Saturday 18 May 2019

कृष्णा बोस - बंगाल की जानीमानी शिक्षाविद तीन बार संसद में पहुंची


(महिला सांसद-65)
पश्चिम बंगाल की जानी मानी शिक्षाविद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार से आने वाली कृष्णा बोस तीन बार लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद में पहुंची। वाजपेयी के शासनकाल में देश की विदेश नीति निर्धारण में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई।

जादवपुर से तीन बार सांसद
कृष्णा बोस 1996 में पहली बार जादवपुर से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर संसद में पहुंची। इसके बाद उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर बारहवीं लोकसभा का 1998 में और तेरहवीं लोकसभा का 1999 में जादवपुर से ही चुनाव जीता। हालांकि वे 2004 का चुनाव सीपीएम के उम्मीदवार से पराजित हो गईं।

40 साल तक अध्यापन
कृष्णा बोस ने बीए करने के बाद कोलकाता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एमए किया। उन्होंने भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय से संगीत विशारद की भी डिग्री ली। कृष्णा बोस ने सिटी कॉलेज कोलकाता में 40 साल तक अध्यापन किया। वे आठ साल तक इस कॉलेज की प्रिंसिपल भी रहीं।

नेताजी के भतीजे से विवाह
कृष्णा चौधरी (बोस) का जन्म 26 दिसंबर 1930 को ढाका में हुआ था। उनके पिता का नाम चारू सी चौधरी और माता का नाम छाया देवी चौघरी था। जाने माने लेखक नीरद सी चौधरी उनके चाचा थे। उनके पिता संविधान के जानकार और पश्चिम बंगाल विधान सभा के सचिव रहे। कृष्णा बोस का 1955 में 9 दिसंबर को शिशिर कुमार बोस के संग विवाह हुआ। शिशिर बोस नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई शरत चंद्र बोस के बेटे थे। उनकी तीन संतानें हैं। उनके बेटे सुमंत्रा बोस लंदन स्कूल ऑफ इकोनामिक्स में प्रोफेसर हैं। उनके बेटे सुगत बोस हार्वार्ड विश्वविद्यालय इतिहास के प्रोफेसर रहे। वे 2014 में जादवपुर से सांसद भी चुने गए।

संसद में खूब सक्रिय
संसद में अपनी तीन कार्यकाल के दौरान कृष्णा बोस काफी सक्रिय रहीं। अपने तीसरे कार्यकाल में वे विदेश मामलों की समिति की चेयरपर्सन रहीं। अटल बिहारी वाजपेयी के शासन काल में देश की विदेश नीति के निर्धारण में उनकी प्रमुख भूमिका रही। इसके अलावा मानव संसाधन विकास, सूचना प्रसारण मंत्रालय की समिति समेत कई और संसदीय समितियों की सदस्य रहीं।

महिलाओं और बच्चों के लिए कार्य
सांसद के तौर पर कृष्णा बोस महिला, बाल विकास और द्वियांग के कल्याण के लिए काफी काम किया। वे नेताजी रिसर्च ब्यूरो की अध्यक्ष रहीं। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर पुस्तक भी लिखी है। कोलकाता में वे विवेक चेतना नामक एनजीओ का संचालन करती हैं जो निर्बल महिलाओं, बच्चों के लिए काम करता है।

 कई पुस्तकें लिखीं
कृष्णा बोस ने अंग्रेजी और बांग्ला में कई पुस्तकें लिखी हैं जिनमें नेताजी की जीवनी प्रमुख है। सन 2008 में उनकी आत्मकथात्मक पुस्तक एन आउटसाइडर इन पॉलिटिक्स का प्रकाशन पेंगुइन बुक्स ने किया। 2015 में उनकी पुस्तक लॉस्ट एड्रेसेज आई। कई अंग्रेजी और बांग्ला के समाचार पत्रों में नियमित तौर पर लिखती रहीं। वे रेडियो और टेलीविजन कार्यक्रमों में भी नियमित हिस्सा लेती रहीं।

सफरनामा
1930 में 26 दिसंबर को ढाका में जन्म हुआ।

1955 में 9 दिसंबर को शिशिर कुमार बोस के संग विवाह हुआ।

1996 में पहली बार जादवपुर से सांसद चुनीं गईं।

1998 और 1999 में टीएमसी के टिकट पर सांसद चुनीं गईं।

2020 में 22 फरवरी को कोलकाता में निधन। 
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