बी राधाबाई आनंदराव
आंध्र प्रदेश की राजनीति का दलित चेहरा रहीं। चौथी लोकसभा में 1967 में वे
भद्राचलम से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर पहली बार संसद में पहुंची।
इसके बाद वे लगातार चार बार लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज
कराती रहीं। उन्होंने खास तौर पर आदिवासियों को और कोयला खान मजदूरों के लिए काम
किया।
जनता लहर में
भी शानदार जीत
राधाबाई ने
1967 के बात 1971, 1977 और 1980 का चुनाव भी भद्राचलम लोकसभा क्षेत्र
से जीता। उन्होंने 1977 में जनता लहर में भी कांग्रेस पार्टी के टिकट पर शानदार
जीत दर्ज की। 1977 में उन्होंने लोकदल के पी वाणी रमाराव को 96 हजार मतों से
पराजित किया। सन 1980 के चुनाव में उन्होंने भाकपा उम्मीदवार के चंद्रैया को
पराजित किया। वे 1984 का लोकसभा चुनाव भी लड़ी थीं पर इस बार में भाकपा उम्मीदवार
एस रमैया से पराजित हो गईं।
मजदूर
कांग्रेस की नेता
राधाबाई का
जन्म खम्मम जिले के वेंकटापुरम में 2 फरवरी 1930 को हुआ था। उनकी पढ़ाई राजामुंदरी
ट्यूटोरियल कॉलेज में हुई। शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने शिक्षा
जगत का रुख किया। राधाबाई का 1952 में 6 जून को बीके आनंद राव के साथ विवाह हुआ।
उनकी तीन संताने हुईं एक बेटा और दो बेटियां। राधाबाई ने कांग्रेस के मजदूर संगठन
इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस के लिए काम शुरू किया। वे कोठागुदम पंचायत
समिति की सदस्य भी रहीं।
कोयला खान
मजदूरों के लिए काम
राधाबाई ने
सिंगरेनी के कोयला खदानों में परिवार कल्याण कार्यकर्ता के तौर पर काम शुरू किया।
इस दौरान उन्होंने आदिवासियों की समस्याएं करीब से समझीं। राधाबाई ने खास तौर पर
आदिवासी लोगों और कोयला खदान में काम करने वाले मजदूरों के कल्याण के लिए कार्य
किया। आंध्र प्रदेश के आदिवासियों के बीच उनकी छवि काफी लोकप्रिय थी।
कई देशों की
यात्रा की
राधाबाई को
लघु कथाएं पढ़ने और संगीत से लगाव रहा। उन्होने संसदीय समिति के सदस्य के तौर पर
चेकोस्लोवाकिया, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देशों की यात्राएं की।
संसदीय पारी खत्म होने के बाद वे वे खम्मम के रमावरम में रहने लगीं।
जब दो बहनों
में हुआ मुकाबला
सन 1971 के
चुनाव में भद्राचलम चर्चा में आ गया था क्योंकि तब राधाबाई के खिलाफ उनकी ही छोटी
बहन पी वानी रमन्नाराव जो विधान परिषद की सदस्य थीं, कांग्रेस ओ के टिकट से लड़ गईं थीं। हालांकि वानी
रमन्नाराव 8 हजार वोट पाकर चौथे स्थान पर रहीं थीं।
सफरनामा
1930 में 2
फरवरी को उनका जन्म खम्मम जिले में हुआ।
1952 में 6
जून को उनका विवाह बीके आनंद राव के साथ हुआ।
1967 में
चौथी लोकसभा का चुनाव जीता।
1971, 1977 और 1980 में भी जीत दर्ज की।
1984 का
चुनाव भाकपा उम्मीदवार से हार गईं।
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