( महिला सांसद 54 )
सौ साल से अधिक जीने वाली शीला कौल स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री, सामाजिक कार्यकर्ता, समाज सुधारक और शिक्षाविद थीं।
वे हिमाचल प्रदेश की पूर्व राज्यपाल भी थीं। उन्होंने लखनऊ में सबसे ज्यादा मत
प्रतिशत से जीत का रिकार्ड बनाया था।
पांच बार सांसद चुनी गईं
शीला कौल पांच बार लोकसभा की सदस्य रहीं। वे 1971, 1980 और 1984 में लखनऊ से
1989 और 1991 में रायबरेली से चुनीं गईं। उनका लखनऊ में सबसे ज्यादा मत प्रतिशत से
जीतने का रिकॉर्ड है। उन्हें 1971 में 171019 मत मिले थे जो 71.61 प्रतिशत थे। पर 1977 में हेमवती नंदन बहुगुणा ने लखनऊ में
शीला कौल को डेढ़ लाख मतों से हराया। पर 1980 और 1984 में शीला कौल यहां से लगातार
जीतीं।
केंद्र सरकार में मंत्री
शीला कौल ने 1982 से 1989 तक केंद्र सरकार में
इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में संस्कृति, शिक्षा और समाज कल्याण
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का
काम संभाला। इसके बाद वे 1992 से 1995 के बीच पीवी नरसिंह राव की
कैबिनेट में केंद्रीय शहरी विकास मंत्री भी रहीं।
नेहरु परिवार से रिश्ता
शीला कौल देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साले प्रोफेसर कैलाशनाथ
कौल की पत्नी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मामी थी।आईटीबीपी के निदेशक
रहे गौतम कौल और अंतरराष्ट्रीय खेल प्रशासक विक्रम कौल उनके बेटे हैं। उनकी बेटी
दीपा कौल भी सामाजिक कार्यकर्ता रहीं। उनके पति कैलाशनाथ कौल जाने माने वनस्पति
शास्त्री थे जिन्होंने लखनऊ में नेशनल बोटानिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की
थी।
लखनऊ से राजनीति की शुरुआत
शीला लखनऊ में स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय थी। सन 1936 में महात्मा गांधी
लखनऊ में शीला कौल के आवास पर आए थे और वहां एक बरगद का पेड़ लगया था। उन्होंने
अपनी राजनीति की शुरुआत लखनऊ शहर से की। वे 1959 से 1965 तक लखनऊ नगर निगम में
पार्षद रहीं। इसके बाद वे 1968 से 1971 तक यूपी विधान परिषद की सदस्य रहीं। उन्होंने
पहला लोकसभा का चुनाव भी यहीं से लड़ा।
लाहौर में पढ़ाई
शीला कौल कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से आती थीं। उनके पिता का नाम राजेश्वरनाथ
कौल और माता का नाम सरस्वती कौल था। वे महिला कॉलेज लाहौर की कला की स्नातक थीं और
लाहौर के सर गंगा राम प्रशिक्षण कॉलेज से उन्होंने शिक्षक प्रशिक्षण की डिग्री ली
थी। उनकी बैडमिंट खेलने में रुचि थी। छात्र जीवन में स्टेट चैंपियन रह चुकी थीं।
शीला कौल ने 2015 में अपना 101 जन्म दिन परिवार के साथ मनाया था। इसी साल की उम्र
में 2015 में गाजियाबाद में निधन हो गया।
सफरनामा
1915 में 7 फरवरी को लखनऊ
में जन्म हुआ।
1971 में लखनऊ से
पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता।
1982 से 1989 तक संस्कृति, शिक्षा और समाज
कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
1988 में कांग्रेस
पार्टी की महासचिव चुनीं गईं।
1995 में हिमाचल
प्रदेश की राज्यपाल बनीं।
2015 में 13 जून को गाजिबाद
में निधन हो गया।
-----
No comments:
Post a Comment