी रहीं। 1981 में इंदिरा गांधी ने उन्हें राज्यसभा में भेजा। वे एक बार फिर आठवीं लोकसभा (1984) में और नौंवी लोकसभा (1989) वे करड से चुनाव जीतकर संसद में पहुंची। एक सांसद के तौर पर वे तमाम समितियों की सदस्य रहीं। 
गुजरात के वडोदरा में जन्म
उनका जन्म गुजरात के बडोदरा में एमएन राव जगादले के परिवार में हुआ था। उनकी शिक्षा इंदौर और सेंट जेवियर्स कॉलेज मुंबई में हुई। उन्होंने मांटेसरी शिक्षा में डिप्लोमा किया था। सन 1942 में उनका विवाह दाजीसाहेब चह्वाण के संग हुआ। जो कई बार सांसद और केंद्र में मंत्री रहे। उनके बेटे पृथ्वीराज चह्वाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। प्रेमलाबाई 1952 से 1960 तक किसान मजदूर पार्टी की सदस्य रहीं। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गईं।
महिला क्रिकेट एसोसिएशन की स्थापना
प्रेमलाबाई की शिक्षा और खेलों में काफी रुचि थी। सन 1973 में उन्होंने ऑल इंडिया वूमेन क्रिकेट एसोसिएशन की स्थापना की। वे इसकी संस्थापक अध्यक्ष थीं। 1951 में उन्होंने करड में पहला मांटेसरी स्कूल खोला था। 1950 में उन्होंने करड महिला मंडल की स्थापना की। करड में प्रेमलाबाई के नाम पर पॉलीटेक्निक की स्थापना की गई है। 
मराठी में लघुकथाएं लिखी
प्रेमलाबाई ने बेटे पृथ्वीराज चह्वाण के राजनीति में आने के बाद खुद राजनीति से संन्यास ले लिया। उनकी पढ़ने लिखने के अलावा खेल और बागवानी में रूचि थी। उन्होंने मराठी में कई लघु कथाएं भी लिखीं। उन्होंने सांसद के तौर पर दुनिया के कई देशों का दौरा भी किया था। साल 2003 में आठ जुलाई को उनका निधन हो गया। सतारा जिले में उनके नाम पर एक मध्य विद्यालय की भी स्थापना की गई है।
सफरनामा
1918 में 2 जुलाई को उनका जन्म हुआ
1942 में 27 अप्रैल को दाजीसाहेब चह्वाण के संग विवाह हुआ।
1973 में पहली बार लोकसभा की सदस्य चुनीं गईं।
1981 में राज्यसभा के लिए चुनीं गईं।
2003 में 8 जुलाई को उनका निधन हो गया।
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