Tuesday, 14 May 2019

कृष्णा शाही -जब बिहार से एकमात्र सांसद कांग्रेस से जीतीं


( महिला सांसद - 61 ) दसवीं लोकसभा चुनाव के नतीजे जब 1991 में आए तो अविभाजित बिहार की 54 सीटों में से कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट पर जीत दर्ज की। भले केंद्र में तब कांग्रेस की सरकार बनी थी पर बिहार में यह पार्टी का बुरा प्रदर्शन था। पर जिस एक सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की वह थी बेगुसराय। जहां कांग्रेस की कृष्णा शाही ने जनता दल के रामबदन राय को 68 हजार मतों से हराया था। कृष्णा शाही बिहार के बेगुसराय लोकसभा क्षेत्र से सर्वाधिक तीन बार सांसद रहीं। वे केंद्र सरकार में राजीव गांधी की सरकार मे कई मंत्रालयों की मंत्री रहीं। वकालत से राजनीति में कदम रखने वाली कृष्णा शाही सांसद बनने से पहले बिहार में कई साल तक विधायक भी रहीं।
बेगुसराय से तीन बार सांसद
कृष्णा शाही ने 1980 में बिहार के बेगुसराय से कांग्रेस आई के टिकट पर सातवीं लोकसभा का चुनाव जीता। बेगुसराय की जंग में उन्होंने दो बार सांसद रहे श्यामनंदन मिश्र को पराजित किया था। वे 1984 में बेगुसराय से समाजवादी नेता कपिलदेव सिंह को पराजित कर संसद में पहुंची। हालांकि वे 1989 का लोकसभा चुनाव जनता दल के ललित विजय सिंह से हार गईं। उन्होंने 1996, 1998 और 2004 में भी बेगुसराय से लोकसभा का चुनाव लड़ा पर जीत नहीं सकीं।   
केंद्र में मंत्री बनीं
कृष्णा शाही राजीव गांधी की सरकार में केंद्र में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री बनाई गईं। वे राजीव गांधी के मंत्रीमंडल में कुछ समय तक जल संसाधन मंत्री भी रहीं। सांसद रहते हुए उन्हें 1982 में असम पर बनी सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया। वे दहेज उन्मूलन समिति की भी सदस्य रहीं। इसके अलावा भी वे कई समितियों की सदस्य रहीं।
वकालत से राजनीति में
कृष्णा शाही का जन्म 16 फरवरी 1931 को मुजफ्फरपुर में हुआ था। उनके पिता महेश प्रसाद सिंह बिहार के प्रतिष्ठित समाजसेवी और राजनेता थे। उन्होंने बीए (आनर्स) और बीएल की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय और बिहार विश्वविद्यालय से की। कानून की पढ़ाई के बाद वे वकालत के पेश में आईं। वकालत करते हुए उन्होंने समाज सेवा और राजनीति में कदम रखा।
दो बार मोकामा से विधायक
कृष्णा शाही को राजनीति पिता से विरासत में मिली थी। उन्होंने 1972 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर पहली बार मोकामा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता। उन्होंने 1977 में दुबारा मोकामा से कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की। सन 2004 के बाद उन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा। उनकी एक बहन उषा सिन्हा भी 1989 में वैशाली से सांसद चुनीं गई थीं। उषा सिन्हा केंद्र सरकार मे मंत्री भी रहीं। वे इन दिनों गाजियाबाद में रहती हैं।
सफरनामा
1931 में 16 फरवरी को मुजफ्फरपुर में जन्म हुआ।
1946 में 16 मई को बीपीएन शाही के संग विवाह हुआ।
1972 में बिहार विधानसभा की सदस्य चुनीं गईं।
1980 में पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता।
1984 और 1991 में भी लोकसभा का चुनाव जीता।


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