समाजवादी नेत्री प्रमिला दंडवते सातवीं लोकसभा का चुनाव जीत कर 1980 में संसद
में पहुंची। जीवन भर आम आदमी और महिलाओं के हक में आवाज उठाने वाली प्रमिला
बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं। वे अच्छी पेंटर और डांसर भी थीं। अपने संगठन महिला
दक्षता समिति के माध्यम से वे महिलाओं की आवाज बनकर उभरीं। संसद और विधानसभा में
महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण के लिए उन्होंने प्रमुखता से आवाज उठाई।
मुंबई से सासंद
प्रमिला प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से जुड़ कर समाजसेवा और राजनीति में
आईं। वे 1968 में मुंबई नगर निगम की सदस्य चुनीं गईं। बाद में जनता पार्टी में
शामिल हो गईं। सन 1980 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी ने उन्हें मुंबई नार्थ
सेंट्रल लोकसभा से टिकट दिया। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के वसंत राव
होसिंग को कड़े मुकाबले में पराजित किया। हालांकि वे 1984 का चुनाव इसी लोकसभा से
हार गईं।
जेजे स्कूल ऑफ आर्ट की स्नातक
प्रमिला का जन्म 1928 मे 27 अगस्त को हुआ। उनके पिता का नाम डाक्टर जनार्दन और माता का नाम लक्ष्मीबाई
कारांदे था। उनके पिता जाने माने ग्यानोक्लॉजिस्ट थे।
उनका अस्पताल गिरगांव चौपाटी पर था। प्रमिला बचपन में एमआर जयकर द्वारा स्थापित
संगठन स्वास्तिक लीग से जुड़ी थीं। प्रमिला को बचपन से पेंटिंग का शौक था। द्वितीय
विश्वयुद्ध के दौरान वे पढ़ाई के लिए मुंबई छोड़कर सिंधुदुर्ग जिले में चली गईं।
स्कूली जीवन में राष्ट्र सेवा दल से जुड़ गईं। उनकी आगे की पढ़ाई सोफिया कॉलेज और
जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में हुई।
भूदान आंदोलन के लिए पोस्टर बनाए
प्रमिला ने विनोबा भावे के भूदान आंदोलन को प्रेरित करने के लिए कुछ
पोस्टर बनाए। उनके पोस्टर बड़े चर्चित हुए और पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। बाद में
उन्होंने कला शिक्षक के तौर पर पढ़ाया भी। प्रमिला दंडवते ने समाजवादी नेत्री
मृणाल गोरे और अहिल्या रांगनेकर के साथ मिलकर मुंबई में आम लोगों के अधिकारों के
लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। महाराष्ट्र में उनकी तिकड़ी काफी मशहूर हुई।
मधु दंडवते से विवाह
प्रमिला का विवाह 1953 में जाने माने समाजवादी नेता मधु दंडवते से
हुआ। पांच बार सांसद रहे मधु दंडवते मोरारजी देसाई के मंत्रीमंडल में रेलमंत्री और
वीपी सिंह सरकार में वित्त मंत्री रहे। प्रमिला पति के साथ समाजवादी आंदोलन में
सक्रिय रहीं। वे 1975 में इमरजेंसी के दौरान पुणे के यरवडा जेल में भी बंद रहीं।
वे जन अधिकारों के संगठन पीयूसीएल के संस्थापकों में शामिल थीं।
महिला आरक्षण की वकालत
प्रमिला दंडवते ने 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार के दौरान
महिलाओं को संसद और विधानसभा में 33 फीसदी आरक्षण के लिए मांग पत्र सौंपा। प्रमिला
दंडवते पेंटर के साथ अच्छी डांसर भी थीं। वे गोवा मुक्ति आंदोलन और संयुक्त
महाराष्ट्र आंदोलन में भी सक्रिय रहीं। 1965 में सोशलिस्ट यूथ कान्फ्रेंस में हिस्सा लेने स्वीडन गई थीं। 1975 से 1977 के दौरान उन्होंने इमरजेंसी का जोरदार विरोध किया था। साल 2001 की 31 दिसंबर को वे इस दुनिया को छोड़कर
चली गईं।
सफरनामा
1928 में 27 अगस्त को उनका जन्म हुआ।
1951 में जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से कला स्नातक की डिग्री।
1953 में समाजवादी नेता मधु दंडवते से विवाह हुआ।
1968 में मुंबई नगर निगम का चुनाव जीता
1983 से 1993 तक महिला दक्षता समिति की अध्यक्ष रहीं।
1980 में लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद में पहुंची।
2001 में 31 दिसंबर को उनकी मृत्यु हो गई।
- प्रस्तुति - विद्युत प्रकाश मौर्य
3 comments:
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 112वीं जयंती - सुखदेव जी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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